10-08-2013, 05:53 PM | #1 |
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महफूज हो वतन अपना ऐसा राग चाहिये..
महफूज हो वतन अपना ऐसा राग चाहिये.. .
भारत को बचाने कोई कृष्ण चाहिये... सोई हे यूग चेतना अब अलख चाहिये... देश को जगाने कोई बुद्ध चाहिये... फुट पड़ी हे अंदर अब एका चाहिये... कुटिलताओ से बचने कोई विदुर चाहिये... दुशासन को रोकने अब जज्बा चाहिये... सुशासन लाने को कोई भरत चाहिये... रोग लगा हे दीमक का अब उपचार चाहिये... भ्र्ष्टाचार को मिटाने कोई राम चाहिये... हो रहा शोषण अब विद्रोह चाहिये... लोकत्न्त्र को बचाने कोई अशोक चाहिये... सोया हे युवा भारत अब शंखनाद चाहिये... भारत के गौरव को पाने कोई गुप्त चाहिये... महफूज हो वतन अपना ऐसा राग चाहिये..
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