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20-11-2010, 01:37 PM | #1 |
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द दा विंन्सी कोड
दोस्तो, इस सूत्र का सूत्रधार मै जरूर हूँ, परंतु इसके पालनहार होंगे हमारे प्रिय मित्र अमित तिवारी "अटल" जी।
इनके द्वारा शब्दबद्ध किए गए सूत्र को मैंने अपने कम्प्युटर मे सुरक्षित कर लिया था, तो शुरुआत कि प्रविष्टियाँ मै जरूर कर रहा हूँ, जो कि अटल जी की मेहनत है। जैसे ही पुरानी प्रविष्टियाँ पूरी हो जाएगी, अटल जी उसके आगे का प्रविष्टियाँ करना शुरू कर देंगे। |
20-11-2010, 01:40 PM | #2 |
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Re: दा विंन्सी कोड
भूमिका:
Louvre Museum, Paris ७६ वर्षीय क्यूरेटर Jacques Sauniere म्युसियम की दीवार पर मुश्किल से पहुँचते हुए एक पेंटिंग को खींचने में सफल होते हैं और पेंटिंग खींचते ही शोर के साथ अलार्म बजता है तथा गैलेरी के को कोठरों में बाँटते हुए लोहे के सलाखों वाले गेट गिर जाते हैं | Jacques Sauniere हांफते हुए अपने आप को जीवित होने का दिलासा देते हुए छुपने का स्थान तलाश करते हैं तभी एक आवाज़ से जिस्म में सिहरन आ जाती है " एक इंच भी नहीं हिलाना " Jacques Sauniere आवाज़ की दिशा में देखते हैं और उन्हें एक ठीक सामने सलाखों के पीछे से लंबी आकृति प्रकट होती हुई दिखती है | लंबा कद, पीला सा बदन, सगेद बाल, गुलाबी आँखों में लाल डोरे जैसे नरक का दूत सामने खड़ा हो | वो अपनी कोट की जेब से पिस्तौल निकाल कर क्यूरेटर की तरफ तानते हुए " तुम्हे भागना नहीं चाहिए " उसकी आवाज़ में रहम की कोई जगह नहीं है " अब बताओ मुझे वो कहाँ है " " मुझे नहीं पता तुम किस बारे में बात कर रहे हो " क्यूरेटर ने कहा | हत्यारे ने क्यूरेटर के सिर पर निशाना लगाते हुए कहा " क्या ये सच इतना महत्वपूर्ण है की उसके लिए तुम अपनी जान दे सको ? " क्यूरेटर " रुको, मैं बताता हूँ ! " और उसके बाद के शब्द Jacques Sauniere ने बड़ी सावधानी से कहे | ये वह झूठ था जिसका वो रोज अभ्यास करते रहे और साथ ही प्रार्थना भी करते थे कि इसे कभी प्रयोग ना करना पड़े किन्तु आज... क्यूरेटर के शब्द खत्म होते ही हत्यारे ने क्रूरतापूर्वक हंसते हुए " ये वही झूठ है जो बाकी तीनों ने मुझसे कहा " क्यूरेटर भयमिश्रित आश्चर्य से सिहरते हुए सोचने लगे कि उनके राज़ का इस तीसरे को कैसे पता चला | तभी हत्यारे ने पुनः कहा " जब तुम मर जाओगे तो ये राज़ बस मेरे पास रहेगा | " क्यूरेटर छिपने का प्रयास करते इससे पहले ही एक आवाज़ हुई और क्यूरेटर को अपने पेट पर गर्म सा महसूस हुआ | यह उनके पेट में गोली द्वारा बनाये गए ताज़ा छेद से निकलता खून था | हत्यारे ने अपनी पिस्तौल को देखा और जैसे स्वयं को काम खत्म होने का दिलासा दिया और अँधेरे में गायब हो गया | क्यूरेटर ने अपने लंबे कार्यकाल में कई भयानक मृत्यु देखि थीं और उन्हें पता था कि सलाखों से सील होने के