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02-03-2015, 10:42 PM | #1 |
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पता नहीं बेटा
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जब मैं छोटा था (यह सन 62-63 की बात है), हमारे घर में हिंदी का एक साप्ताहिक अखबार 'ब्लिट्ज़' आया करता था. काफी समय तक यह अखबार चलता रहा जो बाद में छपना बन्द हो गया. ब्लिट्ज़ और उसके सम्पादक आर.के.करंजिया दोनों ही अपने विशेष तेवरों के कारण मशहूर थे. यह अखबार तीन भाषाओं - इंग्लिश, हिंदी और उर्दू में छपता था. तीनों संस्करणों में एक 'पॉकेट कार्टून' छपता था जिसमें तत्कालीन घटनाओं पर 2-3 छोटे छोटे मजेदार डायलॉग होते थे. हिंदी में इसका नाम था - पता नहीं बेटा. उसी की तर्ज़ पर यह सूत्र आरम्भ किया जा रहा है. आशा है आपको पसंद आएगा.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
02-03-2015, 10:47 PM | #2 |
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Re: पता नहीं बेटा
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पिता जी! हाँ, बेटा? क्या बिहार के अच्छे दिन आने वाले हैं? कैसे बेटा? नितीश कुमार फिर से जो बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं. हाँ, यह सत्य है, बेटा! लेकिन मेरा विचार कुछ और है, पिता जी. वह क्या, बेटा? बिहार का तो पता नहीं. हाँ, नितीश जी के अच्छे दिन ज़रूर आ गए हैं. पता नहीं, बेटा !!
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 03-03-2015 at 07:15 AM. |
02-03-2015, 10:55 PM | #3 |
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Re: पता नहीं बेटा
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पिता जी! हाँ, बेटा? प्रधान मंत्री मोदी और मुफ्ती मोहम्मद सईद पहले दिल्ली में और फिर श्रीनगर में गले मिले. हाँ, मिले तो थे बेटा!! और जम्मू - कश्मीर में नई सरकार ने कार्यभार सम्हाल लिया है. हाँ, बेटा. तुम ठीक कहते हो. पहली बार वहाँ पीडीपी - बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार बनी है. हाँ, यह उत्साहवर्धक समाचार है, बेटा. पहले दिन ही मुख्यमंत्री सईद ने विवादास्पद बयान दे दिया. (मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर के शांतिपूर्ण चुनावों के लिए हुर्रियत समेत पाक को श्रेय दिया है) यह उनकी मजबूरी थी, बेटा. और दूसरे दिन भी उनकी पार्टी के विधायकों ने विवादित बयान दिए. (उन्होंने संसद पर आतंकवादी हमले के दोषी ज़िम्मेदार अफज़ल गुरु के विषय में बयान दिया है) हाँ, बेटा यह उनका व्यक्तिगत विचार था. क्या यह न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत किया गया?? पता नहीं, बेटा.
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02-03-2015, 10:58 PM | #4 |
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Re: पता नहीं बेटा
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पिता जी! हाँ, बेटा ? प्रधानमंत्री ने आज ऐतिहासिक कदम उठाया! वह क्या बेटा? उन्होंने आज संसद की कैंटीन में आकर खाना खाया! यह उनकी सादगी का प्रमाण है, बेटा. वहां उन्होंने 29 रूपए के बिल का भुगतान भी किया. हां, बेटा. 10 रू. का सूप, 18 रू. का खाना और 1 रू. का सलाद. यानी कुल 29 रू. क्या हम भी वहाँ जा कर खाना खा सकते हैं, पिता जी ?? पता नहीं बेटा!
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03-03-2015, 09:37 PM | #5 |
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Re: पता नहीं बेटा
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पिता जी! हाँ, बेटा ? साधु संतों और साध्वियों का क्या काम होता है पिता जी? वे सबको मानवता व प्रेम का सन्देश देते हैं और लोगों को जोड़ने का काम करते हैं, बेटा. तो फिर वो ऐसे वैसे बयान क्यों देते हैं?? कैसे बयान, बेटा? कोई कहता है हर हिंदु दंपत्ति को चार बच्चे पैदा करने चाहियें, कोई कहता है 10 पैदा करो. यह उनका अपना विचार है बेटा, देश स्वतंत्र है. साध्वी प्रज्ञा ने एक और विवादास्पद बयान दिया है. वह क्या बेटा? उन्होंने कहा है की सभी बच्चों को अपने कमरों में लगाये गए सलमान खान, शाहरुख खान व आमिर खान के पोस्टर उखाड़ कर फेंक देने चाहियें या जला देने चाहियें!! सुना तो मैंने भी है, बेटा!! क्या इससे आपसी सद्भाव और भाईचारा बढ़ जाएगा, पिता जी. पता नहीं, बेटा.
