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19-01-2012, 08:14 PM | #1 |
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शाकाहार - उत्तम आहार
शाकाहार और मांसाहार को लेकर कई दशकों से जो विवाद है वह तो अभी जारी है लेकिन इस बात कि पुष्टि हो चुकी है कि शाकाहार पर्यावरण के लिए उपयोगी होता है।...
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19-01-2012, 08:14 PM | #2 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
अनेक रोगों की एक दवा खीरा
चिलचिलाती धूप में गर्मी से बचने के लिए प्रायः ठंडी चीजों का सेवन किया जाता है। आमतौर पर लोग प्यास बुझाने और शरीर को ठंडा रखने के लिए कोल्ड ड्रिंक पीते हैं पर यह सिर्फ कुछ देर के लिए ही ठंडक देती है। इस जानलेवा गर्मी में शरीर को ठंडा रखने का सबसे बेहतरीन साधन खीरा है।... |
19-01-2012, 08:16 PM | #3 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
नई दिल्ली। शाकाहार और मांसाहार को लेकर कई दशकों से जो विवाद है वह तो अभी जारी है लेकिन इस बात कि पुष्टि हो चुकी है कि शाकाहार पर्यावरण के लिए उपयोगी होता है।
विश्व शाकाहार दिवस के अवसर पर दुनियाभर में शाकाहार को बढ़ावा देने वाली संस्था पेटा कि प्रवक्ता बेनजीर सुरैया ने कहा कि भारत शाकाहार का जन्मस्थान रहा है और इस मौके पर हमें शाकाहारी होने पर विचार करना चाहिए। इससे हानिकारक गैसों कास उत्पादन रुकेगा और जलवायु परिवर्तन भी रुकेगा। इसके साथ ही मानव शारीर भी चुस्त दुरुस्त रहेगा। साथ ही पेटा प्रब्वक्ता ने यह भी कहा कि भारत में तेजी से बढ़ रहे मधुमेह टाईप 2 से ग्रसित लोग शाकाहार अपनाकर इस बीमारी पर नियंत्रण कर सकते है। डॉक्टर भुवनेश्वरी गुप्ता का कहना है कि मानव शारीर के लिए शाकाहारी खाना सबसे अच्छा है। मांस, अंडे और डेयरी उत्पाद छोड़ देने से कम वसा, कम कोलेस्ट्रोल और बहुत पौष्टिक खाना मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत में ह्रदय से जुडी बीमारियों, मधुमेह और कैंसर के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे है और इसका सीधा संबंध अंडों, मांस, और डेयरी उत्पादों जैसे मक्खन, पनीर और आईसक्रीम की बढ़ रही खपत से है। उन्होंने यह भी कहा कि एक स्वास्थयवर्धक तथा संतुलित शाकाहारी खाने में सभी अनाज, फल, सब्जियां, फलियाँ, बादाम, सोया दूध और जूस आता है। यह खाना दिन प्रतिदिन की विटामिन, केल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन सी, प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करता है। ज्ञातव्य है कि उत्तर अमेरिका शाकाहारी सोसायटी ने शाकाहारी जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1977 में एक अक्तूबर के दिन शाकाहार दिवस मनाये जाने की शुरुआत कि थी। विदित हो कि शाकाहार खाने में कम वसा होता है और यह कैंसर के खतरे को 40 फीसद तक कम करता है। शाकाहारी लोगों में मोटापा कम होने कि संभावना होती है। वर्ष 2010 संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जलवायु परिवर्तन को रोकने, प्रदुषण कम करने, जंगलों को काटे जाने से रोकने और दुनियाभर में भुखमरी को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर शाकाहार होना जरुरी है। |
