06-02-2013, 07:33 PM | #1 |
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यमलोक की खबरेँ ( हास्य व्यँग्य)
Last edited by agyani; 06-02-2013 at 11:54 PM. |
06-02-2013, 08:29 PM | #2 |
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Re: यमपुरी समाचार ( हास्य व्यँग्य)
मित्रोँ , ऐसा नही कि मै किसी न्यूज चैनल का सँवाददाता हुँ जो "यमराज जी" की नगरी मे जाकर कुछ ब्रेकिँग न्यूज बटोर कर लाया हुँ ! ये सब सम्मानित रचनाकारोँ द्वारा मनोँरँजन हेतु रचित काल्पनिक लेख है जिन्हे मै समाचार के रुप मे प्रस्तुत कर रहा हूँ ! कुछ समाचार नये है तो कुछ पुराने है । पहला समाचार है ==>>यमलोक में पार्टी
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06-02-2013, 08:35 PM | #3 |
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(डॉ. रामकुमार सिंह द्वारा लिखित प्रहसन नाटक) ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पहला दृश्य ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
(यमराज का दरबार। वे प्रसन्न नजर आ रहे हैं। चित्रगुप्त चश्मा लगाए हिसाब-किताब कर रहे हैं।) यमराज : यम हैं हम। चित्रगुप्त,हम अत्यधिक प्रसन्न हैं। यमलोक में खूब चहल-पहल है। यहॉं नागरिकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। चित्रगुप्त : ठीक कहा महाराज। जितनी ज्यादा जनता, उतने ज्यादा वोट। यम : चित्रगुप्त, आज यमलोक में एक पार्टी का आयोजन किया जाय, जिसमें देवता, दैत्य,ऋषि सभी शामिल हों। चित्रगुप्त : ठीक कहा महाराज। जनाधार के लिए हर वर्ग और समुदाय के लोग होने ही चाहिए। महाराज अभी-अभी हमारे यमदूत जिस चटोरे मानव को लेकर आए हैं उसके हाथ में मृत्युलोक के लजीज व्यंजनों का आकर्षक छपाई वाला एक मीनू-कार्ड है महाराज। आपकी आज्ञा हो तो इस बार पृथ्वी-लोक का उगाया और पकाया गया अन्न ही पार्टी का मुख्य आकर्षण रख दिया जाए। यम : वाह, वाह। अति उत्तम विचार है। हमने भी काफी दिनों से ह्रीम-क्रीम नहीं खाई। चित्रगुप्त : ह्रीम-क्रीम नहीं, आइसक्रीम महाराज। यम : हुं हुं (खांसते हुए) वही , वही। Last edited by agyani; 06-02-2013 at 08:42 PM. |
06-02-2013, 08:45 PM | #4 |
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Re: यमपुरी समाचार ( हास्य व्यँग्य)
दूसरा दृश्य ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
(यमलोक में पार्टी चल रही है। ब्रह्मा जी,शंकर जी और देवराज इन्द्र सहित सभी देवता आए हैं। कुंभकर्ण भी नींद से जागकर आ गया है। अन्य दैत्य भी हैं। खाने-पीने के लिए मशहूर अगस्त्य ऋषि भी पधार चुके हैं, धुंआधार पार्टी चल रही है। शिवजी के भूत-प्रेत डी.जे. की धुन पर डांस कर रहे हैं। अचानक कोई पेट पकड़ लेता है तो कोई उल्टियाँ करने लगता है। कोई वॉशरूम की तरफ भागता है) |
06-02-2013, 09:11 PM | #5 |
