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#1 |
Diligent Member
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![]() धुन कोई नयी सुना सजना जहाँ न कोई गम रहे खुशियों की न कमी रहे महफ़िल आज ऐसी कोई सजा सजना तार दिल के आज बजा सजना धुन कोई नयी सुना सजना पास में न कोई तन्हाई हो चारो तरफ सहनाई हो गीत कोई ऐसा गुनगुना सजना तार दिल के आज बजा सजना धुन कोई नयी सुना सजना रात हो मधुर मिलन की हो मुरादें पूरी आज दिलन की तर दिल के बजा सजना तार दिल के आज बजा सजना धुन कोई नयी सुना सजना Last edited by sombirnaamdev; 31-03-2012 at 10:37 PM. |
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#2 | |
VIP Member
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महफ़िल आज ऐसी कोई सजाना ![]() बहुत ही खूब लिखा है |
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
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#3 |
Diligent Member
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#4 | |
अति विशिष्ट कवि
![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 35 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
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#5 |
Administrator
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bahut badhiya.. hai..
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#6 |
Diligent Member
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sir jo kuch bhi sikha hai vo aap logo ke charanon ki dhul barabar bhi nahi hai ,ummid hai aage bhi isi tarah aap logo kasath milta rahega dhanyavad dr sahab aapka k baar phir se
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#7 | |
Special Member
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बहुत अच्छा लिखा है मित्र कुछ त्रुटियों की तरफ आपका ध्यानाकर्षण करना चाहूँगा भाषा ये कुंजी होती है किसी भी सफल रचना की सहनाई = शहनाई बाकी आपकी रचना सरल शब्दों में है जो की एक बहुत उत्तम गुणवत्ता है ![]() ![]()
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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#8 |
Diligent Member
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#9 |
Diligent Member
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sir mein manta hun k ak acha parshasak vahi hota hai jo aapko aapki kamiyan pahale bataye or baad me parashasha
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