Re: दलितों को सम्मान सहित जीने का अधिकार कब मि
दलितों को सम्मान सहित जीने का अधिकार कब मिलेगा?
सुप्रीम कोर्ट की चिंता वाजिब है
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों पर उत्पीड़न और उनके साथ होने वाले भेदभाव को रोकनेमें असफल रही हैं. खंडपीठ ने यह भी रेखांकित किया है कि वंचित तबके के अधिकारों की सुरक्षा के बिना समानता के संवैधानिक लक्ष्य हासिल नहीं किये जा सकते हैं.
तमाम वैधानिक व्यवस्थाओं, दावों और वादों के बावजूद दलित और आदिवासी समुदायों के विरुद्ध अपराधों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. सामाजिक और आर्थिक कमजोरी की वजह से इन्हें अक्सर न्याय से भी वंचित रहना पड़ता है.सत्तर सालों के भारतीय लोकतंत्र पर यह वंचना निश्चित रूप से एक बड़ा सवाल है.
आज अगर देश की आलातरीन अदालत की एक खंडपीठ, जिसकी अगुवाई खुद प्रधान न्यायाधीश कर रहे हों, न केवल तमाम राज्य सरकारों, बल्कि केंद्र सरकार की भी तीखी भर्त्सना करें कि वह वंचित-उत्पीड़ित तबकों की हिफाजत के लिए बने कानूनों के अमल में बुरी तरह असफल रही हैं और इसके लिए उनका ‘बेरुखी भरा नजरिया’ जिम्मेवार है, तो यह सोचा जा सकता है कि पानी किस हद तर सर के ऊपर से गुजर रहा है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 17-10-2017 at 02:15 PM.
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