08-01-2015, 12:55 PM | #1 |
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मार्कागीरी/Branding
मैंने कहा- ‘ठीक है।’ कुछ दिनों बाद मैं फिर उसी दूकान पर पहुँचा और कहा- ‘और सुनाइए, खान साहब। सब खैरियत तो?’ दूकान पर खड़े इकलौते ग्राहक के जाते ही दूकानदार ने फिर मुँह बनाकर कहा- ‘आज खान साहब कहने की क्या ज़रूरत थी? हिन्दू ग्राहकों के सामने खान साहब कहेंगे तो दूकानदारी क्या खाक चलेगी?’ मैंने कहा- ‘ऐसा करिए। आप अपने सभी ग्राहकों की फ़ोटो के साथ एक प्रोफ़ाइल बनाकर मुझे दे दीजिए। मैं आपके सभी ग्राहकों को पहिचान लूँगा और फिर आपको सम्बोधित करने में कोई गड़बड़ी न होगी!’ दूकानदार ने मुँह बनाकर मुझे इस तरह देखा जैसे किसी एलियन को देख रहा हो!
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08-01-2015, 02:35 PM | #2 |
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Re: मार्कागीरी/Branding
बहोत खुब! चाहे प्रोड्क्ट या दूकानदार जो भी ब्रान्ड का हो, आपका सुत्र 'रजत ब्रान्ड' ही है!
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08-01-2015, 05:24 PM | #3 | |
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Re: मार्कागीरी/Branding
Quote:
बिलकुल ठीक कहा आपने Deep ji, Rajat ji ने तो यहाँ हास्य व्यंग्य पर अपना Copyright कर रखा है। Rajat ji के हर थ्रेड पर ' ' icon होता है , और मात्र Title देख कर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ये थ्रेड इन्होने ही शुरू किया होगा।
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08-01-2015, 06:25 PM | #4 |
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Re: मार्कागीरी/Branding
सही कहा पवित्रा जी आपने
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13-01-2015, 11:07 AM | #5 |
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Re: मार्कागीरी/Branding
मैंआपका मतलब बखूबी समझ गया। आपने ही अमावस का राज़ शिखा जी को बताया।
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13-01-2015, 02:34 PM | #6 |
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Re: मार्कागीरी/Branding
good
topic but no updates !!! |
13-01-2015, 04:11 PM | #7 |
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Re: मार्कागीरी/Branding
क्या हो रहा है मित्रो
रजत जी तो उलझ गए लगते हैं भाई आगे बढिए
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