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#1 |
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दोस्तों, लेखन में सबसे अधिक कठिन काम है- बच्चों के लिए कहानियां लिखना. वैसे तो कक्षा एक से लेकर कक्षा बारह तक पढ़ने वाले सभी छात्र बच्चे ही कहलाते हैं, किन्तु कक्षा बारह के छात्र कक्षा चार के छात्र के लिए लिखी हुई कहानियाँ पढ़ना बिलकुल पसंद नहीं करते. अतः बच्चों के आयु वर्ग के अनुरूप ही एक कहानी लिखी जाती है और उसी के अनुसार शब्दों का चयन और वाक्यों का गठन किया जाता है. इस विषय पर यदि चर्चा की जाए तो पूरी पुस्तक तैयार हो सकती है. बच्चों के लिए जो भी कहानियाँ कहानियाँ लिखी जाती हैं उसमें सभी जानवर जंगल में एक साथ रहते हैं और जंगल का राजा शेर होता है. लेखन की इस प्रचलित परम्परा से हटकर मेरी परिकल्पना में जंगल के हर जानवर का अपना एक अलग देश है और सभी जानवर अपने-अपने देश में अलग रहते हैं. इस परिकल्पना पर आधारित एक कहानी ‘सफ़ेद चूहा’ मैंने लिख दी है, आयु वर्ग आप बताइए-
एक बार एक घुमक्कड़ सफेद चूहा घूमते-घूमते बिल्लियों के देश में पहुँच गया। उसे यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि बिल्लियों के देश की रानी एक बहुत सुन्दर सफेद बिल्ली है। वह उत्सुकता के साथ सफेद रानी बिल्ली को देखने के लिए बिल्ली-महल पहुँचा। उस समय सफेद रानी बिल्ली एक ऊँचे बिल्ली-सिंहासन पर बैठी थी और बिल्ली-देश की सभी बिल्लियाँ बिल्ली-महल के बाहर जमा थीं। बिल्ली-महल के बाहर बड़े-बड़े टोकरों में फूल रखा हुआ था। रानी बिल्ली ने वहाँ पर जमा सभी बिल्लियों को अपना फरमान सुनाया कि जो-जो उसे पसन्द करता हो वह उसके ऊपर फूल फेंके और जो उसे न पसन्द करता हो तो वह तुरन्त बिल्लियों के देश को छोड़कर चला जाए। यह सुनकर सफेद चूहे को अपने आप पर बहुत गुस्सा आया और उसने ज़ोर से कहा- ’मैं मूर्ख नहीं, महामूर्ख था जो सफेद बिल्ली को देखने आया। एक रानी कहीं अपनी प्रजा से इस तरह का व्यवहार करती है?’ सफेद चूहे की बात रानी बिल्ली के दिल से लग गई और उसने सफेद चूहे को बिल्ली-दरबार में बुलाने का आदेश दिया। यह सुनकर बड़ी-बड़ी आँखों वाली अंग्रेज़ मंत्री बिल्ली ने अंग्रेज़ी में रानी बिल्ली को सलाह दिया- ’एक चूहे की बात से इतना अधिक प्रभावित होकर बिल्ली देश के कानून को बदलने की कोई ज़रूरत नहीं है। चूहे को देश से निकाल बाहर कीजिए। बिल्लियों के देश में एक चूहे का क्या काम?’ किन्तु रानी बिल्ली ने मंत्री बिल्ली की एक न सुनी और सफे़द चूहे से दोस्ती कर ली। बिल्ली से दोस्ती होने के कारण अब सफेद चूहा रोज़ बिल्ली-दरबार में आता और कभी रानी बिल्ली के शरीर के ऊपर चढ़कर उसके साथ खेलता-कूदता और कभी रानी बिल्ली के सिंहासन पर चढ़कर खेलने लगता। रानी बिल्ली और सफेद चूहे की दोस्ती को देखकर देश की बिल्लियों को बड़ा ताज्जुब होता। रानी बिल्ली से दोस्ती होने के कारण बिल्ली-देश की सभी बिल्लियाँ सफेद चूहे से डरने लगीं। |
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#2 |
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एक दिन पड़ोस के एक छोटे से बिल्ली-देश की रानी कानी बिल्ली अपनी सहेली सफेद बिल्ली से मिलने आई। जब सफेद बिल्ली ने गर्वपूर्वक एक सफेद चूहे से अपनी दोस्ती के बारे में बताया तो कानी बिल्ली ने मुँह बनाकर कहा- ’यह कौन सी बड़ी बात है? तुम्हारे चूहे से जब चाहूँ मैं भी दोस्ती कर सकती हूँ। भला एक बिल्ली से कौन चूहा दोस्ती नहीं करना चाहेगा?’ सफेद बिल्ली ने विश्वास के साथ कहा- ’यह चूहा साधारण चूहा नहीं, सफेद चूहा है। दोस्ती करके दिखाओ तो जानें। एक लाख अशर्फी की शर्त लगी। अगर तुमने चूहे से दोस्ती कर ली तो मैं तुम्हें एक लाख अशर्फ़ी दूँगी। अगर तुम्हारी दोस्ती चूहे से नहीं हुई तो तुम मुझे एक लाख अशर्फ़ी देना।’ सफे़द बिल्ली की शर्त कानी बिल्ली ने मंजू़र कर लिया और सफे़द चूहे को अपना बिल्ली-देश दिखाने के बहाने से अपने साथ ले गई।
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#3 |
