Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
लता जी गायन में महान गायक-अभिनेता कुंदन लाल सहगल को अपना आअदर्श मानती हैं. उनको यह अफ़सोस है कि उन्हें सहगल साहब के साथ कोई गीत गाने का मौका नहीं मिला और न ही उनसे कभी मिल पायीं.
गाने से पहले वे अपनी चप्पल कमरे के बाहर उतार देती हैं. लता जी गायन को पूजा मानती हैं और केवल सफ़ेद साड़ी पहनती हैं. केवल हर दिन के अनुसार साड़ी का बार्डर अलग अलग रंग का होता है.
लता जी जीवन को एक उत्सव या संगीत मानती हैं; जीवन के हर क्षेत्र में संगीत व्याप्त है. सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रमा की शीतलता, नदियों की कल कल, झरनों का झर झर, कोयल की कूक, फसलें, दिन, रात, रोशनी, अंधकार आदि सभी परिवर्तनों में संगीत बसा हुआ है. प्रकृति की हर चीज में अलग अलग रूपों में व्याप्त इन भावों का समग्र ही संगीत है.
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