19-01-2012, 08:17 PM | #4 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
शाकाहार : उत्तम आहार एक प्रेस समाचार के अनुसार अमरीका में डेढ़ करोड़ व्यक्ति शाकाहारी हैं। दस वर्ष पूर्व नीदरलैंड की ''१.५% आबादी'' शाकाहारी थी जबकि वर्तमान में वहाँ ''५%'' व्यक्ति शाकाहारी हैं। सुप्रसिद्ध गैलप मतगणना के अनुसार इंग्लैंड में प्रति सप्ताह ''३००० व्यक्ति'' शाकाहारी बन रहे हैं। वहाँ अब ''२५ लाख'' से अधिक व्यक्ति शाकाहारी हैं। सुप्रसिद्ध गायक माइकेल जैकसन एवं मैडोना पहले से ही शाकाहारी हो चुके हैं। अब विश्व की सुप्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा ने भी 'शाकाहार' व्रत धारण कर लिया है। बुद्धिजीवी व्यक्ति शाकाहारी जीवन प्रणाली को अधिक आधुनिक, प्रगतिशील और वैज्ञानिक कहते हैं एवं अपने आपको शाकाहारी कहने में विश्व के प्रगतिशील व्यक्ति गर्व महसूस करते हैं। -रामनिवास लखोटिया संसार के महान बुद्धिजीवी, उदाहरणार्थ अरस्तू, प्लेटो, लियोनार्दो दविंची, शेक्सपीयर, डारविन, पी.एच.हक्सले, इमर्सन, आइन्सटीन, जार्ज बर्नार्ड शा, एच.जी.वेल्स, सर जूलियन हक्सले, लियो टॉलस्टॉय, शैली, रूसो आदि सभी शाकाहारी ही थे। विश्वभर के डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि शाकाहारी भोजन उत्तम स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। फल-फूल, सब्ज़ी, विभिन्न प्रकार की दालें, बीज एवं दूध से बने पदार्थों आदि से मिलकर बना हुआ संतुलित आहार भोजन में कोई भी जहरीले तत्व नहीं पैदा करता। इसका प्रमुख कारण यह है कि जब कोई जानवर मारा जाता है तो वह मृत-पदार्थ बनता है। यह बात सब्ज़ी के साथ लागू नहीं होती। यदि किसी सब्ज़ी को आधा काट दिया जाए और आधा काटकर ज़मीन में गाड़ दिया जाए तो वह पुन: सब्ज़ी के पेड़ के रूप में हो जाएगी। क्यों कि वह एक जीवित पदार्थ है। लेकिन यह बात एक भेड़, मेमने या मुरगे के लिए नहीं कही जा सकती। अन्य विशिष्ट खोजों के द्वारा यह भी पता चला है कि जब किसी जानवर को मारा जाता है तब वह इतना भयभीत हो जाता है कि भय से उत्पन्न ज़हरीले तत्व उसके सारे शरीर में फैल जाते हैं और वे ज़हरीले तत्व मांस के रूप में उन व्यक्तियों के शरीर में पहुँचते हैं, जो उन्हें खाते हैं। हमारा शरीर उन ज़हरीले तत्वों को पूर्णतया निकालने में सामर्थ्यवान नहीं हैं। नतीजा यह होता है कि उच्च रक्तचाप, दिल व गुरदे आदि की बीमारी मांसाहारियों को जल्दी आक्रांत करती है। इसलिए यह नितांत आवश्यक है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से हम पूर्णतया शाकाहारी रहें। पोषण : अब आइए, कुछ उन तथाकथित आँकड़ों को भी जाँचें जो मांसाहार के पक्ष में दिए जाते हैं। जैसे, प्रोटीन की ही बात लीजिए। अक्सर यह दलील दी जाती है कि अंडे एवं मांस में प्रोटीन, जो शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व है, अधिक मात्रा में पाया जाता है। किंतु यह बात कितनी ग़लत है यह इससे साबित होगा कि सरकारी स्वास्थ्य बुलेटिन संख्या ''२३'' के अनुसार ही ''१०० ग्रा''. अंडों में जहाँ ''१३ ग्रा.'' प्रोटीन होगा, वहीं पनीर में ''२४ ग्रा.'', मूंगफल्ली में ''३१ ग्रा.'', दूध से बने कई पदार्थों में तो इससे भी अधिक एवं सोयाबीन में ''४३ ग्रा.'' प्रोटीन