30-04-2014, 10:53 AM | #1 |
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इस जलती कलम से क्या लिखूं ?
अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं ?? कोयले की खान लिखूं या मनमोहन बेईमान लिखूं ? पप्पू पर जोक लिखूं या मुल्ला मुलायम लिखूं ? सी.बी.आई. बदनाम लिखूं या जस्टिस गांगुली महान लिखूं ? शीला की विदाई लिखूं या लालू की रिहाई लिखूं ‘आप’ की रामलीला लिखूं या कांग्रेस का प्यार लिखूं भ्रष्टतम् सरकार लिखूँ या प्रशासन बेकार लिखू ? महँगाई की मार लिखूं या गरीबो का बुरा हाल लिखू ? भूखा इन्सान लिखूं या बिकता ईमान लिखूं ? आत्महत्या करता किसान लिखूँ या शीश कटे जवान लिखूं ? विधवा का विलाप लिखूँ , या अबला का चीत्कार लिखू ? दिग्गी का’टंच माल’लिखूं या करप्शन विकराल लिखूँ ? अजन्मी बिटिया मारी जाती लिखू, या सयानी बिटिया ताड़ी जाती लिखू? दहेज हत्या, शोषण, बलात्कार लिखू या टूटे हुए मंदिरों का हाल लिखूँ ? गद्दारों के हाथों में तलवार लिखूं या हो रहा भारत निर्माण लिखूँ ? जाति और सूबों में बंटा देश लिखूं या बीस दलो की लंगड़ी सरकार लिखूँ ? नेताओं का महंगा आहार लिखूं या 5 रुपये का थाल लिखूं ? लोकतंत्र का बंटाधार लिखूं या पी.एम्. की कुर्सी पे मोदी का नाम लिखूं ? अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं” |
30-04-2014, 11:03 AM | #2 |
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Re: इस जलती कलम से क्या लिखूं ?
मिलते रहे हैं मंत्री ऐसे , देखो तो जरा ये , देश को मंतर रहे हैं कैसे …………..
चुनाव में खड़े हैं संत्री ऐसे , देखों तो ज़रा , जैसे देश का पेरा ये ही दे रहे हो जैसे …………. कुछ तो हैं ठेकेदार ऐसे , चले हैं लेने ठेका ५ साल का देश का जैसे ……………. दिखा रहे हैं चाँद ऐसे , मांगते हैं लेके कटोरा वोटों की भीखों का जैसे ……………….. दिखा रहे हैं झाड़ू ऐसे , निकले हो करने देश को साफ़ जैसे ………………. खिला रहे हैं कमल ऐसे , कीचड़ की चाय पिलाने देश को निकले हो जैसे …………………. दिखा रहे हो पंजा ऐसे , जकड लिया हो दम घोटने को देश को जैसे ……………………. मिलते रहे हैं मंत्री ऐसे , देखो तो जरा ये , देश को मंतर रहे हैं कैसे …………………… काश मिलजाए इस देश को मंत्री ऐसे , राम ने भी देश कभी चलाया था जैसे …………… |
30-04-2014, 11:06 AM | #3 |
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Re: इस जलती कलम से क्या लिखूं ?
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30-04-2014, 11:09 AM | #4 |
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Re: इस जलती कलम से क्या लिखूं ?
इंडिया की राजनीति में मचा हुआ घमासान है
लोक सभा की सीट ही जैसे हर नेता का अरमान है टिकेट पाने होड़ में रिश्ते नाते भूल रह्रे है पुरानी पार्टी छोड़ कर नए गठबंधन जोड़ रहे हैं महाराष्ट्र हो या बिहार हर रिश्ते पड़ी दरार वोट पाने की चाह में कर रहे एक दूजे पर वार |
30-04-2014, 11:14 AM | #5 |
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Re: इस जलती कलम से क्या लिखूं ?
