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#1 |
Super Moderator
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![]() दर्द ही दर्द मिला है मुझे आराम नहीं. मौत आ मुझको लगा ले तू अपने सीने से, ज़िन्दगी बस ये समझ ले अब तेरा काम नहीं. सब हैं मदहोश मगर तेरे वास्ते ग़म-ए-दिल, खाक-ए-तकदीर से निकला है कोई जाम नहीं. हम भी औरों को तरह खाक में मिल जायेंगे, इससे बेहतर ए मेरे दिल तेरा अन्जाम नहीं. Last edited by rajnish manga; 17-09-2013 at 11:42 PM. |
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#2 |
अति विशिष्ट कवि
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समझ गया कि अच्छा लिखते हैं आप रजनीश मंगा जी किन्तु यदि आप चाह लें तो और भी अच्छा लिख सकते हैं . ऐसी मेरी व्यक्तिगत सोच है .
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#3 |
Super Moderator
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सेंट अलैक जी, अरविन्द जी, डॉ. राकेश श्रीवास्तव जी, रणवीर जी व इनके साथ तीस अन्य सुधि पाठकों के प्रति हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करता हूँ.
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दर्द ही दर्द, मेरी ग़ज़ल, रजनीश मंगा, dard hi dard mila hai, ghazal, poetry of rajnish manga |
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