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23-07-2014, 10:46 PM | #1 |
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प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
गंगा नदी हम सब के लिए अमृत के रूप में गंगोत्री हिमनद से अवतरित होती है.ये अमृत ऋषिकेश के बाद से जहर बनना शुरू हो जाता है, और ये सिलसिला ऋषिकेश,कानपुर से लेकर कोलकाता तक जारी रहता है,जब गंगा के किनारे लगे परमाणु बिजलीघर,रासायनिक खाद और चमड़े के कारखाने जहर रूपी अपना औद्योगिक कचरा गंगा में छोड़ते हैं. प्रेदेश की बड़ी चीनी मीलों का स्क्रैप हर साल गंगा नदी में बहाकर गंगाजल को ख़राब किया जाता है.गंगा तट पर बसे शहरों के नालों की गंदगी का जहर जाकर गंगा नदी में मिल रहा है.कूड़ा-करकट.इंसान व् पशुओं के मृत शरीर तथा प्लास्टिक कचरे के जहर ने भी गंगाजल को प्रदूषित किया है.कई त्योहारों पर हानिकारक रंगो से युक्त देवी-देवताओं की प्रतिमाएं गंगा में प्रवाहित कर उसे प्रदूषित किया जाता है.गंगा में दो करोड़ नब्बे लाख लीटर से ज्यादा प्रदूषित कचरा हर रोज गिर रहा है.गंगाजल में आक्सीजन का स्तर सामान्य तीन डिग्री से बढ़कर असामान्य रूप से छः डिग्री पर जा पहुंचा है.
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23-07-2014, 10:49 PM | #2 |
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Re: प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर-प्रदेश में बहुत सी बिमारियों का कारण जहर बन चूका गंगाजल है.आज गंगा-जल पीने व् नहाने के योग्य नहीं रहा.कई वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा का पानी फसलों की सिंचाई करने के योग्य भी नहीं है.अपने तुच्छ स्वार्थ में अंधे लोभी लालची मनुष्य ने जड़ी-बूटियों के स्पर्श से अमृत बनकर बहती मां गंगा की कीमत नहीं समझी.अब प्रकृति भी शायद हमारे बीच से मां गंगा को लुप्त करना चाहती है.संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा को हिमालय पर जल देने वाली हिमनदी सन 2030 ई तक समाप्त हो सकती है,फिर गंगा वर्षा के ऊपर आश्रित होकर एक बरसाती नदी बनकर रह जायेगी.गंगा भारत के सभ्यता व् संस्कृति की पहचान है.भारत सरकार ने सन 2008 ई में गंगा को भारत की राष्ट्रिय नदी घोषित किया और इलाहाबाद-हल्दिया के बीच गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रिय जलमार्ग घोषित किया.
गंगा को बचाने के लिए और प्रदूषणमुक्त करने के लिए सबसे पहले सन 1985 ई में समाजसेवी एम् सी मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की कि गंगा के किनारे किनारे लगे कारखानों और गंगा के किनारे बसे शहरों से निकलने वाली गंदगी को गंगा में बहाने से रोका जाये.सुप्रीम कोर्ट के दबाब से जागी सरकार ने गंगा की सफाई के लिए सन 1985 ई में गंगा एक्शन प्लान शुरू किया.इस योजना के अंतर्गत गंगा के किनारे बने कारखानो का जहरीला पानी और गंगा के किनारे बसे शहरों का गन्दा पानी साफ करने का प्लांट लगाया जाने लगा,इससे गंगा के पानी की शुद्धता में कुछ सुधार हुआ.बीस सालों में 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने पर भी गंगा निर्मलीकरण अभियान असफल रहा.मेरे विचार से इस प्लान की असफलता की वजह यह रही कि गंगा में निरंतर गिर रहे कारखानो के जहरीले पानी और शहरों के सीवर के गंदे पानी को गंगा में बहने से पूर्णत:रोका नहीं जा सका.आज भी गंगा नदी के प्रदूषित होने की मुख्य वजह यही है.गंगा के किनारे बसे शहरों में सीवर का गन्दा पानी जितना निकल रहा है,उस हिसाब से सीवेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था हमारे पास नहीं है.उदहारण के लिए वाराणसी शहर में लगभग तीन सौ एम्एलडी गन्दा पानी निकल रहा है,जबकि गंदे जल की शोधन की हमारी व्यवस्था प्रतिदिन सिर्फ लगभग 100 एम्एलडी सीवेज ट्रीटमेंट की है.सरल शब्दों में इसका यह अर्थ हुआ कि लगभग 200 एम्एलडी सीवर का गन्दा जल प्रतिदिन गंगा नदी में मिलकर गंगा जल को प्रदूषित कर रहा है.यही हाल गंगा नदी के किनारे बसे अन्य दूसरे शहरों का भी है.
