10-07-2015, 09:43 PM
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Re: कैसे बदलेंगे हालात ??
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Originally Posted by pavitra
रजनीश जी आपकी चिन्ता वाजिब है ।
..... सिर्फ न्यायपालिका के होने भर से ही काम नहीं चलता , न्याय का होना भी बहुत जरूरी है , और न्याय का समय पर हो जाना उससे भी कहीं ज्यादा जरूरी ।
एक मशहूर पत्रिका द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिये बनाये गये एक वीडिओ की पंक्ति है - vogue empower - start with the boys ...... मुझे लगता है ये सही है । ..... और फिर नैतिकता किसी को सिखाई नहीं जा सकती । ..... इसलिये पुरुषों को खुद ही आगे आना चाहिये और खुद के व्यवहार में सुधार करना चाहिये ।
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पवित्रा जी ने सही कहा कि कानून और न्यायपालिका खुद में परिस्थिति बदलने के मामले में इतने सक्षम नहीं हैं जितना कानून का कारगर व तुरत इस्तेमाल तथा न्याय का उचित समय पर सुनिश्चयन भी जरुरी है. दूसरे, उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि पुरुषों को जबरदस्ती सच्चरित्र नहीं बनाया जा सकता और न नैतिकता उन पर थोपी जा सकती है. इसके लिए तो पुरुषों को ही सामाजिक तथा वैचारिक बदलाव के लिए पहल करनी होगी.
लेकिन यहाँ मैं कहना चाहता हूँ कि पकी उम्र में स्वयं में चारित्रिक बदलाव लाना नामुमकिन नहीं तो कठिन अवश्य है. दूसरी बात यह है कि जैसा वीडियो में दिखाया गया है, बच्चों व लड़कों को यह ठोक-ठोक कर याद दिलवाया जाता है कि वह लड़के हैं, पुरूष हैं. इसका निहितार्थ यह होता है कि वे लड़कियों के मुकाबले श्रेष्ठ हैं. इस मनोवृत्ति को बढ़ावा देने में घर के महिला व पुरूष सदस्य तथा नजदीकी रिश्तेदार सभी ज़िम्मेदार होते है. ऐसी स्थिति में पुरूष ख़ुद में कहाँ तक बदलाव ला सकेंगे?
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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