बाद इन गेटों को खोल कर सुरक्षा दल को आने में बीस मिनट लगेंगे | गोली ने उनके पेट को छेद दिया है जिससे निकला पाचक रस धीरे धीरे उन्हें दिल तक पहुंचेगा और उस ज़हर से उनकी पीड़ादायक मृत्यु होने में पन्द्रह मिनट लगेंगे | इन सभी विचारों के बीच क्यूरेटर को एक उससे भी बड़ा भय सताने लगा ! " मुझे उस राज़ को किसी को बताना ही होगा " पिछली पीढ़ी की लाखों सावधानियों के बाद भी आज भाग्य के खेल देखो कि क्यूरेटर अकेले व्यक्ति हैं जो प्रकृति और मानव सभ्यता के इस सबसे बड़े राज़ को अकेले जानने वाले हैं और अकेले ही मृत्यु की और बढ़ रहे हैं | " मुझे इसे किसी ना किसी तरह अगली पीढ़ी को बताना ही होगा " स्वयं से यह निश्चय करते हुए क्यूरेटर लड़खड़ाते क़दमों से आगे बढते हैं | असहनीय दर्द, टूटती सांसें और अकेले में मरने का दुःख ! इन सभी हताशाओं पर विजय पाने की कोशिश करते हुए वह शरीर उस राज़ को सुरक्षित अगली पीढ़ी को पहुँचाने का तरीका ढूंढ रहा है | |
20-11-2010, 01:42 PM | #3 |
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Re: दा विंन्सी कोड
Chapter-1
Robert Langdon धीरे से जागते हुए | अँधेरे में फोन की धीमी धीमी घंटी बज रही है | " क्या मुसीबत है " नाईट गाउन को पहनते हुए घडी में समय देखते रोबर्ट खुद से कहते हैं | १२:३२ ऍम , होटल रिट्ज, पेरिस के शानदार कमरे में मद्धम सी रोशनी है | " सॉरी सर, आशा है आपको नींद से नहीं उठाया " फोन के दूसरी तरफ से आवाज़ आती है | " मैं होटल लॉबी से बोल रहा हूँ, आपसे कोई अभी मिलना चाहता है " " कोई मिलना चाहता है ?, इतनी रात गए " रोबर्ट की आँखें मेज़ पर पड़े एक पेम्पलेट पर केंद्रित होती हैं | जिसमें लिखा है American University of Paris proudly presents An eve with Robert Langdon professor of religious symbology Harvard University " सर मैंने उससे कहा किन्तु . . . " " ऐसी बात है तो आप कृपया आगंतुक से उसका नाम व फोन नंबर ले लें, और उनसे कह दें कि मैं पेरिस से जाने से पहले उनसे अवश्य संपर्क कर लूँगा " रोबर्ट ने एक सांस में कह डाला | " सर आपके मेहमान महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और . . . " आगे कुछ ना सुनते हुए रोबर्ट ने फोन रख दिया | होटल रिट्ज के नरम बिस्तर में बच्चों कि तरह छुपते हुए रोबर्ट ने स्वयं से कहा " तुम्हे छुट्टी लेनी चाहिए " पिछले एक साल से सिर्फ क्लास, एक देश से दूसरे देश कि यात्रा और सेमीनार | तभी फिर से फोन घनघना उठा | जैसी कि आशा था, फोन लॉबी से ही था " सर क्षमा करें किन्तु आपके आगंतुक आपके कमरे कि तरफ आ रहे हैं | " क्या तुमने उसे कमरे कि तरफ आने दिया ? " रोबर्ट ने झल्लाते हुए कहा | तभी उन्हें दरवाजे पर खटखटाने की आवाज़ आती है | " कौन है " रोबर्ट ने घबराते हुए कहा | धार्मिक पेंटिंग व गूढ़शास्त्र विशेषज्ञ के रूप में जब से रोबर्ट की प्रसिद्धि बढ़ी है तभी से कट्टरपंथी और कई संप्रदाय उनके पीछे लगे