01-11-2013, 02:38 PM | #1 |
Diligent Member
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दोहा- वैभव...
... कहते हैँ वैभव किसे, जाने कहाँ किसान। फुरसत कब देते उसे, कष्टोँ के फरमान।। ... दोहा - आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri . . . . . . . . . . . . . . . . . . . पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 09919080399 |
02-11-2013, 02:53 PM | #2 |
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Re: दोहा- वैभव...
बहुत अर्थपूर्ण दोहा. इसमें कृषक के खुरदरे जीवन का कटु सत्य सामने रखा गया है. एक सामान्य किसान के लिये मोटा झोटा पहनना और रूखा सूखा खाना ही वैभव की निशानी है.
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