27-12-2012, 10:36 PM | #1 |
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दो बयान और धिक्कार
दोस्तो, भारतीय प्रेस परिषद् के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने एक बयान दिया था कि 99% भारतीय मूर्ख हैं, तब मैंने उन्हें भावनाओं में बह कर काफी भला-बुरा कहने वाले पोस्ट इधर-उधर किए, किन्तु आज मैं उन टिप्पणियों पर शर्मिन्दा हूं। कारण, आज मेरे सामने दो बयान हैं। एक बयान है, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह का और दूसरा मध्य प्रदेश की एक महिला कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनीता शुक्ला का। इससे पहले कि मैं और कुछ लिखूं आप सभी दोनों के बयानों पर गौर फरमाएं।
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27-12-2012, 10:40 PM | #2 |
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Re: दो बयान और धिक्कार
देखिए हबीबुल्लाह क्या फरमा रहे हैं
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह ने दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की घटना के खिलाफ सड़क पर उतरने वाले पूर्व सेना प्रमुख वी. के. सिंह की आलोचना करते हुए उनसे सवाल किया है कि उनके कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के खिलाफ बलात्कार के आरोपों के मामले में जांच की गई अथवा नहीं। जम्मू-कश्मीर कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि यदि जनरल सिंह जैसे लोग इस तरह की घटनाओं पर सरकार को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कारगर सुझाव देंगे, तो मामले का फलदायक निष्कर्ष निकल सकता है। हबीबुल्लाह ने पीटीआई से साक्षात्कार में कहा, ‘उनके (जनरल सिंह) के मामले में मुझे यह कहते हुए खेद हो रहा है कि वे सेना के प्रमुख थे। जम्मू-कश्मीर में सेना के खिलाफ बलात्कार के ऐसे कई संगीन आरोप लगे थे। क्या उन्होंने इन मामलों में जांच की थी? क्या न्याय के लिए कोई प्रयास किया गया था?’ उन्होंने कहा, ‘यहां एक बलात्कार का मामला हुआ। हां, यह बहुत दुखद है, लेकिन यदि वे सरकार की आलोचना इस मामले में करना चाहते हैं, तो क्या वे इस तरह की घटनाओं की जिम्मेदारी स्वयं लेंगे।’ हबीबुल्लाह ने कहा कि यह भी संभव है कि जब सिंह सेना प्रमुख थे, तब वे इस तरह की घटनाओं पर काबू पाने में अक्षम रहे हों अथवा चाहते हुए भी वे इस तरह की घटनाओं में सुधार नहीं ला पाए हों। हबीबुल्लाह ने कहा कि पिछले दो दशक में चीजों में काफी बदलाव हुआ है और सेना को जम्मू और कश्मीर के लोगों के बीच पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए, जबकि अब भी उनके बीच अविश्वास बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘लोगों के बीच अविश्वास की वजह पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है। यदि कुछ गलत होता है, यदि बलात्कार की घटनाएं होती हैं तो प्रशासन को स्वयं ही सक्रियता दिखानी चाहिए। निश्चित ही सेना में भी इस तरह का अनुशासनात्मक बल होना चाहिए, जो स्वयं ही कार्यवाही करें।’ उन्होंने यह भी कहा कि यदि आरोप गलत हैं, तो उन्हें भी सार्वजनिक करना चाहिए।
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27-12-2012, 10:45 PM | #3 |
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Re: दो बयान और धिक्कार
महिला वैज्ञानिक का अजीबोगरीब बयान
मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय पर एक महिला कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनीता शुक्ला के इस संबंध में अजीबोगरीब बयान ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। डॉ. अनीता ने कल यहां पुलिस प्रशासन की ओर से आयोजित एक सेमीनार में एक तरह गैंग रेप के लिए पीडित छात्रा को ही दोषी ठहरा दिया। पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में संपन्न हुए सेमीनार में डॉ. अनीता ने कहा कि छात्रा यदि विरोध नहीं जताती, तो शायद उसकी आंतें निकालने की नौबत नहीं आती। स्थानीय कृषि अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक के पद पर पदस्थ डॉ. अनीता शुक्ला ने कहा कि देर रात्रि में उस छात्रा को अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ घूमने की क्या आवश्यकता थी। यदि कोई लडकी ऐसा करती है, तो ऐसी घटनाओं को रोकना संभव नहीं है। डॉ. अनीता शुक्ला की जुबान यहीं नहीं रूकी। उन्होंने यहां तक कह डाला कि छह लोगों से घिर गई छात्रा यदि विरोध नहीं करती, तो उसकी आंतें निकालने की नौबत नहीं आती। उन्होंने पुलिस के रवैए