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Old 30-05-2016, 09:51 PM   #2
soni pushpa
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Default Re: निराला जी का बड़प्पन

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Originally Posted by rajnish manga View Post
निराला जी का बड़प्पन
(इन्टरनेट से साभार)

एक बार महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' अपनी किसी पुस्तक की रायल्टी लेकर एक प्रकाशक के कार्यालय से लौट रहे थे। मार्ग में एक भिखारिन ने उन्हें रोटी खाने को कुछ देने को कहा।
निराला ने जेब से एक रुपया निकालकर उसे देते हुए पूछा- अब कितने दिन तक भीख नहीं मांगोगी ?
भिखारिन बोली- तीन दिन तक।
निराला ने फिर पूछा- यदि दस रुपये दूं, तो?
उसने कहा- महीने भर तक।
...और यदि सौ रुपये दूं तो? निराला पूछा।
भिखारिन बोली- फिर तो छह महीने तक भीख माँगने की जरूरत नहीं, बेटा।
निरालाजी ने अपनी जेब से रॉयल्टी के पूरे हजार रुपये उसे पकड़ाते हुए कहा- बेटा कहती हो तो लो!
भिखारिन की आँख में आँसू आ गए, बोली- अब तो बेटा मैं जीवन भर भीख नहीं मांगूंगी।
निरालाजी ने भिखारिन के पाँव छुए और खाली हाथ घर को हो लिए। निराला सचमुच निराला थे।

भाई बचपन में सूर्यकान्त त्रिपाठी "निराला" जी की कविता हमारी पाठ्य पुस्तक में हुआ करती थी .. कवि हिरदय कोमल हुआ करते हैं भाई एइसे व्यक्तित्व हमेशा पथप्रदर्शक होते हैं उनके जीवन की बातें हमारे जीवन में भी हमें बहुत कुछ शिक्षा दे जाती हैं हमें .. आदर्श लेख के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई
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