07-10-2014, 09:29 AM | #1 |
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कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
मनुष्य जीवन के लड़ता है तथा साथ में मौत भी बाँटता है यह तो समझ में आता है पर यह जीवन का द्वंद्व कैसे है ? यह समझ नहीं आ रहा | उसके बाद का तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा | द्वंद्व और द्वैत को यहाँ किस अर्थ में प्रयोग किया है ? उसको अद्वैत से कैसे जोड़ा है , कुछ समझ में नहीं आ रहा | कोई हिंदी का विद्वान उपरोक्त अनुच्छेद की व्याख्या कर देगा मेरे लिए ? हृदयपूर्वक आभार रहेगा | |
07-10-2014, 10:02 AM | #2 | |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
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07-10-2014, 10:17 AM | #3 |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
साहित्य की हरी-हरी घास बाँटने के लिए ५१ पॉइंट्स नगद इनाम मेरी और से.
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07-10-2014, 12:10 PM | #4 |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
हिंदी का कोई विद्वान यहाँ आ कर श्रीमान rsmahanti की इस पहेली को हल करना चाहे तो उसका स्वागत है.
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07-10-2014, 04:04 PM | #5 |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
पॉइंट्स के लिए धन्यवाद रजत जी | काफी दिनों से यह अनुच्छेद मुझे परेशान कर रहा है | मुझे उम्मीद है कि इस फोरम में आप लोगों की सहायता से यह परेशानी हल हो जाएगी |
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07-10-2014, 11:06 PM | #6 |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
लगता है अभी मुझे और इंतज़ार करना पड़ेगा |
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08-10-2014, 01:25 AM | #7 | |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
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पहला अर्थ — मृत्यु के विलोम के रूप में अर्थात जिवित दूसरा अर्थ — खट्टे मिठे अहसासों के साथ एक जिवित प्राणी जो जीता है उसे जीवन कहा है । जीवित रहने के लिए एडी—चोटी का जोर लगाते हुए प्रयासरत रहना, साम—दाम—दण्ड—भेद द्वारा पूर्ण रूप से जीवित रहने में लगे रहना और मृत्यु को अनवरत परास्त करने के सम्मीलित प्रसास को ही द्वन्द या संघर्ष कहा गया है !....और इसी को द्वैत कहा गया है! द्वैत और अद्वैत को सम्पूर्ण रूप से समझने के लिए तो यहां बहुत सारा लिखना पड़ेगा ! ...पर संक्षेप में बताता हूं— द्वैत और अद्वैत एक ही धागे के दो सिरे है , भाव का प्रकटीकरण द्वैत में होता है और अद्वैत में भाव बीज रूप में रहता है । दूसरे रूप में जो कुछ भैतिकिय रूप में सम्पन्न होता है वो द्वैत है और जो कुछ मानने के अर्थ में (अंगेजी के सपोज शब्द)लिया जाता है वो अद्वैत है । इसको एक और उदाहरण से समझते है — " नदी तब तक नदी है जब तक दो किनारो से बंधी चल रही है , जैसे ही दो किनारो कि सीमाए समाप्त हुई वो सागर बन गयी। " यानि कि पूर्ण हो गयी अद्वैत को उपलब्ध हो गयी। मतलब जब तक नदी दो किनारों से बधी होती है तब तक ही भोतिकिय रूपमें जानी और समझी जाती है सागर में मिलने के बाद नहीं ! आप द्वारा प्रस्तुत पेरे में द्वेत और अद्वैत का अर्थ यही है कि बिना द्वैत के अद्वैत को कोई मुल्य नहीं है । यहाँ मतलब ये है कि व्यक्ति कि बुद्धिगत आस्था शरण कहाँ पाती है , किसी की द्वैत में तो किसी की अद्वैत में। किसी कि अजान में तो किस कि कर्मकांड में। जो अद्वैत में डूब गया वो सूफी कलाम बन गया , मीरा के गीत बन गया। मीरा ने कृष्णा से प्रेम करके द्वैत भाव बना दिया तो कबीर ने उस परम में अपनी लौ लगा के द्वैत में प्रवेश कर लिया , यानि की पूर्ण अद्वैत का अर्थ है दो का स्थान ही न रहना; पूर्ण ऊर्जा बन जाना। उस की ऊर्जा में मिलकर एकाकार हो जाना। इस अर्थ में गहन से गहन अभ्यासी भी द्वैत में ही जी रहा है। ५ तत्व से निर्मित शरीर की सीमाओ में अद्वैत सम्भव ही नहीं। बस फर्क सिर्फ आस्था का है विश्वास का है और माध्यम का है ,अपने एक अर्थ द्वैत में व्यक्ति आस्था के माध्यमो में घिरे दीखते है जिसमे मूर्तियां मंदिर मस्जिद चर्च आदि शामिल है और दूजे अर्थ में बिना माध्यम के इस अभिव्यक्ति रुपी गंगा को बहने का रास्ता मिल जाता है जिनको सूफी , संत , बाउल आदि आदि नामो से जाना जाता है। (उपर का कुछ पेरा समझाने के लिए नेट से लिया है) |
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08-10-2014, 04:50 PM | #8 |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
मैं ठीक से समझा नहीं |
एक तरफ जीवन के लिए लड़ता है दूसरी तरफ मौत भी बाँटता है - यह द्वंद्व ही तो जीवन है | उपरोक्त वाक्य में मौत बांटने से तात्पर्य मानव द्वारा फैलाई जा रही हिंसा से है ऐसा मेरा अनुमान है | एक तरफ जीवन के लिए लड़ना दूसरी तरफ हिंसा करना यह जीवन का द्वंद्व कैसे होता हो सकता है ? यह मनुष्य का विरोधाभासी स्वभाव है | पर जीवन का द्वंद्व कैसे है ? द्वंद्व शब्द को यहाँ किस अर्थ में प्रयोग किया गया है ? |
08-10-2014, 09:19 PM | #9 | |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
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08-10-2014, 11:43 PM | #10 |
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Re: कोई मुझे इस अनुच्छेद का अर्थ समझाएगा ?
मित्र rsmahanti के मन का द्वंद्व यदि अभी तक न दूर हुआ हो तो मेरा उन्हें परामर्श है कि वह कमलेश्वर की कहानी ''चप्पल' को मनोयोगपूर्वक पढ़ें जहाँ से उक्त गद्यांश लिया गया है. कहानी के एक एक शब्द, एक एक प्रसंग, एक एक पात्र और कथानक को आगे बढ़ाने वाले सूत्र पर मनन करते हुये दिये गए गद्यांश को समझने का प्रयास करें.
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