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23-07-2014, 10:51 PM | #3 |
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Re: प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
गंगा के पानी को शुद्ध करने का सबसे कारगर तरीका है गंगा नदी के बहाव को तेज किया जाये,जबकि इसके ठीक विपरीत टिहरी में भागीरथी नदी पर बांध बना कर पानी के तेज बहाव को बहुत हद तक रोक दिया गया है,बहुत समय से साधू-संत इसका विरोध कर रहे हैं,विरोध करने वाले साधू-संतों से नेता बड़ी बेशर्मी से पूछते हैं कि आप को बिजली चाहिए या गंगा में पानी? गंगा के बहाव के साथ पहाड़ों से कटकर आने वाली मिटटी गंगा की गहराई को कम करते हुए जमीनी पानी से उसका नाता तोड़ती जा रही है.अत:जहाँ पर जरुरत महसूस हो वहाँ पर हर वर्ष गंगा नदी में खुदाई करा कर गंगा की गहराई पर धयान दिया जाये,भूमि का पानी और गंगा का पानी दोनों का मेल रहेगा तो पानी की शुद्धता जरुर बढ़ेगी.
अब स्वच्छ गंगा अभियान के तहत कूड़े-करकट को शहर से दूर एक बड़े कुंड में जमा किया जाने लगा है,सफाई का यह जैविक तरीका बहुत कारगर है.गंगा निर्मलीकरण अभियान से लोगों में जागरूकता बढ़ रही है.मिडिया भी जनमानस को,स्थानीय प्रशासन को और राज्य व् केंद्र सरकार को भी भली-भांति गंगा निर्मलीकरण के लिए प्रेरित कर रही है.गंगा की सफाई के लिए मूल रूप से प्रयास केंद्र व् राज्य सरकारों को ही करना होगा, क्योंकि गंगा की सफाई के सभी संसाधन उन्ही के पास है,बस उनमे दृढ इच्छाशक्ति का अभाव है. कई त्योहारों पर गंगा जी में बहाई जाने वाली हानिकारक रंगों से युक्त देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाने के लिए कोर्ट से लेकर सरकार तक सभी गम्भीरता से विचार कर रहे हैं.
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23-07-2014, 10:54 PM | #4 |
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Re: प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
समय के अनुसार परम्पराएं बदलती रहतीं हैं और आवश्यक होने पर बदलना भी चाहिए.ज्यादा अच्छा तो ये है कि त्योहारों पर पंडालों में हम देवी-देवताओं की ऐसी प्रतिमाये रखें,जो धातु की हों,और जिन्हे गंगा में विसर्जित करने की जरुरत ही न पड़े. हर साल वही प्रतिमाएं पंडाल में रखी और पूजी जाये.अंत में सभी लोगों से मेरा विनम्र निवेदन है कि आप सब लोग माँ गंगा के जल को निर्मल करने में अपना सहयोग दें और हर व्यक्ति ये प्रण करे कि वो व्यक्तिगत रूप से गंगा जी में कोई भी कूड़ा-करकट या पोलिथिन का थैला प्रवाहित नहीं करेगा.धरती पर गंगा का अवतरण कठिन तपस्या करके भगीरथ ने किया था और आज के समय में तपस्यारत सभी साधू-संतों को गंगा को निर्मल करने के लिए भगीरथ बनना पड़ेगा और आम जनता यानि हम सब को भी भगीरथ बनकर व् कठिन से कठिन प्रयास करके भी गंगा की रक्षा करनी है.
