23-11-2019, 01:02 PM | #1 |
Diligent Member
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ग़ज़ल- मैंने जिसको कहा पराया है
■■■■■■■■■■■■ मैंने जिसको कहा पराया है पहले दुख में वही तो आया है हर किसी शय में दिख रहा है वो जैसे आँखों में ही समाया है फिर नुमायाँ है दिल के आंगन में रोज़ मैंने जिसे भुलाया है मुझको नादान कह रहा है वो मैंने चलना जिसे सिखाया है दिल तो "आकाश" खुद दिया उसने अब क्यूँ कहने लगा चुराया है ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 22/11/2019 ■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 |
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