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#1 |
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#2 |
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"उम्र की बदिँशो से आजाद है प्रेम..
"समाज की नजर मेँ पाप है प्रेम.. "परमात्मा के सबसे निकट है प्रेम.. "आदमी का आदमी से समबन्ध है प्रेम.. "दौ दिलो को जोडता है बस प्रेम.. "पतझड मे भी फुल खिलाता है प्रेम.. "रोते हुये बच्चे कौ हंसाता है प्रेम.. "सुबह की लाली है प्रेम.. "बादलो से जो बरसता है वो अर्मत है प्रेम.. "प्रेम शाक्षत है, अनश्रर हैँ, सनातन सत्य है प्रेम, ये धरती , अम्बर , सारा ससाँर सब है सिर्फ प्रेम.. |
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#3 |
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"दरअसल प्रेम मुकबुधिर, ओर अधाँ होते हुये भी इतना शक्तिशाली है जिसका असर हर इन्सान की जिदगीँ मेँ बरसो तक रहता है"
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#4 |
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दोस्तो प्रेम एक शब्द नहीँ, बल्कि एक भावना है अहसास है! यह जिस दिल मे उपजता है तो सुख-दुख,लाभ-हानि,मान-अपमान,अपना-पराया का भेद मिटा देता हैँ. प्रेम सबके लिये हर समय एक जैसा रहना चाहिये! एक प्रेम ही ऐसा है जिससे दुश्मन भी अपने हो जाते है, बिना प्रेम के जीवन तौ नीरस है प्रेम है तो खुशी होती है ओर चेहरे पर मुस्कराहट बनी रहती हैँ..
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#5 |
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प्रेम है तो हम जीवन जीते है नहीँ तो हम काटते है जहाँ पुरी मेहनत ओर अच्छी भावना से प्रेम पैदा होता हैँ वह जीवन तौ खुशियो से भर जाता हैँ
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#6 |
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तभी तो कबीरजी ने कहा है...
"प्रेम न बाङी उपजै, "प्रेम न हाट बिकाय, "राजा प्रजा जो चाहे, "शीश देये ले जाये |
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#7 |
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प्लीज दोस्तो अगर आपके पास प्रेम के बारे मे ओर जानकारियाँ है तौ जरुर पोस्ट करे
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#8 |
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प्रेम क्या है एक ऐसा प्रशन जिसके लिये हर किसी के पास अपना अलग-अलग उतर है प्लीज अपने विचार जरुर रखे
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#9 |
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मै सोच रहा हुँ कि क्या प्रेम वास्तव में ऐसा है जिसकी कोई नियत परिभाषा ही नहीँ बन पाई हैं
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#10 |
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क्या प्रेम सचमुच ही ऐसा हैँ, कि इसका स्वरुप देशकाल और परिस्थिती के अनुसार परिवर्तन होता रहता है
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