My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Miscellaneous > Healthy Body
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 01-11-2015, 03:36 PM   #1
Pavitra
Moderator
 
Pavitra's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Location: UP
Posts: 623
Rep Power: 32
Pavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond repute
Default सूर्य चिकित्सा

कहते हैं पहला सुख निरोगी काया , परन्तु आज-कल की व्यस्त दिनचर्या में लोगों के पास अपने स्वास्थ्य के लिये भी समय का अभाव रहता है।हम प्रकृति से दूर हो गये हैं और यही हमारे रोगों का मूल कारण है । पहले के समय में लोग प्रकृति के करीब थे , न आज के समय जैसा प्रदूषण था और न ही अब जैसे रोग । यदि हम पुनः प्रकृति की ओर लौटें तो हम सरलता से खुद को निरोगी रख सकते हैं । प्राणायाम , योगासन , ध्यान , प्राकृतिक चिकित्सा , आयुर्वेद आदि के माध्यम से आरोग्य पाना बहुत ही आसान है । हमारे शास्त्रों में ऐसी बहुत सी सरल पद्धतियाँ हैं जिनके माध्यम से हम खुद को सरलता से , कम समय में भी निरोगी रख सकते हैं।

प्राकृतिक चिकित्सा में एक ऐसी सरल विधि है “सूर्य चिकित्सा” । सूर्य ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है , एवं सम्पूर्ण सृष्टि के संचालन में अति महत्वपूर्ण । सूर्य चिकित्सा के माध्यम से व्यक्ति सरलता से आरोग्य प्राप्त कर सकता है । सूर्य चिकित्सा में रंगों का बहुत महत्व होता है । प्रत्येक रंग अलग-अलग प्रकार के रोगों के लिये उपयोगी होता है । यहाँ हम सूर्य चिकित्सा में सूर्य की किरणों के प्रभाव से तैयार तेल द्वारा रोगोपचार के विषय में जानते हैं ।
तेल मालिश अपने आप में एक इलाज है । यही कारण है कि मालिश पद्धति आज की नहीं है अपितु सदियों से चली आ रही है । मालिश मृत त्वचा के लिये संजीवनी के समान है । यूँ तो अलग-अलग तेलों के माध्यम से मालिश की जाती है परन्तु यदि कुछ विशेष तेलों का उपयोग किया जाये मालिश हेतु तो ये विशेष असरकारी और गुणकारी होती है । ये विशेष तेल सूर्य की किरणों के प्रभाव से तैयार किये जाते हैं और अलग-अलग रोगों में अलग-अलग तेलों का प्रयोग किया जाता है ।

इसके लिये विशेष तौर पर चार रंगों का प्रयोग किया जाता है – लाल , नीला , हरा , और हल्का नीला रंग ।

लाल रंग का तेल – लाल रंग के तेल का प्रभाव बहुत गर्म होता है । जहाँ गर्मी देने की या हरकत पैदा करने की आवश्यकता होती है वहाँ यह तेल बहुत उपयोगी होता है । जोडों का दर्द हो या शरीर में अकडन हो , यह तेल उक्त भाग में गर्मी प्रदान करता है और राहत देता है ।

नीला रंग का तेल – नीले रंग का तेल ठंडक प्रदान करता है । नाडी दौर्बल्यता , नपुंसकता , शरीर में अधिक गर्मी , सूखी खारिश , आदि में नीले रंग के तेल की मालिश असरकारक होती है ।

हरा रंग का तेल – हरा रंग का तेल चर्म रोगों में फायदा करता है । हरा रंग का तेल कृमिनाशक होता है जिसकी वजह से त्वचा सम्बन्धी परेशानियों में यह असरकारक होता है । त्वचा से सम्बन्धी कोई भी समस्या हो जैसे कालापन , खुजली , सन-टैन आदि , सभी परेशानियों में यह बहुत उपयोगी है ।

हल्का नीला रंग का तेल – हल्के नीले रंग का तेल बहुत ही ठंडा होता है । इस तेल से सिर की मालिश करनी चाहिये , पागलपन , हिस्टीरिया के रोगों में य तेल बहुत ही उपयोगी है । इस तेल से गर्दन , सिर , पीठ की मालिश करनी चाहिये ।

जोडों का दर्द , साइटिका , त्वचा सम्बन्धी परेशानियाँ आदि में विशेष रंगों से तैयार तेल विशेष लाभकारी होते हैं ।

तेल तैयार करने की विधि
जिस भी रंग का तेल तैयार करना हो , उस रंग की काँच की बोतल लें । नारियल के शुद्ध तेल से बोतल को भर दें, बोतल को पूरा नहीं भरना है, चौथाई भाग खाली छोड दें । अब बोतल को बन्द कर दें और लकडी के पट्टे पर रख कर धूप में रख दें । ध्यान रखें बोतल को जमीन पर नहीं रखना है लकडी पर ही रखना है । 40 दिनों तक बोतल को सूर्य की रौशनी में रखें , सुबह धूप में रखें और शाम को सूर्य ढलते समय बोतल को हटा दें , बोतल पर चन्द्रमा की रौशनी नहीं पडनी चाहिये । 40 दिनों के बाद नारियल का तेल का रंग बोतल के रंग जैसा हो जायेगा और तेल उपयोग करने हेतु तैयार हो जायेगा ।
__________________
It's Nice to be Important but It's more Important to be Nice
Pavitra is offline   Reply With Quote
Old 01-11-2015, 10:23 PM   #2
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: सूर्य चिकित्सा

सूर्य की ऊर्जा पर आधारित 'सूर्य चिकित्सा' का concept अद्भुत है. सूर्य की किरणों से प्राप्त होने वाली विटामिन 'डी' से तो हम परिचित हैं, किंतु कुछ नया पढ़ने को मिल रहा है. धन्यवाद, पवित्रा जी.

__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
तेल मालिश, रंग, रंगों से उपचार, सूर्य चिकित्सा


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 04:55 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.