होता है। अब आइए कैलोरी की बात करें। जहाँ ''१०० ग्रा.'' अंडों में ''१७३ कैलोरी'', मछली में ''९१ कैलोरी'' व मुर्गे के गोश्त में ''१९४ कैलोरी'' प्राप्त होती हैं वहीं गेहूँ व दालों की उसी मात्रा में लगभग ''३३० कैलोरी'', सोयाबीन में ''४३२ कैलोरी'' व मूंगफल्ली में ''५५० कैलोरी'' और मक्खन निकले दूध एवं पनीर से लगभग ''३५० कैलोरी'' प्राप्त होती है। फिर अंडों के बजाय दाल आदि शाकाहार सस्ता भी है। तो हम निर्णय कर ही सकते हैं कि स्वास्थ्य के लिए क्या चीज़ ज़रूरी है। फिर कोलस्ट्रोल को ही लीजिए जो कि शरीर के लिए लाभदायक नहीं है। ''१०० ग्राम'' अंडों में कोलस्ट्रोल की मात्रा ''५०० मि.ग्रा.'' है और मुरगी के गोश्त में ''६०'' है तो वहीं कोलस्ट्रोल सभी प्रकार के अन्न, फलों, सब्ज़ियों, मूंगफली आदि में 'शून्य' है। अमरीका के विश्व विख्यात पोषण विशेषज्ञ डॉ.माइकेल क्लेपर का कहना है कि अंडे का पीला भाग विश्व में कोलस्ट्रोल एवं जमी चिकनाई का सबसे बड़ा स्रोत है जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। इसके अलावा जानवरों के भी कुछ उदाहरण लेकर हम इस बात को साबित कर सकते हैं कि शाकाहारी भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। जैसे गेंडा, हाथी, घोड़ा, ऊँट। क्या ये ताकतवर जानवर नहीं हैं? यदि हैं, तो इसका मुख्य कारण है कि वे शुद्ध शाकाहारी हैं। इस प्रकार शाकाहारी भोजन स्वास्थ्यप्रद एवं पोषण प्रदान करनेवाला है। स्वाभाविक भोजन: मनुष्य की संरचना की दृष्टि से भी हम देखेंगे कि शाकाहारी भोजन हमारा स्वाभाविक भोजन है। गाय, बंदर, घोड़े और मनुष्य इन सबके दाँत सपाट बने हुए हैं, जिनसे शाकाहारी भोजन चबाने में सुगमता रहती हैं, जबकि मांसाहारी जानवरों के लंबी जीभ होती है एवं नुकीले दाँत होते हैं, जिनसे वे मांस को खा सकते हैं। उनकी आँतें भी उनके शरीर की लंबाई से दुगुनी या तिगुनी होती हैं जबकि शाकाहारी जानवरों की एवं मनुष्य की आँत उनके शरीर की लंबाई से सात गुनी होती है। अर्थात, मनुष्य शरीर की रचना शाकाहारी भोजन के लिए ही बनाई गई हैं, न कि मांसाहार के लिए। अहिंसा और जीव दया : आज विश्व में सबसे बड़ी समस्या है, विश्व शांति की और बढ़ती हुई हिंसा को रोकने की। चारों ओर हिंसा एवं आतंकवाद के बादल उमड़ रहे हैं। उन्हें यदि रोका जा सकता हैं तो केवल मनुष्य के स्वभाव को अहिंसा और शाकाहार की ओर प्रवृत्त करने से ही। महाभारत से लेकर गौतम बुद्ध, ईसा मसीह, भगवान महावीर, गुरुनानक एवं महात्मा गांधी तक सभी संतों एवं मनीषियों ने अहिंसा पर विशेष ज़ोर दिया है। भारतीय संविधान की धारा ''५१ ए (जी)'' के अंतर्गत भी हमारा यह कर्तव्य है कि हम सभी जीवों पर दया करें और इस बात को याद रखें कि हम किसी को जीवन प्रदान नहीं कर सकते तो उसका जीवन लेने का भी हमें कोई हक नहीं हैं। |
19-01-2012, 08:18 PM | #5 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