कफ़न के साथ ही रिस्ते भी दफ़न हो जाते हैं वक्त के पन्नों पर कर्मों का लेखा है कभी हम उनके बाप , तो कभी वो भी हमारे बाप हो जाते हैं कभी हम हिन्दू तो कभी हम भी मुसलमान हो जाते हैं |
30-04-2014, 11:26 AM | #6 |
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Re: इस जलती कलम से क्या लिखूं ?
वादे पूरे करने की वो हिम्मत ही न जुटा पाये
क्यों होगा कैसे होगा वो हिम्मत ही न जुटा पाये जनता ऐसे मूर्ख बनेगी इसका उनको ज्ञान नहीं था ये अनचाहा सब गले पड़ेगा ऐसा कोई भान नहीं था लालच दिखा कर जनता को ऐसे ठगना ठीक नहीं मैदान छोड़ कर भाग गये ऐसा भी करना ठीक नहीं अपनी हठ को ऊपर रख आरोप थोपना ठीक नहीं गलत नीति को ऊपर रख कानून तोड़ना ठीक नहीं बहुत दिखाये थे सपने अब उन सपनों का क्या होगा आप की खातिर धंधा छोडा उन अपनों का क्या होगा शांती स्वरूप मिश्र |
30-04-2014, 01:38 PM | #7 |
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होटों की लिपस्टिक के निशान
एक कॉलेज़ की बहुर सारी लड़कियाँ शरारत करने के लिए अपने होटों परलिपस्टिक लगाती थी और बाथरूम में जाकर वहाँ लगे शीशे पर अपने होटों केनिशान छोड़ देती !
प्रिंसीपल परेशान था, उसे पता ही नहीं चल रहा था कि कौन सी लड़कियाँ यहशरारत करती हैं। प्रिंसीपल के बार बार चेतावनी देने के बावजूद वो लड़कियाँशरारत से बाज नहीं आ रही थी। एक दिन उसने सभी लड़कियों को इकट्ठे होने को कहा और गुस्से होते हुएकहा- तुम जानती हो सफाई करने वाले कर्मचारी के लिए रोज शीशे को साफ़ करना एकसमस्या है, तुम को तो पता भी नहीं कि उसे इस ‘वैक्सी लिपस्टिक’ को साफ़करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। आगे प्रिन्सीपल बोला- आओ, तुम्हें बाथरूम में चलकर दिखाते हैं ! प्रिंसीपल ने सफ़ाईकर्मी को साथ लिया और कुछ लड़कियों को लेकर बाथरूम मेंगया, बोला- चलो एक एक कर के पहले वहाँ शीशे पर अपने होटों के निशान लगाओ। कई लड़कियाँ चुपचाप गई और अपने होंठों की छाप शीशे पर लगा कर आई ! अब प्रिंसीपल ने सफाई वाले को कहा- अब तुम इस शीशे को साफ़ करके दिखाओ कि कितनी मुश्किल और मेहनत से ये दाग साफ़ होते हैं। सफाई वाले ने टॉयलेट साफ़ करने वाला ब्रुश उठाया और उसे टॉयलेट क्लीनर लिक्विड में डुबोया और उससे शीशा साफ़ करने लगा ! वह उस कॉलेज़ में लड़कियों की शरारत का आखिरी दिन था, उसके बाद शीशे पर कभी भी लिपस्टिक के दाग नहीं दिखे ! |
30-04-2014, 01:47 PM | #8 |
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हाजिर जवाबी
मुल्ला नसीरूद्दीन ने एक आदमी से कुछ उधार लिया था। मुल्ला समय पर उधार चुका नहीं पाया और उस आदमी ने इसकी शिकायत बादशाह से कर दी। बादशाह ने मुल्ला को दरबार में बुलाया। मुल्ला बेफिक्री के साथ दरबार पहुँचा।