का पक्ष लेते हुए कहा कि दरअसल महिलाओं ने उन्हें मिले अधिकारों और सुविधाओं का गलत उपयोग प्रारंभ कर दिया है। इसी वजह से इस तरह की घटनाएं प्रकाश में आती हैं। डॉ. अनीता शुक्ला का बयान सुन रहे जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने हालाकि तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई, लेकिन वह डॉ. अनीता शुक्ला के बयान से असहमत भी नजर नहीं आए। हालांकि मीडिया में मामले के आने के बाद पुलिस अधिकारी अब तर्क देने लगे हैं और उनका कहना है कि पुलिस ने इस सेमीनार का आयोजन अवश्य किया, लेकिन यह उनके निजी विचार हैं। इस मामले के राजधानी भोपाल पहुंचने और मीडिया के सक्रिय हो जाने पर राज्य के पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे ने भोपाल में न्यूज चैनलों से कहा कि इस तरह के बयानों को वह उचित नहीं मानते हैं, लेकिन फिलहाल महिला वैज्ञानिक के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का इरादा नहीं है।
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27-12-2012, 11:22 PM | #4 |
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Re: दो बयान और धिक्कार
पहले हबीबुल्लाह साहब। मोहतरम आपका बयान ठीक उसी तरह है, जिसके तहत किसी प्राइम मिनिस्टर से पूछा जाए कि फलां शहर की फलां गली में सफाई ठीक से नहीं होती, आपने क्या किया इस बारे में। मुस्लिम वोट बैंक की तरह इस्तेमाल हो रहे हैं, उनका सरे-आम शोषण हो रहा है, उन्हें बरगलाया जा रहा है और आप इस आग में अपनी रोटियां सेंक रहे हैं । सपा को चुनाव पूर्व अपना समर्थन देने वाले दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम बुखारी आज उसे मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं, क्यों? इस देश में ऐसा कौन नामुराद है, जो यह नहीं जानता। इस स्थिति में आप जैसा एक जिम्मेदार पद पर बैठा आदमी (?) ऎसी गैरजिम्मेदार टिप्पणी करते हुए सत्ता के तलवे चाट रहा है, सिर्फ अपनी कुर्सी बचाए रखने और उसे कुछ और ऊंची करने की खातिर ... धिक्कार है।
अब ये महिला कृषि वैज्ञानिक। हे माता, मुझे महिलाओं से इज्ज़त से पेश आने के संस्कार मिले हैं, अतः आपके बारे में मैं क्या कहूं, लेकिन सिर्फ एक सवाल - खुदा न करे, ऎसी ही स्थिति में आप या आपकी बेटी होती, तो भी क्या आपकी प्रतिक्रिया यही होती? मुझे लगता है कि आपके दिमाग को भी आपके क्षेत्र की तरह कुछ खाद-पानी की जरूरत है। धिक्कार है आपको और आपको इस धरती पर लाने वालों को।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 27-12-2012 at 11:39 PM. |
27-12-2012, 11:33 PM | #5 |
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Re: दो बयान और धिक्कार
निश्चित ही उपरोक्त दोनों ही बयान भर्त्सना के योग्य हैं। बयानों को शाब्दिक रूप देने के लिए धन्यवाद अलैक जी। आभार बन्धु।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
28-12-2012, 12:30 AM | #6 |
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Re: दो बयान और धिक्कार
99% to nahi, lekin 90% to moorkh hai! mujhe samajh nahi aaya, aap iss baat par gussa kyun gaye! agar 1% bhi samajhdar log hai, to unki sankhya 1crore hoti hai. aise me aapko agar adhiktar log samajhdar mile to aapki khush kismati hai. main khud aajtal mushkil se 10 samajhdar log se mila hu.
khair, India ka kuch nahi hone wala. Faltu ki naatakbaji hai ye andolan, aur sab ladaayi. 2 week me sab bhool jayenge, aur phir back to normal. Agar aap se hi poochu, to kitno ko yaad hai, Mumbai me last blast kis din hua tha? 9/11 ka jarur yaad hoga, par India par hue attack ki dates shayad hi yaad hogi. ye hai, humare samajhdar bhaartiyon ki pehchaan. aise me news paper sirf ek ghatiya joke lagta hai.
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28-12-2012, 06:18 PM | #7 | |
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Re: दो बयान और धिक्कार
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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28-12-2012, 06:22 PM | #8 | |
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Re: दो बयान और धिक्कार
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इन साहिवा को तो शायद परिस्थितियों के सामने घुटने टेकने की ही शिक्षा दी गई है
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