आहार सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसका व्यक्तित्व निर्माण से घनिष्ठ सम्बन्ध है. आहार दो प्रकार के है- शाकाहार और मांसाहार. फल, सब्जी, अनाज, बादाम आदि, बीज सहित वनस्पति-आधारित भोजन के प्रयोग को शाकाहार कहते हैं. आजकल शाकाहार का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है, यह परिवर्तन जागरुकता के कारण हो रहे हैं. जैसा आहार लिया जाता है, वैसे ही भाव-विचार और आचार होते हैं. हमारी पश्चिमी दुनिया के अनुसार मुख्य रूप से चार प्रकार के शाकाहारी होते हैं. एक लैक्टो-शाकाहारी जिनके आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन मीट, मछली और अंडे नहीं. एक ओवो शाकाहारी जिनके आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन मगर मीट, मच्छी और दूग्ध-उत्पाद नहीं खाते. और एक ओवो-लैक्टो-शाकाहारी जिनके आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं. एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी जो दूध तो क्या शहद भी नहीं खाते. इस के अनुसार भारत में हम हिन्दू जो शाकाहार में विश्वास रखते हैं लैक्टो-शाकाहारी के अन्तरगत आते हैं. क्योंकि हम शहद, दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन करते हैं.
पश्चिमी दुनिया में, 20वीं सदी के दौरान पोषण, नैतिक, और अभी हाल ही में, पर्यावरण और आर्थिक चिंताओं के परिणामस्वरुप शाकाहार की लोकप्रियता बढ़ी. अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन और कनाडा के आहारविदों का कहना है कि जीवन के सभी चरणों में अच्छी तरह से योजनाबद्ध शाकाहारी आहार “स्वास्थ्यप्रद, पर्याप्त पोषक है और कुछ बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए स्वास्थ्य के फायदे प्रदान करता है”. मेडिकल साईंस व बडे-बडे डॉक्टर एवं आहार विज्ञानी आज यह मानते हैं कि शाकाहारी आहार में हर प्रकार के तत्व जैसे प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण आदि पायें जाते हैं. शाकाहार में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और प्राणी प्रोटीन का स्तर कम होता है, और कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम और विटामिन सी व ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट तथा फाइटोकेमिकल्स का स्तर उच्चतर होता है. एक शाकाहारी को ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह टाइप 2, गुर्दे की बीमारी, अस्थि-सुषिरता (ऑस्टियोपोरोसिस), अल्जाइमर जैसे मनोभ्रंश और अन्य बीमारियां कम हुआ करती हैं. शाकाहारियों को मांसाहारियों कि तुलना में बेहतर मूड का पाया गया और शाकाहार जीवन को दीर्धायु, शुद्ध, बलवान एवं स्वस्थ बनाता है. मांसाहार का उपभोग पशुओं से मनुष्यों में अनेक रोगों के संक्रमण का कारण हो सकता है. साल्मोनेला के मामले में संक्रमित जानवर और मानव बीमारी के बीच संबंध की जानकारी अच्छी तरह स्थापित हो चुकी है. 1975 में, एक अध्ययन में सुपर मार्केट के गाय के दूध के नमूनों में 75 फीसदी और अंडों के नमूनों में 75 फीसदी ल्यूकेमिया (कैंसर) के वायरस पाए गये. 1985 तक, जांच किये गये अंडों का लगभग 100 फीसदी, या जिन मुर्गियों से वे निकले हैं, में कैंसर के वायरस मिले. मुर्गे-मुर्गियों में बीमारी की दर इतनी अधिक है कि श्रम विभाग ने पोल्ट्री उद्योग को सबसे अधिक खतरनाक व्यवसायों में एक घोषित कर दिया. आज भी समय समय पर ऐसे रोगों की पुष्टि होती है जिनकी वजह मांसाहार को माना जाता है. हिन्दू धर्म के अधिकांश बड़े पंथों ने शाकाहार को एक आदर्श के रूप में संभाले रखा है. इसके मुख्यतः तीन