Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
लता जी विनायक राव जी (साठ व सत्तर के दशक की जानी मानी अभिनेत्री नंदा के पिता) की कम्पनी में नौकरी नौकरी करने लगीं. वे ही लता को 1943 में मुंबई ले कर भी आये. जल्द ही उनका स्वर्गवास हो गया और लता जी का अभिनय भी ऊसके साथ ही छूट गया. अगस्त 1947 में ही उनको फिल्मों म गाने का मौका भी मिल गया. उसके बाद तो गाने का सिलसिला शुरू हो गया और वक़्त उन पर हमेशा मेहरबान रहा. लता जी मानती हैं कि यदि व्यक्ति में सच्ची साधना, ईश्वर में आस्था और अपने आप में विश्वास हो तो आपको कोई ताकत आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती.
उन पर दोष लगाया जाता है कि उन्होंने नए कलाकारों को आगे आने से रोका. लता जी इस से सहमत नहीं हैं. वे यह मानती हैं कि यह इलज़ाम बिलकुल बेबुनियाद है. हाँ,प्रतिस्पर्धा हर क्षेत्र में होती है चाहे वो अभिनय का क्षेत्र हो या गायन का. वे कहती हैं कि संगीत से जुड़े हर व्यक्ति की वे इज्ज़त करती हैं और चाहती हैं के संगीत फलता फूलता रहे.
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