16-06-2011, 07:34 PM | #1 |
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तीर्थ यात्रा
तीर्थ यात्रा भारत एक महान देश है क्योकि इस भूमि पर अनेको महार्षियो, तपस्वीयो और महापुरुषो और देवताओ का अवतरण हुआ है इसलिये भूमि को देव भूमि कहा जाता है । अनेको सम्प्रदायो से सुज्जित इस भूमि पर उन्ही देवताओ और महार्षियो की जन्म और कर्मस्थल आज तीर्थ स्थान कहलाये जाते है । उन दर्शनिय और पावन स्थलो की यात्रा करने से मन मे एक अनुपम शांति प्राप्त होती है । इसलिये हर सम्प्रदाय मे तीर्थ यात्रा का विधान है । उन्ही तीर्थ स्थलो की थोड़ी जानकारी के साथ आपको मानसिक यात्रा कराने की चेष्टा कर रहा हूं ।
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16-06-2011, 07:45 PM | #2 |
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Re: तीर्थ यात्रा
तीर्थ यात्रा का नाम सुनते ही सबसे पहले सबके मन मे चार धाम का नाम ही याद आता है । तो सबसे पहले इनकी यात्रा करते है । बद्रीनाथ धाम बद्रीनाथ का मंदिर गड़वाल के राजा ने करीब 200 साल पहले बनवाया था । मंदिर के मुख्य तीन भाग है गर्भग्रह, दर्शन मंडप, और सभा मंडप । गर्भघर मे भगवान बद्री नारायण, कुबेर, नारद रिषी, उठावर, और नर-नारायण के दर्शन होते है । बद्रीनारायण भगवान वहां अपने चतुर्भुज रुप मे है जिनके दो हाथ मे शंख, चक्र है और दो हाथ योगमुद्रा मे है । मंदिर में साथ मे उनके वाहन श्री गरुड़ जी का और माता महालक्ष्मी का मंदिर है । वहा पर आदि शंकराचार्य, स्वामी देसीकन और श्री रामानुजन के भी मूर्तियो की स्थापना है । बद्रीनाथ धाम मे देखने लायक स्थानो मे तप्त और सुर्य कुंड, जिनमे पानी हमेशा गर्म रहता है जिसका तापमान 55 डिग्री तक रहता है । पंच बद्री 1 विशाल बद्री : जो की मुख्य मंदिर से कुछ 24 किलोमीटर दूर है । 2 योगथ्यान बद्री : जो की मुख्य मंदिर से कुछ 24 किलोमीटर दुर है यही पर महाराज पांडू ने पान्डुकेश्वर की आराधना की थी । 3 भविष्य बद्री : जो की जोशीमठ से कुछ 17 किलोमीटर दूर है और यहा एक छोटा गांव बसा है । 4 प्रीता बद्री : यहा पर आदि शंकराचार्य ने भगवान बद्रीनारायण की कुछ समय आराधना की थी । 5 आदि बद्री : यहां का माना नारायण मंदिर बहुत विख्यात है साथ मे और भी मंदिर दर्शनीय है । और भी कुछ दर्शीनय स्थान माना गांव : ये गांव भारत और चीन की सीमा पर है और जहां पर महार्षि व्यास महाभारत के युद्ध के समय निवास किया था और महाभारत ग्रंथ की रचना की थी ये भी कहां जाता है गणपति जी भी महाभारत की रचना के समय महार्षि व्यास के साथ यही पर थे और आदि शंकराचार्य ने भी महार्षि व्यास से यही पर वेदो का ज्ञान प्राप्त किया था। फ़ुलो की वैली: विश्व मे सुप्रसिद्ध फ़ुलो की वैली जिसे एक अग्रेज शासक फ़्रेन्क ए स्मिथ ने 1931 मे बनाया था। गोविंद घाट: ये घाट जोशीमठ और बद्रीनाथ के बीच मे स्थित है । लोकपाल हेमकुंड: हेमकुंड साहेब का विश्व प्रसिद्ध गुरुद्वारा यहा स्थित है जो की समुद्र तल से 4320 फ़ीट ऊपर स्थित है बाजू मे ही लोकपाल हेमकुंड की झील है जिसका पानी बहुत निर्मल है । जोशीमठ : यह पहला मठ है जिसे आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था और यही पर उन्होने शंकर भाष्यम लिखा था । ये समुद्र तल से 6150 फ़ीट की ऊचाई पर स्थित है । यहां भगवान नरसिंह और भगवान वासुदेव के मंदिर बने हुये है । पांडुकेश्वर : ये स्थान महाराज पांडू ने बनवाया था और यहा भगवान की आराधना की थी मई से जुन और सितम्बर से अक्टुबर के महिने यहां जाने के लिये उत्तम है । गर्म और ऊनी कपड़े लेकर जाये । वायुमार्ग से जाने पर आपको देहरादून उतरना पड़ेगा जहां से यह स्थान कुछ 315 किलो मीटर दूर है । रेलमार्ग से जाने पर आपको हरिद्वार से रिषीकेश जाना पड़ेगा वहा से ये स्थान कुछ 290 किलोमीटर दूर स्थित है ।
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Last edited by naman.a; 17-06-2011 at 09:09 PM. |
17-06-2011, 04:50 PM | #3 |
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Re: तीर्थ यात्रा
इनके बारे थोड़ा थोड़ा संछेप में जानकारी भी देते जाइएगा
जैसे ये कहाँ है, किस लिए प्रसिद्द है और यहाँ पहुँचने के आसन तरीके कौन कौन से हैं
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
17-06-2011, 06:50 PM | #4 |
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Re: तीर्थ यात्रा
जितनी हो सकेगी मै जानकारी देने की कोशिस करुगा । आपका आभार ।
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17-06-2011, 09:20 PM | #5 |
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Re: तीर्थ यात्रा
बद्रीनाथ के कुछ मनोरम चित्र
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17-06-2011, 09:22 PM | #6 |
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Re: तीर्थ यात्रा
आदि बद्री गोविंदघाट
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17-06-2011, 09:27 PM | #7 |
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Re: तीर्थ यात्रा
हेमकुंठ साहेब
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17-06-2011, 09:36 PM | #8 |
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Re: तीर्थ यात्रा
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17-06-2011, 09:40 PM | #9 |
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Re: तीर्थ यात्रा
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18-06-2011, 09:21 PM | #10 |
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Re: तीर्थ यात्रा
द्वारिकापुरी धाम द्वारिकाधीश बोल द्वारिकाधीश की जय
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