कारण हैं: पशु-प्राणी के साथ अहिंसा का सिद्धांत; आराध्य देव को केवल “शुद्ध” (शाकाहारी) खाद्य प्रस्तुत करने की नीयत और फिर प्रसाद के रूप में उसे वापस प्राप्त करना; और यह विश्वास कि मांसाहारी भोजन मस्तिष्क तथा आध्यात्मिक विकास के लिए हानिकारक है. अपनी रुचि और आर्थिक स्थिति के अनुसार पदार्थों का चयन कर शाकाहारी भोजन तैयार किया जा सकता है. मांसाहार की अपेक्षा शाकाहार सस्ता होने के साथ-साथ स्वादिस्ट, रोगप्रतिरोधक तथा शक्तिप्रद भी होता है. फल सब्जियों तथा कुछ विशेष प्रकार के फाइबर अनेक रोगों को दूर करने में अचूक औषधि का काम करते हैं. जब सभी प्रकार के विटामिन्स तथा पौष्टिक तत्त्व शाकाहार से पूर्ण हो सकती है तो क्यों जीवित प्राणियों की हत्या करके मांसाहार की क्या जरूरत है ? प्रकृति ने कितनी चीजें दी हैं जिन्हें खाकर हम स्वस्थ रह सकते है फिर मांस ही क्यों ? अब तय आपको करना है कि शाकाहार बेहतर है या मांसाहार. ऎसे युवाओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जो मांसाहार को किसी भी रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. शाकाहार एक सर्वोत्तम आहार है जो मानव के अन्दर संतोष, सादगी, सदाचार, स्नेह, सहानुभूति और समरसता जैसे चारित्रिक गुणों का विकास कर सकता है. भरपूर पौष्टिक खाना शरीर को ऊर्जा देता है जो मांस से नहीं मिल सकता. शाकाहारी का मन जितना संवेदनशील होता है. एक संतुलित सामाजिक प्रगति के लिये शाकाहार की अनिवार्यता अपरिहार्य है. |
19-01-2012, 08:19 PM | #6 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
उत्तम आहार है शाकाहार
जैसा खाओगे अन्न ,वैसा होवे मन आज वैज्ञानिक प्रयोगों से यह बात स्पष्ट हो गयी है कि मनुष्य जैसा अन्न खाता है वैसा उसका मन होता है ! व्यक्ति के भोजन से उसके विचारों का गहरा सम्बन्ध है !जो व्यक्ति सात्विक भोजन करते हैं उनके विचार भी अत्यंत सात्विक होते हैं और जिनके भोजन में तामसिक चीजों की बहुलता होती है ,जो मांसाहार करते हैं और अन्य अभक्ष्य पदार्थों का सेवन करते हैं उनके विचार उतने ही विकृत हो जाते हैं ! अमेरिका में एक सर्वेक्षण हुआ ,वहां के तीस नृशंस अपराधियों पर जो किया गया !दस दस व्यक्तियों के तीन ग्रुप बनाये गए ! पहले ग्रुप को छ महीने तक गाय का शुद्ध दूध पिलाया गया ,दूसरे ग्रुप को चावल और शाकाहारी भोजन कराया गया !और तीसरे ग्रुप के लोगों को पूर्ववत मांसाहार दिया गया ! उन्होंने अपने सर्वेक्षण की रिपोर्ट में लिखा कि जिस ग्रुप को शुद्ध दूध दिया गया ,उसके अंदर दो महीने में ही अपराध बोध हो गया ,जो कभी अपना अपराध स्वीकारते नही थे ,उनके अंदर अपराध बोध शुरू हो गया और पश्चाताप भी प्रारंभ हो गया ! जिन्हें शुद्ध शाकाहारी भोजन और चावल दिया गया था छ महीने में उनके अंदर अपराध बोध शुरू हो गया और उन्होंने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया !