15-12-2014, 05:01 PM | #1 |
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मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन
मधुबाला :
हरिवंश राय बच्चन : एक अमर काव्य कृति देवराज के साथ
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
15-12-2014, 05:02 PM | #2 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
शुरू करने से पहले
कुछ झलकियाँ मधुबाला से
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15-12-2014, 05:03 PM | #3 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
1
मैं मधुबाला मधुशाला की, मैं मधुशाला की मधुबाला! मैं मधु-विक्रेता को प्यारी, मधु के धट मुझ पर बलिहारी, प्यालों की मैं सुषमा सारी, मेरा रुख देखा करती है मधु-प्यासे नयनों की माला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:03 PM | #4 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
2
इस नीले अंचल की छाया में जग-ज्वाला का झुलसाया आ कर शीतल करता काया, मधु-मरहम का मैं लेपन कर अच्छा करती उर का छाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:03 PM | #5 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
3
मधुघट ले जब करती नर्तन, मेरे नूपुर के छम-छनन में लय होता जग का क्रंदन, झूमा करता मानव जीवन का क्षण-क्षण बनकर मतवाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:04 PM | #6 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
4
मैं इस आँगन की आकर्षण, मधु से सिंचित मेरी चितवन, मेरी वाणी में मधु के कण, मदमत्त बनाया मैं करती, यश लूटा करती मधुशाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:04 PM | #7 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
5
था एक समय, थी मधुशाला, था मिट्टी का घट, था प्याला, थी, किन्तु, नहीं साकीबाला, था बैठा ठाला विक्रेता दे बंद कपाटों पर ताला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:04 PM | #8 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
6
तब इस घर में था तम छाया, था भय छाया, था भ्रम छाया, था मातम छाया, गम छाया, ऊषा का दीप लिए सर पर, मैं आई करती उजियाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:05 PM | #9 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
7
सोने की मधुशाला चमकी, माणिक द्युति से मदिरा दमकी, मधुगंध दिशाओं में चमकी, चल पड़ा लिए कर में प्याला प्रत्येक सुरा पीनेवाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:05 PM | #10 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
8
थे मदिरा के मृत-मूक घड़े, थे मूर्ति सदृश मधुपात्र खड़े, थे जड़वत् प्याले भूमि पड़े, जादू के हाथों से छूकर मैंने इनमें जीवन डाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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