Re: हास्य कविताएँ
मेरे दादाजी
द्दढ़ निश्चय जीवट के हैं
दादाजी अढ़सठ के हैं।
रोज नियम से काम करें
उनके काम विकट के हैं।
नहीं किसी से हैं डरते
रहते वे बेखटके हैं।
क्रिकेट में बच्चों के संग
लेते केच झपटके हैं।
लोटा लेकर कहते हैं
आते अभी निपट के हैं।
हर दिन पैदल चलते हैं
बिना किसी खटपट के हैं।
ध्यान लगाकर कहते हैं
ईश्वर बहुत निकट के हैं।
कोई जब दर पर आता
मिलते गले लिपट के हैं।
किसी काम में देर नहीं
तुरत फुरत चटपट के हैं।
द्दढ़ निश्चय जीवट के हैं
दादाजी अढ़सठ के हैं।।
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
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