लेकिन जो तीसरा ग्रुप था उनमे अपराधिक प्रवर्ति घटने कि जगह बढ़ गयी क्योंकि उन्हें मांसाहार दिया गया था ,उनका खान पान अशुद्ध था और फिर उस आधार पर लिखा कि मनुष्य जैसा भोजन करता है ,उसके विचारों पर वैसा ही प्रभाव पड़ता है ! यही बात हमारे यहाँ तो बहुत पहले ही कही गयी और लोकाक्ति भी बन गयी कि “जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन” इसीलिये मांसाहार का सभी को त्याग करना चाहिये ! मांस भक्षण में हिंसा है और हिंसा अधर्म है ! भारतीय परम्परा ‘शाकाहार’ अपनाने कि बात करती है ! मांसाहार अनेक रोगों का जन्मदाता भी है ! सभी धर्म ग्रंथों में अहिंसा को महत्व देते हुए शाकाहार अपनाने की बात की गयी है ! मनुष्य की शारीरिक संरचना भी मांसाहार के अनुकूल नही है ! मनुष्य के दांत ,आँत ,नाख़ून ,जीभ आदि सभी शाकाहारी प्राणियों की तरह ही है !कोई भी मनुष्य पूर्णत: मांसाहार पर नही रह सकता ! जबकि मांसाहारी प्राणियों के जीवन का मूल आधार मांस ही रहता है ! मांसाहारियों के दाँत तीक्ष्ण ,आंते छोटी एवं नाख़ून पैने होते हैं ,जबकि शाकाहारियों की आँत लंबी होती है ! मांसाहार आंतों के कैंसर का प्रमुख कारण है ! मांस की तरह अंडा भी मांसाहार के ही अंतर्गत आता है ! यह सिद्ध हो चूका है कि कोई अंडा शाकाहारी नही है !अंडे को शाकाहारी निरुपित करना अहिंसक संस्कृति के साथ एक मजाक है !क्या कोई अंडा पेड पर उगता है ? क्या साग सब्जी कि तरह अंडे को खेतों में उगाया जा सकता है ? अंडा भी शाकाहारी नही है वह तो मुर्गी के जिगर का टुकड़ा है ! वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि अंडा ,मांस और मछली सभी हमारे स्वास्थ्य के लिये घातक हैं ! अमेरिकी वैज्ञानिक माइकल एस .ब्राउन और डॉक्टर जोसेफ एल .गोल्द्स्तीम जिन्हें सन 1985 में नोबेल पुरस्कार मिला है ,ने सिद्ध कर दिया है कि अंडे से हार्ट अटैक कि सम्भावना बहुत बढ़ जाती है !इसलिए उत्तम आहार सिर्फ शाकाहार ही है ! शाकाहार अपनाओ ,जीवन को उन्नत बनाओ ! मुनिश्री 108 प्रमाण सागर जी की “दिव्य जीवन का द्वार” से |
19-01-2012, 08:27 PM | #7 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
विशिष्ट गुणों के कारण घर-घर में लोकप्रिय ऐलोवेरा
लिली प्रजाति का एक पौधा है ऐलोवेरा जो अपने विशिष्ट गुणों के कारण आज घर-घर में लोकप्रिय हो गया है। सौंदर्य प्रसाधन सामग्री से लेकर कई महत्वपूर्ण दवाओं तक में इसका इस्तेमाल दिनप्रतिदिन बढ रहा है। यह हरे रंग का छोटा सा पौधा है जो आकार-प्रकार में कैक्टस की तरह होता है। इसके रस में एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल दोनों ही गुण होते हैं।... |
19-01-2012, 08:28 PM | #8 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
शाकाहार के प्रति आकर्षित होते युवा
चाहे किसी जानी-मानी हस्ती की नकल करना हो, जानवरों के प्रति सहानुभूति हो या स्वास्थ्य कारण; इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज का युवा वर्ग अपनी जीवनचर्या में शाकाहार को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। कहने को तो धार्मिक बंधन, नैतिकता, स्वास्थ्य या मांसाहार के प्रति अरुचि भी इसका कारण हो सकती है, लेकिन यह सच है कि ऐसे युवाओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है जो मांसाहार को किसी भी रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं।... |
04-02-2012, 10:47 PM | #9 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
सेहत और कुदरत, दोनों के लिए शाकाहार
