एवरेस्टः यहां मौत पर चलते हुए भी थमते नहीं
साभार:_ राकेश परमार जी
वहां कदम-कदम पर मौत है। फिर भी हर साल मई के महीने से कई कदम उस ओर बढ़ते हैं। क्योंकि वहां मोक्ष है। वहां पहुंचने वाले तो यही कहते हैं। दरअसल वह चोमो लुंगमा है। माने विश्व की जननी देवी। माने माउंट एवरेस्ट। 63 साल पहले। आज ही के दिन। 29 मई 1953। सुबह के 11 बजकर 30 मिनट। दो जोड़ी पांव पहली बार चोमो लुंगमा के शिखर पर थे। न्यू जीलैंड के एडमंड हिलरी और नेपाल के बहादुर शेरपा तेनजिंग नॉरगे। दोनों ने कई असफल अभियानों के बाद एवरेस्ट के शिखर को चूमा था।
Edmund-and-Tenzing
Last edited by soni pushpa; 30-05-2016 at 11:33 PM.
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