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Originally Posted by rajnish manga
बहुत सुंदर. जिस मनोयोग से आपने इस आलेख को लिखा ओर पोस्ट किया है उसी मनोयोग से मैंने इसे पढ़ा है. इसके हर वाक्य से एक नया सत्य उभरता है जिसकी रोशनी में हम अपने जीवन के दुःख और सुख, आशा और निराशा की समीक्षा कर सकते है और अपने जीवन में वांछित सुधार ला सकते हैं. आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
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सबसे पहले इस आलेख को इतनी प्रसंशात्मक टिपण्णी देने धन्यवाद भाई
जी भाई हमारी जिंदगी हमें सिखलाते रहती है पर चिंताओं में हम इंसान धीरज खो देते हैं और सुख और खुशियों को हम अटल मान लेते हैं जबकि इस जीवन में कुछ भी नहीं टिकता न सुख न दुःख समय के साथ सब बदलते रहता है