शाकाहार और मांसाहार को लेकर पिछले कई दशकों से चल रहे विवाद में भले ही दोनों पक्षों के पास अपने अपने प्रबल तर्क हों लेकिन शाकाहार के पक्ष में यह बात सबसे महत्वपूर्ण साबित होती है कि इसके जरिये प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचने की बजाय लाभ होता है। दुनियाभर में शाकाहार को बढ़ावा देने वाली प्रतिष्ठित संस्था 'पेटा' की प्रवक्ता बेनजीर सुरैया ने कहा, ''भारत शाकाहार का जन्मस्थान रहा है |
11-02-2012, 11:23 PM | #10 |
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Re: शाकाहार - उत्तम आहार
विशेषज्ञों का मानना है कि माँसाहार का बढ़ता प्रचलन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जलवायु परिवर्तन और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। इससे बचाव और पर्यावरण संतुलन के लिए विशेषज्ञ शाकाहार को अपनाने का सुझाव देते हैं।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे संगठन ग्रीनपीस के नीति सलाहकार श्रीनिवास के अनुसार शाकाहार अपनाने से अप्रत्यक्ष तौर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जा सकता है। श्रीनिवास ने बताया कि जब जलवायु परिवर्तन की बात होती है तो हम जीवनशैली बदलने की बात करते हैं, क्योंकि इसका प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। जीवनशैली में भोजन भी शामिल होता है। उनके मुताबिक माँसाहार के अधिक प्रचलन के कारण कहीं न कहीं वातावरण में कार्बन डाई आक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है। इसलिए माँसाहार जलवायु परिवर्तन में भूमिका निभा रहे हैं। श्रीनिवास ने कहा कि इसलिए शाकाहार को बढ़ावा देकर केवल स्वास्थ्य कारणों से ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी हम लाभान्वित होंगे। राजधानी में राकलैंड अस्पताल की मुख्य डायटीशियन सुनीता कहती हैं कि माँसाहार के लिए जब पशुओं को काटा जाता है तो उनमें कुछ हार्मोनल बदलाव होते हैं। ये हार्मोनल प्रभाव माँसाहार का सेवन करने वालों के शरीर में भी पहुँच जाते हैं। ग्लोबल वार्मिंग की ओर इशारा करते हुए सुनीता ने कहा कि एक पहलू यह भी है कि शाकाहार या हरी सब्जियों तथा फलों के लिए अधिक कृषि उत्पादन होगा तो वातावरण में आक्सीजन अधिक मात्रा में उत्सर्जित होगी। केवल शाकाहार का सेवन करने के लिए और माँसाहार नहीं लेने के लिए सुनीता तर्क देती हैं कि माँसाहारी लोग अपने भोजन के रूप में जिन पशुओं के माँस का सेवन करते हैं वे पशु भी घास आदि खाकर शाकाहार से ही अपना भोजन लेते हैं। यानी पशु जिस भोजन को सीधे तौर पर लेते हैं माँसाहारी लोग उसे अप्रत्यक्ष तरीके से लेते हैं। सुनीता के अनुसार इसलिए क्यों न हम सभी अपना सीधा आहार शाकाहार के रूप में ही लें। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी सुनीता शाकाहार पर जोर देती हैं और कहती हैं कि माँसाहार की तुलना में शाकाहार में प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण आदि सभी का बेहतर संतुलन होता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी मनुष्य जाति के दाँत प्राकृतिक तौर पर शाकाहार के लिए ही बने होते हैं। माँसाहार का सेवन करने वाले पशुओं की बनावट प्राकृतिक तौर पर अलग ही होती है। |
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