हैं | प्रसिद्धि अपने साथ मुसीबत भी लाती है | " मिस्टर रोबर्ट ! मैं लेफ्टिनेंट कोलेट हूँ, DCPJ से | मुझे आपसे ज़रुरी बात करनी है | फ्रांसीसी DCPJ अमेरिकन एफबीआई के बराबर की एजेंसी है | रोबर्ट ने थोडा सा दरवाज़ा खोला | " क्या मैं अंदर आ सकता हूँ " लेफ्टिनेंट ने पूंछा | रोबर्ट इतनी रात किसी से बात करने के मूड में नहीं थे और उन्होंने ठंडी आवाज़ में पूंछा " मामला क्या है ? " " मेरे कैप्टन आपसे मिलना चाहते हैं, उन्हें एक व्यक्तिगत मामले में आपकी सहायता चाहिए | " " अभी ? " रोबर्ट ने घडी देखते हुए पूंछा | " आधी रात का समय है लेफ्टिनेंट " " आप कल म्यूजियम के क्यूरेटर Jacques Sauniere से मिलने वाले थे ना ? " लेफ्टिनेंट ने विश्वास से कहा | " हाँ !!! मगर आपको कैसे पता " रोबर्ट चौंक चुके थे | कोलेट ने सफाई से उत्तर दिया " हमें आपका नाम क्यूरेटर Jacques Sauniere के डेली प्लानर में मिला | " " क्या कुछ गडबड है ? " रोबर्ट ने डरते हुए पूंछा | लेफ्टिनेंट ने निराशाजनक रूप से एक फोटो अपने कोट की जेब से निकाली और रोबर्ट की तरफ बढ़ाई | फोटो देख कर रोबर्ट का दिल दर और आश्चर्य से बैठ गया | अगले ही पल खुद को संभालते हुए गुस्से में कहा " ऐसा किसने किया ? " " हमें लगा आप ज्यादा अच्छी तरह से बता सकते हैं | आप संकेतों को पहचानने के विशेषज्ञ हैं | इसी मामले में मेरे कैप्टन आपसे मिलना चाहते हैं | " कोलेट ने कहा | रोबर्ट अभी भी आश्चर्य में डूबे थे कि कोई क्यूरेटर जैसे वृद्ध और विद्वान के साथ ऐसा कैसे कर सकता है | " सर मेरे कैप्टन प्रतीक्षा कर रहे हैं, हमें चलना चाहिए " कोलेट ने अपनी घडी देखते हुए कहा | रोबर्ट हकलाते हुए " क्यूरेटर के जिस्म पर ये निशान, और इनका शरीर इतने अजीब . . . " " . . . स्थिति में रखा है " कोलेट ने वाक्य पूरा किया | " हूँ हूँ वही तो, कोई किसी के साथ इतनी बेरहमी कैसे कर सकता है " रोबर्ट ने दुखी होते हुए कहा | " सर अभी आप समझे नहीं ! क्यूरेटर ने मरने से पहले खुद अपना ये हाल किया है, ये फोटो अभी एक घंटे पहले का है | " लेफ्टिनेंट अपना वाक्य पूरा किया | रोबर्ट के शरीर में झुरझुरी दौड गयी | क्यूरेटर ने खुद अपना ऐसा भयानक हाल किया | |
20-11-2010, 01:45 PM | #4 |
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Re: दा विंन्सी कोड
Chapter-2
सिलास, क्यूरेटर की हत्या करना के बाद, अपने अपार्टमेंट में अपनी जाँघ पर बंधे सेलिस से टपकते खून को देखता है | दर्द अच्छा है सेलिस - एक प्रकार का चमड़े का पट्टा जिसमें अंदर कि तरफ धातु के दांते होते हैं जो बाँधने वाले के शरीर में गड कर उसे लगातार दुःख देते रहते हैं | यूरोप में कट्टर ईसाईयों की संस्था ओपस देई के सदस्य इसे पहनते थे जिससे उठा दर्द उन्हें प्रतिपल अपने लक्ष्य की याद दिलाता रहे | सिलास, भुतही पीली त्वचा, सफ़ेद बाल, गुलाबी आँखें वाला लंबा चौड़ा आदमी, के अपार्टमेंट में अचानक एक फोन के बजने की आवाज़ आती है | " हेलो " ठंडी आवाज़ में सिलास ने कहा | " क्या खबर है ? " दूसरी ओर से टीचर ने कहा " सभी चारों को खत्म कर दिया " सिलास ने खबर दी | " बढ़िया, और कुछ खबर मिली ? " " हाँ " सिलास ने उत्तर दिया | " तुम्हे लगता है की उन्होंने सच बताया है , उन चारों को गोपनीयता की कसम दी जाती है | उनसे इतनी आसानी से सच नहीं निकलवाया जा सकता | " खुश और सशंकित आवाज़ में टीचर ने कहा | " सामने खड़ी मौत का डर हर कसम को तुड़वा सकता है | उन सभी ने मरने से पहले एक ही बात बताई है | " सिलास ने अपनी सफलता को बताया | " तो मेरे शिष्य मुझे वो खबर दो जिसे सुनने को मेरे कान तरस रहे हैं " टीचर ने व्यग्रता से कहा | " उन सभी ने एक कीस्टोन के होने की पुष्टि की है जिसमें उनके सबसे बड़े राज़ तक पहुँचाने का मार्ग है | " सिलास ने खुशी से बताया | " वाह ! मेरा शक सही निकला | जब हमें वह कीस्टोन मिल जायेगा तो हम बस एक कदम दूर होंगे, उस सबसे बड़े राज़ से ! " टीचर ने कहा " असल में हम आपके अनुमान से अधिक करीब हैं, वह कीस्टोन यहीं पेरिस में है | " " क्या ??? पेरिस में ! मैं विश्वास नहीं कर सकता | " टीचर ने खुशी से कहा | इसके बाद सिलास ने विस्तार से दिन में हुई घटनाओं की सारी जानकारी दी और बताया की किस प्रकार चारों ने कीस्टोन के पेरिस के एक सबसे पुराने चर्च में होने की पुष्टि की है | " चर्च में ? ईश्वर के ही घर में छुपाया | तुमने ईश्वर की सच्ची सेवा की है ! मेरे बेटे | इस पल के लिए हमने सदियों तक प्रतीक्षा की है | " टीचर ने खुशी में लथपथ हो कर कहा | " लेकिन टीचर चर्च की कड़ी सुरक्षा में कैसे . . . ? खासकर रात में कैसे जाया जा सकता है | " सिलास ने अपनी मुश्किल का जिकर किया | " तुम उसकी चिंता नहीं करो | मैं एक घंटे में सारे इंतज़ाम कर दूँगा, तुम एक घंटे में वहाँ पहुँच जाओ | " टीचर ने विश्वास से कहा | कार की पिछली सीट पर बैठे रोबर्ट लेफ्टिनेंट के साथ जाते हुए विचारों में डूबे हुए थे | क्यूरेटर ने खुद अपनी ये हालत की | रोबर्ट ने उस पल को याद किया जब उन्हें क्यूरेटर की सेक्रेटरी ने फोन करके बताया कि क्यूरेटर अगली फ़्रांस यात्रा में उनसे मिलना चाहते हैं | रोबर्ट को एक पल को विशवास नहीं हुआ | जिस व्यक्ति कि पुस्तकों से नोट्स लेकर वो पढ़े हैं वो स्वयं उनसे मिलना चाहता है | " कैप्टन आपको आज रात फ़्रांस में पाकर बड़े खुश हुए " होटल से निकलने के बाद लेफ्टिनेंट ने पहली लाइन कही " कितना अच्छा इत्तेफाक है | " " इसमें अच्छा क्या है " रोबर्ट ने मन में ऐसा कुछ सोचा | इत्तेफाक एक ऐसा शब्द है जिस पर रोबर्ट ने कभी विशवास किया | जिस व्यक्ति ने पूरे जीवन संकेतों को पढ़ने में अपना समय बिताया है उसके लिए इत्तेफाक पर विश्वास करना असंभव है | प्रत्येक घटना का भूत और भविष्य से सम्बन्ध होता है चाहे वह छुपा हुआ ही क्यूँ ना हो | " तुम्हारे कैप्टन का क्या नाम है " रोबर्ट ने पूछा " Bezu Fache " लेफ्टिनेंट ने उत्तर दिया | Louvre म्यूजियम नज़दीक आ रहा था | ये फ़्रांस का वही प्रसिद्द म्यूजियम है जहां लियोनार्डो कि मोनालिसा पेंटिंग रखी है | पूरा म्यूजियम इतना विशाल है कि उसे घूमने के लिए एक सप्ताह का समय चाहिए इसलिए पर्यटक संक्षेप में प्रमुख पेंटिंग को देख कर लौट जाते हैं | निसंदेह जिनमें मोनालिसा प्रमुख होती है | म्यूजियम के मुख्य गेट के पास गाड़ी रोकते हुए लेफ्टिनेंट ने रोबर्ट को उतरने का इशारा किया | " तुम नहीं चलोगे " रोबर्ट ने पूंछा | " मुझे और भी कार्य निबटाने हैं " लेफ्टिनेंट ने उत्तर दिया " कैप्टन आपको मुख्य द्वार पर मिलेंगे | " रोबर्ट मुख्य द्वार पर पहुंचे जहां एक रोबीला व्यक्ति उनकी प्रतीक्षा में था | उसने आगे बढ़कर रोबर्ट के हाथ को अपने सख्त हाथों में पकड़ लिया | " मैंने फोटो देखी ! कितना आश्चर्यजनक है ! क्यूरेटर अपने साथ ऐसा कैसे किया | " रोबर्ट ने आश्चर्य प्रकट किया | " जो आपने देखा वह मात्र शुरुआत है ! क्यूरेटर ने जो अपने साथ किया उसकी बस एक झलक | " कैप्टन ने आराम से उत्तर दिया | रोबर्ट इस समय मात्र कैप्टन को घूर रहे थे | आश्चर्य उनके दिमाग में मानों घर बना रहा था | |
20-11-2010, 01:47 PM | #5 |
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Re: दा विंन्सी कोड
Chapter-3
म्यूज़ियम में प्रवेश करते हुए हर जगह dcjp के ही एजेंट दिख रहे थे | " म्यूज़ियम के गार्ड . ." रोबर्ट ने सवाल किया | कैप्टन ने रोबर्ट को घूरते हुए कहा " पूंछ तांछ के लिए बाहर हैं " " आप पहले कितनी बार क्यूरेटर से मिले हैं " " कभी नहीं ! हमें पहली बार मिलना था लेकिन उससे पहले ही ... " रोबर्ट ने निराशा में उत्तर दिया | " इसका मतलब आप पहली बार मिलने वाले थे ?, किस मुद्दे पर बात करनी थी " कैप्टन ने पूँछा | " शायद पेंटिंग के बारे में, हम दोनों के शौक एक से हैं | मुझे कोई खास अंदाजा नहीं है " रोबर्ट ने इधर उधर देखते हुए कहा | कैप्टन ने झुंझलाते हुए कहा " इस मीटिंग को किसने फिक्स किया था, आपने या क्यूरेटर ने ? " " क्यूरेटर की सेक्रेटरी ने मुझे पिछले महीने फोन करके इस बारे में बात की थी " रोबर्ट | " तो आप दोनों के एक ही शौक थे ? " कैप्टन ने आश्चर्य जताया ! रोबर्ट ने झिझकते हुए कहा " मैं एक किताब लिख रहा हूँ जो क्यूरेटर के प्राथमिक विशेषज्ञता वाले क्षेत्र से सम्बंधित है, ये प्राचीन सभ्यता में मात्र पूजा से सम्बंधित सभ्यता के बारे में है " " आपको लगता है कि क्यूरेटर इसके बारे में जानते थे ? " कैप्टन प्रश्न पर प्रश्न पूँछ रहे थे | " ये ऐसा ही प्रश्न है जैसे मछली को पूछना कि उसे तैरना आता है या नहीं ! क्यूरेटर से अधिक इस बारे में इस धरती पर कोई और नहीं जानता था " रोबर्ट ने ध्यान से कहा | |
20-11-2010, 01:49 PM | #6 |
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Re: दा विंन्सी कोड
Chapter-4
