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#1 |
अति विशिष्ट कवि
![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Jun 2011
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![]() मन के औज़ार को हथियार बना कर देखो . जिन्होंने ज़ख्म दिए हैं , उन्हें बख्शो न कभी ; उनकी मेहँदी में अपना खून मिला कर देखो . बहुत मुमकिन है कल को दोस्त वो बन जाये फिर ; दुश्मनी ठानो मत , कुछ वक्त भुलाकर देखो . कुछ एक ढीठ हैं ऐसे , के जो साधे न सधें ; खुद को थोपो न उन पे , दिल में समा कर देखो . उम्र झगड़ों में गुज़र जाये , इससे बेहतर है ; थोड़े अधिकार को दूजे में बाट कर देखो . लाख दुश्मन हो , मगर जब बहुत बीमार पड़े ; तुम ऐन वक़्त उसे , उसके घर जाकर देखो . हर बड़े फैसले से पहले सबकी बात सुनो ; जिनसे मतभेद हैं उनको भी बुलाकर देखो . सामने वाला अगर आग - बबूला हो तो ; पलीता मौन का तुम उसके लगाकर देखो . रचयिता ~~डॉ . राकेश श्रीवास्तव गोमती नगर,लखनऊ,इंडिया . |
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#2 |
Administrator
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सन्डे की सुबह सुबह इतनी अच्छी कविता पढने को मिली, अब दिन अच्छा गुज़रेगा.
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#3 |
Special Member
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बहुत ही शानदार प्रस्तुती............
जिन्दगी को जीने का बेहतरीन नजरिया पेश किया है आपने................. |
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#4 | |
Special Member
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बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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#5 |
Special Member
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राकेश जी आपकी ये पंक्तियाँ कुछ समझ से परे हैँ /
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#6 | |
Special Member
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वाह क्या बात है ...वक्त का मरहम शायद दुनियाँ की सबसे कारगर दवा है ...
गजब का पतीला लगाया है डाँक्टर सर जी ... ![]() मिजाज मस्त हो गया ... ![]() ![]() ![]() Quote:
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#7 |
अति विशिष्ट कवि
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वरिष्ट सदस्या , परम माननीया भावना सिंह जी ;
स्त्री होने के बावजूद आपने जाने - अनजाने स्त्री के चाँद से मुखड़े पर मर्द की मूंछ लगाकर उसका विश्लेषण करने का प्रयास किया है , इसीलिए आपको परेशानी पेश आ रही है . दरअसल ग़ज़ल के दो अलग - अलग शेर का एक - एक मिसरा जोड़ कर एक नया शेर ही गढ़ डाला है . इसीलिए आपको भ्रम हो रहा है . कृपया इन दोनों पंक्तियों को सही जगह पर लगा कर पढ़ें . अर्थ स्वयं स्पष्ट हो जायेगा . |
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#8 |
Exclusive Member
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लाजवाब प्रस्तुति .......
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#9 | |
Senior Member
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वो वफ़ा न कर सकेंगी-हम बेवफाई न कर सकेंगे ये हमें मालूम था, हम उनकी बेवफाई से अनजान थे, उनके अचानक पलटने से हैरान थे वो रुसवा करेंगी हमें सरेआम इस बात से हम paresan थे | kuch tuti futi si likha hun ....pasand aae to aah bharna hosake to kabhi na kisi se tum pyr karna...
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खुद हँसों औरों को भी हँसाओ, गम को जिन्दगी से दूर भगाओ,क्यों की हँसना ही जिन्दगी है | Read Forum Rules./Do not Spam./Respect Other members.
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#10 |
अति विशिष्ट कवि
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सर्वश्री युवराज जी , रणवीर जी , मलेठिया जी ,
सागर जी , विक्रम जी , Abhisays ji , ndhebar जी एवं सुश्री भावना सिंह का बहुत - बहुत धन्यवाद . |
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