10-11-2011, 10:02 PM | #1 |
Super Moderator
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नारी विमर्श
मित्रो ! मेरा स्वभाव कहें अथवा घर से मिले संस्कार, मैं इस संसार को 'संसार' बनाए रखने के लिए आधी दुनिया का हृदय से आभारी हूं ! हो सकता है कि आप में से बहुत से सज्जन मेरे कथन से सहमत न हों, लेकिन वाल्तेयर के शब्दों में 'हो सकता है कि मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हो पाऊं, लेकिन विचार प्रकट करने के आपके अधिकार की रक्षा करूंगा !' दरअसल मेरा यह सूत्र हमारे जीवन में जननी, भगिनी, अर्द्धांगिनी, प्रेयसी, आत्मजा इत्यादि नाना भूमिकाएं अदा करने वाली नारी को समर्पित है ! इस सूत्र में जैसा कि शीर्षक से ज़ाहिर है, मैं नारी जगत से सम्बद्ध सामग्री प्रविष्ट करूंगा - वह उपन्यास भी हो सकता है, कहानी, कविता, निबंध या आत्मकथा भी ! जैसे-जैसे सूत्र आगे बढ़ेगा, आपके विचार इसे एक समृद्ध रूपाकार देंगे, ऐसा मेरा विश्वास है ! धन्यवाद !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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