21-06-2013, 12:24 AM | #1 |
Diligent Member
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भीतर में है तूफान छुपा पर गजल पे गजल लिख रहा &
भीतर में है तूफान छुपा पर गजल पे गजल लिख रहा हूँ ! वो क्या जो जाने आज दिल पे मेरे बीती है यादें रात भर मेरे लहू जिगर का पीती हैं दिल में है गम का समंदर बाहर से खाली दिख रहा हूँ ! गम को पीते पीते अंगूर की जवानी पी गया बोतल में डुबोकर प्यार की कहानी पी गया क्यू सरे आम आज बाज़ार में खाली बोतल सा बिक रहा हूँ ! कभी उसके नयनो का मैं इंतेजार हुआ करता था उसके ही दिल का मैं दिल दार हुआ करता था कौन है आज उन आंखो में बसा जाने क्यू नही मैं टिक रहा हूँ ! इस सोमबीर ''''नामदेव '''संग जो तूने सपने सजाये क्या हुई खता तू आज बता जो कर दिये तूने पराए कच्ची स्याही के माफिक दिल के कागज से जाने क्यू मिट रहा हूँ ! सोमबीर नामदेव 9321283377 sombirnaamdev@gmail.com |
21-06-2013, 09:35 AM | #2 |
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Re: भीतर में है तूफान छुपा पर गजल पे गजल लिख रहì
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. एक अच्छी कविता के लिये धन्यवाद देना चाहता हूँ.
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