20-10-2011, 07:35 PM | #1 |
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राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 20-10-2011 at 07:39 PM. |
20-10-2011, 07:35 PM | #2 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
अंत भले को भला !
दूसरों की भलाई करने वाले का अंत में भला ही होता है !
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20-10-2011, 07:36 PM | #3 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
अंत भलो सो भलो !
जिसका अंत सुधर जाए, वही भला है !
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20-10-2011, 07:37 PM | #4 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
अंत मता सो गता !
अंतिम समय में जिसकी जैसी मति होती है, उसी के अनुसार उसकी गति होती है ! सन्दर्भ कथा ! एक स्त्री बाल विधवा थी, केवल हथलेवे की गुनाहगार ! उसने अपनी सारी ज़िंदगी संयम से बिता दी ! किसी पुरुष के हाथ का स्पर्श भी नहीं होने दिया ! जब उसका अंतिम समय आया, तो उसे दिखलाने के लिए एक वैद्य बुलवाया गया ! वह चाहती थी कि वैद्य उसका स्पर्श नहीं करे, किन्तु असमर्थता के कारण बोल नहीं पाई ! वैद्य ने नब्ज़ देखने के लिए उसका हाथ पकड़ा, तो स्त्री को आनंद की असीम अनुभूति हुई ! उसने मन ही मन पश्चाताप करते हुए सोचा कि पुरुष से अलग रह कर वह संसार के सबसे बड़े आनंद से वंचित रही है ! इसी विचार के साथ उसके प्राण पखेरू उड़ गए और अपनी अंतिम भावना के अनुसार वह अगले जन्म में एक सुन्दर लड़की के रूप में एक वेश्या के घर पैदा हुई !
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20-10-2011, 07:37 PM | #5 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
अकल न बाड़ी नीपजै, हेत न हाट बिकाय !
वुद्धि बाड़ी में उत्पन्न नहीं होती और प्रेम बाज़ार में मोल नहीं बिकता !
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20-10-2011, 07:38 PM | #6 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
अक्कल बिना आंधलो, पीसै बिना पांगलो !
वुद्धि के बिना मनुष्य अंधे के समान है और धन के बिना पंगु सदृश होता है !
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22-10-2011, 04:37 PM | #7 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
अक्ल सें खुदा पिछाणे !
वुद्धि से मनुष्य चरम सत्य को भी जान सकता है !
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22-10-2011, 04:41 PM | #8 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
1. अगस्त उगा मेह न मंडे, जे मंडे तो धार न खंडे !
अगस्त्य का तारा उदय होने पर प्रायः वर्षा नहीं होती, किन्तु यदि कभी हो जाए तो फिर खूब जोरों से होती है ! 2. अगस्त ऊग्यो, मेह पूग्यो ! अगस्त्य नामक तारे का उदय होने पर वर्षा का अंत हो जाता है !
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22-10-2011, 04:48 PM | #9 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
अजगर पड्यो उजाड़ में, दाता देवण हार !
अजगर जंगल में पड़ा रहता है, कोई उद्यम नहीं करता, फिर भी भगवान् उसका भरण-पोषण करते हैं ! प्रसंगवश इसी से सम्बंधित दो पद्य भी यहाँ प्रस्तुत हैं - 1 . इजगर पूछै बिजगरा, कहा करत हो मिंत ! पड्या रहा हां धूळ में, हरी करत हैं चिंत !! 2 . अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न काम ! दास मलूका कह गए, सबके डाटा राम !!
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22-10-2011, 04:56 PM | #10 |
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Re: राजस्थानी कहावतों का अद्भुत संसार
अक्ल बड़ी'क भैंस !
भैंस की तरह स्थूल रूप में दिखाई नहीं पड़ने पर भी भैंस की अपेक्षा बुद्धि बड़ी है ! सन्दर्भ कथा - शिकार खेलता हुआ एक राजा जंगल में भटक गया ! जंगल में भेड़-बकरियां चराने वाले दो गड़रियों ने राजा को पानी पिलाया, उसकी सेवा की और राजधानी का रास्ता बता दिया ! नगर पहुंचने पर राजा ने उन दोनों को दरबार में बुलवाया और पुरस्कार मांगने को कहा ! बड़े ने एक अच्छी सी भैंस मांगी और लेकर चला गया ! छोटे ने अक्ल मांगी ! राजा ने उसे अपने यहां रख लिया ! उसे पढ़ाया-लिखाया और एक गांव का हाकिम बना दिया ! कालांतर में बड़े की भैंस तो मर गई, लेकिन छोटे ने अक्ल के बल पर खूब तरक्की की !
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