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27-03-2022, 08:42 AM | #1 |
Diligent Member
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आदमी आदमी के रोआ दे
आदमी आदमी के रोआ दे
■■■■■■■■■■■ बीच नैनन रहे यार ऊहे, बीच राहे में काहें दगा दे, एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे। घात अक्सर करे आज ऊहे, जेके मानल करे लोग आपन, खाली नफरत के बाजार बाटे, अब कहीं ना मिले प्रीत पावन, जे करे साथ देबे के वादा, तीर सीना प ऊहे चला दे- एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे। स्वार्थ के रोज आवेला आन्हीं, स्वार्थ के रिश्ता नाता बनेला, जे कहे खाति बा खास आपन, स्वार्थ में परि के ऊहे छलेला, दर्द जहिये पुरनका भुलाला, चोट तहिये जमाना नया दे- एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 26/03/2022 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 29-03-2022 at 07:04 AM. |
10-07-2022, 08:04 AM | #2 |
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Re: आदमी आदमी के रोआ दे
संपादन के बाद
आदमी आदमी के रोआ दे ■■■■■■■■■■■ बीच नैनन रहे यार ऊहे, बीच राहे में काहें दगा दे, एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे। घात अक्सर करे आज ऊहे, जेके मानल करे लोग आपन, खाली नफरत के बाजार बाटे, अब कहीं ना मिले प्रीत पावन, जे करे साथ देबे के वादा, तीर पीछे से ऊहे चला दे- एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे। स्वार्थ के रोज आवेला आन्हीं, स्वार्थ के रिश्ता नाता बनेला, जे कहे खाति बा खास आपन, स्वार्थ में परि के ऊहे छलेला, दर्द जहिये पुरनका भुलाला, चोट तहिये जमाना नया दे- एक दूजे के देखल न चाहे, आदमी आदमी के रोआ दे। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 26/03/2022 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 |
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