जैसे ही मुल्ला दरबार पहुँचा वह आदमी बोला- बादशाह सलामत, मुल्ला ने बहुत महीने पहले मुझसे 500 दीनार बतौर कर्ज लिए थे और अब तक नहीं लौटाए। मेरी आपसे दरख्वास्त है कि बिना किसी देरी के मुझे उधार वापस दिलाया जाए। मुल्ला ने यह सुनने के बाद कहा- हुजूर, मैंने इनसे पैसे लिए थे मैं यह बात मानता हूं और मैं उधार चुकाने का इरादा भी रखता हूं। अगर जरूरत पड़ी तो मैं अपनी गाय और घोड़ा दोनों बेचकर भी इनका उधार चुकाऊंगा। तभी वह व्यकि् बोला- यह झूठ कहता है हुजूर इसके पास न तो गाय है और न ही घोड़ा है। अरे इसके पास ना तो खाने को है और न ही एक फूटी कौड़ी है। यह सुनते ही मुल्ला नसीरूद्दीन बोला- जहांपनाह, जब यह जानता है कि मेरी हालत इतनी खराब है तो मैं ऐसे में जल्दी इसका उधार कैसे चुका सकता हूं। जब मेरे पास खाने को ही नहीं है तो मैं उधार दूंगा कहां से। जज ने यह सुना तो मामला रफा-दफा कर दिया। मुल्ला नसीरूद्दीन अपनी हाजिर जवाबी से एक बार फिर बच निकला। |
30-04-2014, 02:02 PM | #9 |
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Re: हाजिर जवाबी
अमीर की नजर में गरीबी
एक अमीर लड़की को स्कूल में गरीब परिवार पर निबंध लिखने को कहा गया। जरा गौर फरमाइए लड़की ने क्या लिखा : एक गरीब परिवार था, पिता गरीब, माँ गरीब, बच्चे गरीब। परिवार में सिर्फ़ चार नौकर थे, वे भी गरीब। स्कार्पियो कार थी वह भी टूटी हुई थी। उनका गरीब ड्राइवर बच्चों को उसी टूटी कार में स्कूल छोड़ के आता था। बच्चों के पास पुराने स्मार्टफ़ोन मोबाइल थे। बच्चे हफ्ते में सिर्फ तीन बार ही होटल में खाते थे बाकी दिन घर पर। घर में केवल दो ए सी थे और वे भी सेकंड हेंड। सारा परिवार बड़ी मुश्किल से ऐश कर रहा था। |
30-04-2014, 02:09 PM | #10 |
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Re: हाजिर जवाबी
बहुत लम्बी सोच एक बार रेलवे स्टेशन पर एक वृद्ध बैठे रेल का इंतजार कर रहे थे। वहाँ एक नवयुवक ने उन वृद्ध से पूछा- अंकल, समय क्या हुआ है? वृद्ध– मुझे नहीं मालूम ! युवक– लेकिन आपके हाथ में घड़ी तो है, प्लीज बता दीजिए न कितने बजे हैं? वृद्ध सज्जन– मैं नहीं बताऊँगा। युवक– पर क्यों? वृद्ध– क्योंकि अगर मैं तुम्हें समय बता दूँगा तो तुम मुझे थैंक्यू बोलोगे और अपना नाम बताओगे, फिर तुम मेरा नाम, काम आदि पूछोगे। फिर संभव है हम लोग आपस में और भी बातचीत करने लगें। हम दोनों में जान-पहचान हो जायेगी तो हो सकता है कि ट्रेन आने पर तुम मेरी बगल वाली सीट पर ही बैठ जाओ। फिर हो सकता है कि तुम भी उसी स्टेशन पर उतरो जहाँ मुझे उतरना है। वहाँ मेरी बेटी, जोकि बहुत सुन्दर है, मुझे लेने स्टेशन आयेगी। तुम मेरे साथ ही होगे तो निश्चित ही उसे देखोगे, वह भी तुम्हें देखेगी। हो सकता है तुम दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठो और शादी करने की जिद करने लगो। इसलिए भाई, मुझे माफ करो ! मैं ऐसा कंगाल दामाद नहीं चाहता जिसके पास समय देखने के लिए अपनी घड़ी तक नहीं है। |
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