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03-03-2015, 10:31 PM | #6 |
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Re: पता नहीं बेटा
सबसे पहले इतना अच्छा सूत्र शुरू करने के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय रजनीश जी ,...कई कटाक्ष के साथ सुन्दर व्यंग से भरी कहानियां हैं सब, जिससे नेताओं के बारे में, गरीबी के बारे में, और साधू संतो के कथन को लेकर अछि चर्चा हो गई. छोटी कहानिया मन को छू जाने वाली हैं .. आपने गागर में सागर वाली कहावत को यहाँ साबित किया है .
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04-03-2015, 09:35 PM | #7 |
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Re: पता नहीं बेटा
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पिता जी! हाँ, बेटा ? क्या यह सही है की हमारे प्रधानमंत्री के पास एक ऐसा सूट था जिसके कपड़े की धारियों में उनका नाम बुना हुआ था. हाँ, बेटा. यह कीमती सूट उन्होंने 25 जनवरी के दिन अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा से मुलाक़ात के समय पहना था. तो उसकी नीलामी क्यों करवा दी? बेटा, नीलामी से प्राप्त पैसे को गंगा सफाई अभियान पर खर्च किया जाएगा. लेकिन उस काम के लिए तो पहले से व्यवस्था की गयी है? सो तो ठीक है, बेटा. परन्तु प्रधानमन्त्री चाहते हैं कि यह पैसा भी इस शुभ काम में लगाया जाये. ताकि यह अभियान जल्द से जल्द पूरा हो सके?? पता नहीं, बेटा.
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04-03-2015, 10:29 PM | #8 |
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Re: पता नहीं बेटा
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पिता जी? कहो, बेटा!! कांग्रेस उपप्रधान राहुल गाँधी की छुट्टी के बारे में लोग तरह तरह के प्रश्न उठा रहे हैं? हाँ, बेटा सुना है वो किसी अज्ञात स्थान पर विचार मंथन कर रहे हैं. संसद के बजट अधिवेशन के बाद नहीं जा सकते थे? बेटा, विशेष प्रयोजन हो तो जाना ही पड़ता है. वो बता कर भी तो जा सकते थे? बेटा, सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले व्यक्तियों को लोग और मीडिया अकेला नहीं रहने देते. जब वो वापिस आयेगे तो क्या मीडिया वाले उन्हें आराम से बैठने देंगे? पता नहीं बेटा.
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28-06-2015, 07:55 PM | #9 |
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Re: पता नहीं बेटा
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पिता जी! हाँ, बेटा? मानसून देश के कई इलाकों में पहुँच गया है. देश के बहुत से इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है. सो तो है, बेटा! अभी तो यह शुरूआत है, पिता जी. पूरे मानसून में क्या होगा? सरकार कुछ करती क्यों नहीं? सरकार तो, बेटा, आज़ादी के बाद से ही जी तोड़ कोशिशें कर रही है. लेकिन ऊपर वाले के आगे इनका जोर नहीं चलता. पिता जी! जो भी समस्या नियंत्रण से बाहर हो जाती है, उसके बारे में नेता लोग यह कह देते हैं कि उपर वाले के आगे सब बेबस हैं. प्राकृतिक आपदा हद से बाहर चली जाये तो ऐसा ही कहा जाता है, बेटा? लेकिन हमारे यहाँ तो हर आपदा शुरूआत में ही हद से बाहर हो जाती है, जैसे मुंबई में मानसून की पहली बारिश के साथ ही ट्रैफिक जाम, जल भराव, लोकल ट्रेन बंद, स्कूल बंद, बिजली का करंट लगने से मौतें, जन-जीवन अस्त-व्यस्त आदि परेशानियाँ शुरू हो जाती हैं. हर शहर में यही दृश्य दिखाई देता है, बेटा! जब सरकारें कुछ कर ही नहीं सकतीं तो सरकारों की जरुरत क्या है, पिता जी??? पता नहीं, बेटा !!!
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28-06-2015, 08:29 PM | #10 | |
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Re: पता नहीं बेटा
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दुखती रग पर चोट कर दी रजनीश जी!
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