Re: मेलजोल
अब यक्ष—प्रश्न है— पत्रकारों को पहचानें कैसे? तो इस बात पर भी आज यदि कबीरदास जीवित होते तो क्या लिखने से चूकते? आगे पढ़िए—
'पत्रकार हेरन मैं चला, मतिभ्रम मिला न कोय।
एडिटर रिपोर्टर कॉरस्पान्डन्ट, एकहिं जाति होय।।'
अर्थ स्पष्ट है— कबीरदास जी कहते हैं— पत्रकारों को ढूॅंढ़ने के लिए मैं निकला तो मेरी बुद्धि भ्रमित होने के कारण मुझे कोई पत्रकार नहीं मिला, क्योंकि आजकल पत्रकार एडिटर, रिपोर्टर और कॉरस्पान्डन्ट के नाम से जाने और पहचाने जाते हैं।
|