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07-11-2012, 06:36 PM | #1 |
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मधुशाला....................!
दोस्तों मै प्रस्तुत करने जा रहा हु हरिवंश रॉय बच्चन का मशुर काव्य मधुशाला
तो चलो मधुशाला मै |
07-11-2012, 06:37 PM | #2 |
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Re: मधुशाला....................!
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। |
07-11-2012, 06:37 PM | #3 |
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Re: मधुशाला....................!
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।२। |
07-11-2012, 06:38 PM | #4 |
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Re: मधुशाला....................!
प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला, मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता, एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।।३। |
07-11-2012, 06:38 PM | #5 |
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Re: मधुशाला....................!
भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,
कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला, कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ! पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला।।४। |
07-11-2012, 06:38 PM | #6 |
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Re: मधुशाला....................!
मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्य बनाता हूँ हाला,
भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला, उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूँ, अपने ही में हूँ मैं साकी, पीनेवाला, मधुशाला।।५। |
08-11-2012, 07:21 PM | #7 | |
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Re: मधुशाला....................!
Quote:
मधुशाला हिंदी साहित्य की एक अमर कृति है, फोरम पर इसको पोस्ट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद मित्र।।।।
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
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08-11-2012, 07:24 PM | #8 |
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Re: मधुशाला....................!
हरिबंश राय बच्चन की बहुचर्चित काव्य प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !
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08-11-2012, 09:16 PM | #9 |
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Re: मधुशाला....................!
वाह ... जितना श्रेष्ठ सृजन, उतनी ही उत्तम प्रस्तुति ! फोरम पर इस अन्यतम योगदान के लिए मेरी ओर से हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें, मित्र ! मुझे उम्मीद है कि अब आप मधुबाला, मधुकलश आदि भी पढने का आनंद उठाने का अवसर हमें शीघ्र देंगे ! आभार !
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