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09-11-2016, 08:57 AM | #1 |
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किसी की चश्मे-तर में रहते हैं
वो तो अपने घर में रहते हैं हम लेकिन भंवर में रहते हैं अपना वजूद सबसे हसीं है किसीकी चश्मे-तर में रहते हैं (चश्मे-तर —- Wet eyes) पोशीदा नहीं कुछ भी हमसे मंज़र तमाम नज़र में रहते हैं (पोशीदा —- Hidden, secret) ज़माने लगेंगे मिलने में हमसे हम नहीं जस्त भर में रहते हैं (जस्त — Jump, bounce, फ़लांग) Read more Shayar: Sunny Singh "Akash" Last edited by sunnysingh16388; 10-11-2016 at 01:17 PM. |
09-11-2016, 09:46 AM | #2 |
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Re: किसी की चश्मे-तर में रहते हैं
अभिनन्दन. अच्छी शुरुआत है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
09-11-2016, 10:49 AM | #3 |
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Re: किसी की चश्मे-तर में रहते हैं
Shukriya ji!
Last edited by sunnysingh16388; 09-11-2016 at 10:52 AM. |
09-11-2016, 10:51 AM | #4 |
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Re: किसी की चश्मे-तर में रहते हैं
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