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तीसरा दृश्य ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चित्रगुप्त बदहवास भागता हुआ यमराज को खबर करता है। चित्रगुप्त: महाराज, महाराज। गजब हो गया। यम : भारत की बिजली-समस्या के ब्लैक-आउट से बड़ा क्या गजब हो सकता है चित्रगुप्त। बोलो, कुपोषित मानव की तरह तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है। चित्रगुप्त : महाराज, पार्टी में कई लोगों का पेट खराब हो गया है।, उल्टियाँ हो रही हैं। बड़े-बडे दिग्गज वॉशरूम की तरफ दौड़ रहे हैं। यमराज : (चौंकते हुए) एँ इसका क्या कारण है चित्रगुप्त। चित्रगुप्त : महाराज, बिना उगाया अन्न और बिना श्रम के पकाया जाने वाला खाद्य खाने वाले देवता जो सदैव अभिनेताओं द्वारा अनुशंसित वाटर-फिल्टर का ही पानी पीते हैं, उनके सहित विभिन्न दैत्य, और लम्बी डकार लेने वाले चिरंजीवी ऋषि, ये सभी मृत्युलोक के भोजन से बीमार पड़ गये हैं, महाराज। यम: क्या कहते हो।।।।। चित्रगुप्त : सत्य कहता हूँ महाराज, देवताओं ने 20 मिनिट में पिज्जा हाजिर करवाया था। अब इतनी ही देर में एम्बुलैंस बुलाने की जरूरत आ पड़ी है। सारे देवता झिंगा-लाला हो रहे हैं, अब गए कि तब गए।।। ऊपर से पूरा फास्ट-फूड मीनू चाट गए हैं। यम : ग्रहों की क्या स्थिति है चित्रगुप्त : बुरा हाल है महाराज, सबसे ज्यादा कुशल पाचन-तंत्र वाले शनि की दशा खराब चल रही है। शनि चाट-पानीपूरी, नूडल्स और पावभाजी का बड़ा शौकीन है। अब औंधे मुँह डला है। पृथ्वीलोक का कोई भी डॉक्टर ‘सत्यमेव जयते’ के इश्यू की वजह से शनि का फोन रिसीव नहीं कर रहा है। Last edited by agyani; 06-02-2013 at 09:17 PM. |
06-02-2013, 09:26 PM | #6 |
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Re: यमपुरी समाचार ( हास्य व्यँग्य)
यम : अगस्त्य ऋषि तो समुद्र पीकर पचा गए थे………
चित्रगुप्त : मगर रासायनिक कोल्ड-ड्रिंक्स नहीं पचा सके महाराज। 30 मिनिट का रास्ता 3 मिनिट में तय करते हुए बस आपके पास आते ही होंगे। यम : इससे तो लगता है……धरती लोक के खाद्य-पदार्थ सिर्फ दैत्य ही पचा सकते हैं….. चित्रगुप्त : गलतफहमी में न रहें महाराज। कुंभकर्ण को भी एसिडिटी हो गई है। उसकी नींद भी उड़ गई है। दैत्यलोक से उसके फेमिली डॉक्टर का कहना है कि नींद की दवाईयाँ मृत्युलोक से ही लानी पड़ेंगीं। लेकिन कुंभकर्ण के लायक डोज उपलब्ध ही नहीं है। सरकारी अस्पताल की दवाईंयाँ ब्लैक में चली गई हैं। एन्टी-एसिडों में भी मिलावट की खबर है। यम : ऐसा क्या खा लिया उसने……. चित्रगुप्त : महाराज, प्रतिबंधित खोए की मिठाईयाँ खा गया महाराज, कहता था – ‘कुछ मीठा हो जाए’।यह भी कहता था – ‘हर एक स्वीट जरूरी होता है’। आखिरकार हालत खराब।।। यम : तो क्या धरती पर मिठाइयॉं भी दूषित हो गई हैं। वहॉ भगवान का भोग नहीं लगाते क्या।।।।।। चित्रगुप्त : लगाते हैं महाराज।।।। यम : फिर भगवान अब तक कैसे बचे हैं।।।।। चित्रगुप्त : भोग लगाकर वापस उठा लिया जाता है महाराज, इसलिए भगवान अब तक वहाँ से नहीं उठे हैं। यम : हूँ……संभवत: इसीलिए धरती लोक भगवान भरोसे चल रहा है। चित्रगुप्त : महाराज, पितामह ब्रह्माजी ने नारद की अध्यक्षता में एक जॉंच-कमेटी बनाई है जो मामले की जॉंच करने जा रही है, सरक्यूलर रेडी है, आपके हस्ताक्षर चाहिए। यम : अवश्य, अवश्य…(एक बहुत लम्बे पेन से सिंहासन पर बैठे हुए दूर से ही हस्ताक्षर कर दिये । Last edited by agyani; 06-02-2013 at 09:30 PM. |
06-02-2013, 10:01 PM | #7 |
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Re: यमपुरी समाचार ( हास्य व्यँग्य)
चौथा दृश्य ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