हमने गंगा में गंदगी और कचरा फेंककर गंगा के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है. अत: गंगा निर्मलीकरण के लिए हम सबको आज का भगीरथ बनाना ही पड़ेगा.गंगा को धरती पर लाने वाला भगीरथ हम नहीं बन सकते, परन्तु धरती पर माँ गंगा को स्वच्छ रखने वाले और धरती से माँ गंगा को लुप्त होने से बचाने वाले भगीरथ हम सब लोग जरुर बन सकते हैं. माँ गंगा सदियों से मनुष्य जीवन के चारों पुरुषार्थों-धर्म, अर्थ, काम व् मोक्ष की प्राप्ति में सहायक रही हैं और आज भी हैं. गंदगी और कूड़े कचरे के रूप में माँ गंगा करोड़ों लोगों का पाप और दबाब झेलते हुए भी करोड़ों लोगों को कहीं भूमि सिंचित कर तो कही पीने का जल प्रदान कर अन्न और जल प्रदान कर रही हैं. गंगा में स्नान कर लोग अपने पापों का नाश करते हैं.अधिकतर लोग यही चाहते हैं कि मरने के बाद गंगा के किनारे उनका अंतिम संस्कार हो और उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित कर दी जाएँ .हिंदुओं के समस्त पूजा-पाठ व् धार्मिक संस्कारों में गंगाजल का प्रयोग होता है,इसीलिए गंगाजल को पवित्र और आवश्यक मानकर घर-घर में रखा जाता है.माँ गंगा न सिर्फ हमारी आस्था की केंद्र हैं, बल्कि वो दुनिया भर में हमारी पहचान भी हैं. देश-विदेश में लोग आज भी ये गीत गुनगुनाते हैं- होठों पे सच्चाई रहती हैं,जहाँ दिल में सफाई रहती हैं हम उस देश के वासी हैं, जिस देश में गंगा बहती हैं (सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी)
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26-07-2014, 11:48 AM | #5 |
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Re: प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
सभी प्रबुद्धजनों के दिल में बस यही एक ख्याल आता हें की "प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा और भारत की अन्य सभी नदिया ?" ईस ज्वलंत समस्या पर पर सूत्र बनाने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद......
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*** Dr.Shri Vijay Ji *** ऑनलाईन या ऑफलाइन हिंदी में लिखने के लिए क्लिक करे: .........: सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे :......... Disclaimer:All these my post have been collected from the internet and none is my own property. By chance,any of this is copyright, please feel free to contact me for its removal from the thread. |
02-08-2014, 10:57 PM | #6 |
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Re: प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
सूत्र पसंद करने के लिये व इसमें व्यक्त किये गये विचारों से सहमति व्यक्त करने के लिये बिंदुजी, रफ़ीक जी और डॉ. श्री विजय के प्रति मैं अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ.
