18-01-2013, 06:12 PM | #1 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
कलियां और कांटे
इस सूत्र में मेरे द्वारा अभी तक कुछ पढी, कुछ सुनी और कुछ अंतरजाल में देखी गयी खट्टी-मिट्ठी कहानियों को मैं प्रस्तुत करने का प्रयत्न करूँगा। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
Bookmarks |
|
|