(ब्रह्माजी और यमराज विराजमान हैं। नारद अपने जॉंच दल के साथ आते हैं। साथमें एक खाद्य अधिकारी और डाक्टर भी है।) नारद : नारायण, नारायण। परमपिता और यमराज की जय हो। (रिपोर्ट की कॉपी लेकर पढ़तेहैं।)आज इस सदन के प्रश्नकाल में उठे सवालों के जबाब में जॉंच दल की रिपोर्ट लेकर में उपस्थित हूँ। महाराज, रिपोर्ट में हमेशा की तरह कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। मृत्युलोक में अन्न उगाने से लेकर ही रसायनों का उपयोगशुरू हो जाता है। दूध, घी, खोया, ये सभी रासायनिक विधि से बनाए जा रहे हैं। कृत्रिम रंग और कृत्रिम स्वाद जोरों पर है। विज्ञापनों का खर्च भी मिलावट कर पूरा कियाजा रहे है। अनाप-शनाप तरीके से जनता-जनार्दन मिलावटी खाद्य-पदार्थों को मुँह में ठूँसे जा रहे हैं। माननीय महोदय, यमलोक की पार्टी में ब्रह्माजी के दाँत न होने से आँतें सुरक्षित बच गईं। पालनहार विष्णु धरती के एक शुद्धभोजी विद्यालय के एनुएल फंक्शन में गए हुए थे। अत: सुरक्षित हैं। पार्टी में भगवान शंकर को छोड़कर इस जहर को कोई नहीं पचा सका है। देवताओं के राजा इन्द्र भी हर मौसम मे आम का मजा ले रहे है, अब आम आदमी के अस्तपाल में भर्ती हैं। ब्रह्मा जी : हूँ…..खाद्य विभाग और औषधि विभाग की तैनाती का क्या हुआ।।। नारद जी : जनता-जनार्दन जागरूक नहीं है परमपिता,ये खाद्य अधिकारी मिलावट में भी मिले हुए हैं। ये जो डॉक्टर हमें धरतीलोक पर मिले हैं, वे भी मिलावटी औषधियों मे कमीशन मिलाए हुए हैं। इस मिली-जुली रिपोर्ट में जो भी परिणाम मिला है सब मिलावट को उत्तरदायी मानता है। यम : (अपना सिर पकड़ते हुए) : ओह। ……अब समझ में आया हमारे यमलोक में इतनी जनसंख्या क्यों बढ़ रही है। ( पटाक्षेप) Last edited by agyani; 06-02-2013 at 10:06 PM. |
09-02-2013, 09:55 PM | #8 |
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Re: यमपुरी समाचार ( हास्य व्यँग्य)
!! यम के भैंसासुर का भंडाफ़ोड़--चित्रगुप्त ने लगाया जोड़तोड़ !! ______ ललित शर्मा
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09-02-2013, 09:58 PM | #9 |
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Re: यमपुरी समाचार ( हास्य व्यँग्य)
यमराज ने रात को चित्रगुप्त को बुलाकर चेताया कि मेरी सवारी भैंसा को कल सुबह अच्छे से नहला धुलाकर, खिला पिला कर तैयार रखना, कल मुझे अपने कोर्ट मे जल्दी जाना है। एक विशेष मुकदमे की सुनवाई करनी है, भुलना मत। अब राजा के यहां तो नौकर का भी चाकर होता है, चित्रगुप्त ने सेवकों को बुलाकर यमराज का फ़रमान सुना दिया और सोने चले गए। इधर सुबह हुई, यमराज कोर्ट जाने के लिए तैयार बैठे थे। चित्रगुप्त को बुलाकर पुछा-"क्यों सब तैयार है ना? चित्रगुप्त ने कहा-"हां महाराज, सब तैयार है"। यमराज ने कहा-जाओ एक बार देखकर आओ।
चित्रगुप्त यमराज के आदेश पर भैंसा के कोठा में जाते है तो देखते हैं कि सभी सेवक मुंह लटकाए खड़े हैं, उन्होनेपुछा-'क्या हो गया? कौन मर गया जो तुम सभी लोग मुंह लटकाए खड़े हो, और रे मेहतरु तेरे को क्या हो गया है? जो पसीना छुट रहा है। मेहतरु भैंसा कोठा का मुकर्दम था। मेहतरु ने कहा- महाराज अभी भोर में ही मैं उठकर भैंसा को सुंदर धो मांज कर खिला पिला कर तैयार किया था। तभी रानी बाई का बुलव्वा आ गया पानी भरने का, मैं उनकी सेवा में चला गया, अभी आकर देखा तो कोठे से भैंसा नदारद है। सभी सेवकों को उसे ढुंढने के लिए भेजा हुं। अब क्या करना चाहिए आप ही सलाह