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02-08-2014, 11:00 PM | #7 |
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Re: प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
गंगा न होगी तो हम भी न होंगे
के.एन. गोविन्दाचार्य भारत के पौराणिक साहित्य से लेकर यहां की लोककथाओं तक में ऐसे कई प्रसंग मिल जाएंगे, जिसमें गंगा की अविरल धारा को उसी तरह त्रिकाल सत्य माना गया है, जैसे सूर्य और चंद्रमा को। लोग गंगा की धारा को अटूट सत्य मानकर कसमें खाते थे, आशीर्वाद देते थे। विवाह के समय मांगलिक गीतों में गाया जाता था, ‘जब तक गंग जमुन की धारा, अविचल रहे सुहाग तुम्हारा।’ क्या आज इस गीत का कोई औचित्य रह गया है? अतीत का विश्वास आज टूट चुका है। गंगा की अविरल धारा खंडित हो चुकी है। भागीरथी, धौलीगंगा, ऋषिगंगा, बाणगंगा, भिलंगना, टोंस, नंदाकिनी, मंदाकिनी, अलकनंदा, केदारगंगा, दुग्धगंगा, हेमगंगा, हनुमानगंगा, कंचनगंगा, धेनुगंगा आदि वो नदियां हैं, जो गंगा की मूल धारा को जल देती हैं या देती थीं। हरिद्वार में आने से पहले जिन 27 प्रमुख नदियों से गंगा को पानी मिलता था, उनमें से 11 नदियां तो धरा से ही विलुप्त हो चुकी हैं और पांच सूख गई हैं। ग्यारह के जलस्तर में भी काफी कमी हो गई है।
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02-08-2014, 11:01 PM | #8 |
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Re: प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
युगों-युगों से भारत की सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक रही गंगा भविष्य में भी बहती रहेगी, या घोर कलियुग के आगमन का संकेत देते हुए विलुप्त हो जाएगी, इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है। लेकिन इस समय जो परिस्थितियां बन रही हैं, उसे देखते हुए संतोष व्यक्त नहीं किया जा सकता। गंगा की समस्याएं अनगिनत हैं लेकिन उन सभी के मूल में मनुष्य है, जिसका उद्धार करने के लिए वह पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। मनुष्य ने पिछले दो सौ वर्षों से अपनी तथाकथित तरक्की के लिए जो उपभोगवादी रास्ता चुना है, वह अभी तो बहुत हरा-भरा और लुभावना दिख रहा है, लेकिन अंततः वह उस रेगिस्तान की ओर जाता है, जहां विनाश के सिवाय कुछ भी नहीं है।
गंगा नदी भारत के बहुत बड़े भूभाग का हजारों वर्षों से पालन-पोषण करती आ रही है। हमारे पूर्वजों ने गंगाजल को इस तरह इस्तेमाल किया कि गंगा के अस्तित्व पर कभी कोई संकट नहीं आया। लेकिन आज गंगाजल के संयमित उपभोग की बजाए उसके दोहन और शोषण पर जोर है जिसके चलते स्वर्ग से लायी गई इस अमृतधारा के विलुप्त होने का खतरा बढ़ गया है। जितनी जल्दी इंसान को यह समझ आ जाये कि ‘गंगा न रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे’ उतना ही अच्छा होगा। **
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09-08-2014, 12:27 AM | #9 |
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Re: प्रदूषण मुक्त कैसे होगी गंगा?
गंगा बचे तो बचे कैसे?
***************** ^^ गंगा समग्र यात्रा के दौरान कानपुर में उमा भारती ने कहा था कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर दो काम उनकी प्राथमिकता में होंगे। एक यह कि कानपुर के गंगा-जल को आचमन के योग्य बनाएंगे। और दूसरा, गौ हत्या पर काफी सख्त कानून बनाया जाएगा। लेकिन यहां हम बात केवल गंगा की कर रहे हैं। गंगा को लेकर बड़े-बड़े वादे करने वाले अब सत्ता में हैं।कानपुर से ही बात शुरू करते हैं। इन पंक्तियों के लेखक का दावा है कि कानपुर में गंगा-जल है ही नहीं। तो फिर आचमन-योग्य किस चीज को बनाया जाएगा? कानपुर गंगा पथ का ऐसा अभागा शहर है जहां नाव पतवार से नहीं, बांस से चलती है। यहां की गंगा में तो टीबी अस्पताल के नाले जैसे कई नालों की गाद और टिनरीज का लाल-काला पानी है, जिसमें बांस गड़ा-गड़ा कर नाव को आगे बढ़ाया जाता है। हरिद्वार में आधे से ज्यादा गंगा-जल दिल्ली को पीने के लिए हर की पैड़ी में डाल दिया जाता है। इसके बाद बिजनौर में मध्य गंगा नहर से भारी मात्रा में पानी सिंचाई के लिए ले लिया जाता है। बचा-खुचा पानी नरौरा लोअर गंग नहर में डाल कर उत्तर प्रदेश के हरित प्रदेश में पहुंचा दिया जाता है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 09-08-2014 at 01:05 AM. |
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