03-10-2014, 11:19 AM | #1 |
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मीडिया का ‘दम’
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03-10-2014, 11:53 AM | #2 |
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Re: मीडिया का ‘दम’
आपकी यह बात ठीक है कि कोई बिज़नस दूसरे बिज़नस का हस्तक्षेप पसंद नहीं करता जबतक की वह पहले बिज़नस द्वारा स्पोंसर्ड न हो. फिल्मों के मामले में आपकी बात उचित नहीं है. रेटिंग अखबार वाले देते हैं. हर अखबार में फिल्म क्रिटिक मिल जायेंगे जो वहां अपना नियमित कॉलम देते हैं. मैंने देखा है कि विभिन्न अखबारों में दी जाने वाली रेटिंग में अधिक अंतर नहीं होता. अर्थात क्रिटिक एक फिल्म के सभी पहलुओं पर गौर करते हुए रेटिंग तय करता है. मेरे हिसाब से रेटिंग का अधिक असर नहीं होता. पिछले दिनों 'हमशकल' फिल्म को 5 में से 1 या 1.5 की रेटिंग दी गयी थी. इसके बावजूद फिल्म एक हफ्ते में ठीक ठाक कारोबार कर गयी थी. बाद में साजिद खान ने अपनी यूनिट को पार्टी भी दी थी. मैंने वह फिल्म नहीं देखी.
दूसरी और 3, 3.5 या 4 की रेटिंग दी जाती है, मैं उन्हें भी नहीं देखता. तो कहाँ बिज़नस पर फर्क पड़ता है. एक और बात. यहाँ आप कई पॉइंट्स मिक्स कर गए हैं. फिल्म एक शो बिज़नस है. मीडिया स्वतंत्र काम कर रहा है. समीक्षा व रेटिंग देना उसका एक रूटीन काम है. फिल्म चले या न चले यह यह उसकी ज़िम्मेदारी नहीं है. हां आजकल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर फिल्म की पब्लिसिटी कई तरह से की जाती है. लेकिन यह भी फिल्म चलने की गारंटी नहीं दे सकते.
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03-10-2014, 02:42 PM | #3 | |
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Re: मीडिया का ‘दम’
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