दिजिए। इतना सुनना था कि चित्रगुप्त को लगा,पैरों के नीचे की धरती खिसक रही है। चित्रगुप्त ने कहा-जाओ जल्दी ढुंढ कर लाओ, अगर यमराज महाराज को पता चल गया तो सभी को रौरव नरक में भेज देंगे। जल्दी ढुंढो रे। तब तक मै महाराज का क्रोध शांत करने का उद्यम करता हुँ। अब सभी सेवकों ने भैंसा को ढुंढना शुरु किया, खेत-खलिहान, बाड़ी-बखरी सब जगह ढुंढा जा रहा है। खोज तीव्र गति से जारी थी। इधर यमराज महाराज बार-बार चित्रगुप्त से पुछ रहे थे-क्या हो गया? मेरी सवारी अभी तक नहीं आई है? मेरा कोर्ट जाने का समय निकला जा रहा है। ऐसा ही होता है जब मुझे कोई विशेष कार्य होता है तब ये सब लेट लतीफ़ी का तमाशा करते करते हैं। नही तो दिन रात भैंसा पगुराते हुए बैठा रहता है। भेजो तो सभी को रौरव नरक में, साले वहीं पर सुधरेंगे जाकर, यहां तो हराम का खा-खाके मोटा गये हैं। |
09-02-2013, 10:02 PM | #10 |
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Re: यमपुरी समाचार ( हास्य व्यँग्य)
चित्रगुप्त ने कोध्र शांत करने की दृष्टि से दांत निपोरते हुए कहा- इतना कोध्र ना करें महाराज, बस आपकी सवारी आती ही होगी। जैसे ही भैंसा को आपकी सेवा में लाया जा रहा था, उसने गोबर कर दिया, जिसमें उसकी पुंछ और पैर सन गए हैं, तो उसे धोने के लिए मैने फ़िर से वापस भेज दिया हैं। अब आप गोबर से सने हुए भैंसा की सवारी करेंगे तो अशोभनीय होगा। राह में चलते हुए लोग देखेंगे तो खिल्ली उड़ाएंगे।इसलिए यमराज के भैंसा का साफ़ सुथरा होना आवश्यक है।
इधर मेहतरु भैंसा को ढुंढते-ढुंढते हलाकान हो चुका था, उसका कहीं पता नहीं चल रहा था। तभी रास्ते में बरातु पहाटिया मिल गया ।"राम-राम मेहतरु भैया" - कहां निकल पड़े सुबह-सुबह? कुछ हलाकान दिख रहे हो? सब कुशल तो है? मेहतरु ने कहा-"क्या बताउं बरातु भाई! यमराज महाराज कोर्ट जाने के लिए तैयार बैठे हैं, इधर भैंसा को मै नहला-धुला कर, खिला-पिलाकर तैयार किया था, पता नही अचानक कहाँ खिसक दिया है,उसी को ढुंढ रहा हुँ। बरातु ने कहा-" अरे! अभी तो भैंसा मुझे बाजार के पास मिला था, मैने उसे पुछा भी था कि कहां जा रहा है? तो उसने लछमन के लड़के भुलाऊ की कम्प्युटर दुकान में जाने की बात बताई थी, अब बाकी तुम समझो, मैने उसका पता बता दिया है। मेहतरु सबसे पहले समाचार देने के लिए चित्रगुप्त के पास दौड़े-दौड़े गया और बोला-"महाराज भैंसा मिल गया है, जल्दी चलिए बाजार में है नही तो फ़िर और कहीं खिसक गया तो समझ लो आफ़त आ जाएगी, हमारी सजा पक्की समझो।" चित्रगुप्त तुरंत मेहतरु केसाथ चल पड़े, बाजार में पहुँचे तो भैंसा मिल गया। वह कम्प्युटर की दुकान में बैठा-बैठा पगुरा रहा था। चित्रगुप्त और मेहतरु को देख के बोला-" आओ आओ मै तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहा था।" भैंसा को देखते ही चित्रगुप्त का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ गया-" साले नमक हराम तु यहाँ पर बैठा पगुरा रहा है और वहां महाराज कोर्ट जाने के तेरा इँतजार कर रहे हैं।" भैंसे ने भी गुस्से में आकर कहा-" आले-साले मत बोल चित्रगुप्त नहीं तो ठीक नहीं होगा। जैसे तुम लोग सेवक हो यमराज के .... वैसे मै भी हुँ। मैं यहां पर तुम्हारा ही काम लगाने आया हुँ। "क्या काम लगाने आया है?"-चित्रगुप्त ने पुछा। |
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