अपनी व्यक्तिगत रूचि के साथ ही क्यूरेटर ने अपने बीस वर्ष के कार्यकाल में दुनिया भर के कई कलाकृतियां, पुस्तकें और पांडुलिपियाँ ढूंढ कर म्यूज़ियम के संग्रह को और भी बढ़ाया था | " शायद क्यूरेटर आपकी पुस्तक के बारे में जानते थे और उसमें आपकी सहायता करने के लिए आपको बुलाया था ! " कैप्टन ने अनुमान लगाया | किन्तु रोबर्ट ने तुरंत ही ना में सिर हिलाते हुए कहा " वह अभी अपने ड्राफ्ट रूप में है और मात्र मेरे एडिटर ने उसे देखा है " कैप्टन रोबर्ट की इस बात से कुछ आश्चर्यचकित से लगे | रोबर्ट को अपनी पुस्तक का तीन सौ पृष्ठों का ड्राफ्ट याद आ गया जिसे उन्होंने " सीक्रेट ऑफ लोस्ट फीमेल " नाम से अपने एडिटर को दिया था | आज म्यूज़ियम की गैलरी सामान्य दिनों की अपेक्षा कुछ अँधेरी सी लग रही थीं मानो अपने प्रिय रखवाले के जाने का गम मना रही हों | दीवारों पर लगे कैमरों को देख कर लग रहा था जैसे वो सावधान कर रहे हों कि सावधान कुछ छूना नहीं, हम देख रहे हैं | रोबर्ट ने पूँछा " इनमे से कोई असली है ? " " कतई नहीं " कैप्टन ने झिझकते हुए कहा | रोबर्ट ने मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचा कि इतने बड़े म्यूज़ियम में लगे सैकड़ों कैमरों के लाइव फीड को देखने व उस पर कार्यवाही करने के लिए जितने स्टाफ कि ज़रूरत होगी उसे कोई म्यूज़ियम कैसे वाहन करेगा | विश्व के लगभग सारे बड़े म्यूजियमों ने एक सी सुरक्षा पद्धति अपना ली थी जिसमें चोरों को बाहर रखने कि स्थान पर उन्हें अंदर ही रखने पर जोर दिया जाता है | इस पद्धति को कन्तेंमेंट कहा जाता है जिसमें यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी पेंटिंग को हटाने का प्रयास करता है तो तुरंत ही सेक्युरिटी सिस्टम अलर्ट हो जाता है और सारी गैलरियों में छुपे हुए सलाखों वाले दरवाज़े गिरकर गैलरी को छोटे छोटे कोठरियों में बाँटते हुए बंद हो जाती हैं | इससे चोर अंदर ही फस जाता है और यह कम खर्चीला उपाय था | सामने ही क्यूरेटर का ऑफिस दिख रहा था | |
22-04-2012, 12:29 PM | #7 |
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Re: दा विंन्सी कोड
अमित भाई कुछ समय यहाँ के लिए भी निकालें !
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22-04-2012, 06:58 PM | #8 |
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Re: दा विंन्सी कोड
Sorry everyone! I will never be able to complete this thread as i don't have time to devote here.
Thanks for liking previous work, mods can close this thread. Regards, Amit |
22-04-2012, 07:37 PM | #9 |
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Re: दा विंन्सी कोड
dear bro will i try ?
provide me book
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Last edited by saajid; 22-04-2012 at 08:52 PM. |
23-04-2012, 08:15 PM | #10 |
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Re: दा विंन्सी कोड
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