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सफे़द चूहा समझ गया कि कानी बिल्ली शर्त लगाकर उससे दोस्ती करना चाहती है। इसलिए उसने कानी बिल्ली की नाक में दम कर दिया। वह जब भी मौका मिलता कानी बिल्ली के बिस्तर पर और बिल्ली-महल में जहाँ देखता वहाँ मल-मूत्र विसर्जन कर देता। कानी बिल्ली अपना बिस्तर और बिल्ली-महल साफ करते-करते तंग आ गई किन्तु शर्त लगी होने के कारण वह सिर्फ़ दाँत पीसकर रह जाती क्योंकि बिना दोस्ती किए सफे़द चूहे को अपने देश से निकालने का मतलब था- सफे़द बिल्ली से शर्त हार जाना। जब सफे़द चूहे को गए हुए बहुत दिन हो गए और वह वापस नहीं आया तो सफे़द बिल्ली यह सोचकर रोने-धोने लगी कि सफे़द चूहे की कानी बिल्ली से दोस्ती हो गई और वह हमेशा के लिए चला गया। उधर परेशान कानी बिल्ली ने शर्त जीतने के लिए सफेद चूहे से जबरदस्ती दोस्ती करने की कोशिश की तो सफेद चूहे ने उसके कान में काट लिया। कानी बिल्ली गुस्से में आकर गाली-गलौज करती हुई अपने दोस्तों के साथ सफे़द चूहे को दौड़ाने लगी तो सफे़द चूहा भागता हुआ सफे़द बिल्ली के देश में चला गया और सफेद बिल्ली की गोद में जाकर छिप गया। सफे़द चूहे की वापसी से सफे़द बिल्ली बहुत खुश हुई और प्रसन्नतापूर्वक नाचने लगी। शर्त में एक लाख अशर्फी हारकर कानी बिल्ली मुँह बनाकर अपने देश वापस चली गई।
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#4 |
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उसके बाद सफे़द बिल्ली और सफे़द चूहे में इतनी दोस्ती हो गई कि सफे़द बिल्ली का मन सफे़द चूहे के बिना नहीं लगता था। वह सफे़द चूहे को अपने से अधिक मानने लगी थी। इसीलिए सफे़द चूहा हमेशा सफे़द बिल्ली के साथ ही रहता, सफे़द बिल्ली के साथ ही खाता-पीता, सफे़द बिल्ली के साथ ही खेलता-कूदता और सफे़द बिल्ली के साथ ही घूमता-टहलता। एक दिन सफे़द बिल्ली ने सफे़द चूहे से कहा- ’अब हम दोनों बहुत निकट आ चुके हैं। हमारी दोस्ती बहुत पक्की हो चुकी है। अच्छा नहीं लगता, तुम दिन भर मेरे आगे-पीछे दाएँ-बाएँ ऊपर-नीचे कूदते रहते हो। अब तुम चुपचाप मेरे सिर पर बैठा करो। कितना अच्छा लगेगा- सफे़द बिल्ली के सिर पर राजमुकुट की तरह सफे़द चूहा बैठा है।’ सफे़द बिल्ली की बात सफे़द चूहे को बड़ी अजीब लगी। उसे ऐसा लगा सफे़द बिल्ली का दिमाग़ कुछ खराब है। अपना शक दूर करने के लिए सफे़द चूहे ने गूगल में ’बिल्ली के सिर पर चूहा’ सर्च करके देखा तो उत्तर में ’दिमाग़ खराब’ आया। यह देखकर सफे़द चूहे ने उदास होकर बड़ी-बड़ी आँखों वाली अंगे्रज़ मंत्री बिल्ली से कहा- ’बड़े दुःख की बात है। तुम्हारी रानी सफे़द बिल्ली का दिमाग़ तो मुझे खराब लगता है। लेकिन मैं सफे़द बिल्ली के सिर पर ज़रूर बैठूँगा क्योंकि सफे़द बिल्ली ने सिर पर बैठने के लिए बड़े प्यार से कहा है।’ यह सुनकर बड़ी-बड़ी आँखों वाली अंग्रेज़ मंत्री बिल्ली को सफे़द चूहे पर बहुत गुस्सा आया और उसने यह बात सफे़द बिल्ली से बता दी। सफे़द चूहे की बात पर सफे़द बिल्ली का खून खौल गया। एक तो सफे़द चूहे को इज्ज़त देकर सिर पर बैठाओ और बदले में वह उसका अपमान करे!
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#5 |
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दूसरे दिन जब सफे़द चूहा सफे़द बिल्ली के सिर पर चढ़कर बैठने लगा तो सफे़द बिल्ली ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए सफे़द चूहे के कार्य को राजकीय अपमान घोषित कर दिया और सफे़द चूहे को गिरफ्तार करके जेल में बन्द कर दिया। सफे़द बिल्ली के बिना जेल में सफे़द चूहे का मन नहीं लगा तो वह रात में किसी प्रकार जेल से भाग आया और सोती हुई सफे़द बिल्ली के ऊपर उछलने-कूदने लगा। सफे़द चूहे की उछल-कूद से सफे़द बिल्ली की आँख खुल गई और उसने गुस्से से सफे़द चूहे को देखा। सफे़द चूहे ने सफे़द बिल्ली से विनती किया कि उसके बिना उसका मन जेल में नहीं लग रहा है और वह रात भर उसके साथ उछल-कूद करके सुबह अपने आप जेल में चला जाएगा। सफे़द चूहे की बात सुनकर सफे़द बिल्ली रोने लगी क्योंकि उसका मन भी सफे़द चूहे के बिना नहीं लग रहा था। इस प्रकार सफे़द बिल्ली ने सफे़द चूहे को माफ़ कर दिया।
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एक दिन जब सफेद बिल्ली सफे़द चूहे के साथ टहल रही थी तो ज़ोर से पानी बरसने लगा। सफे़द चूहा घबड़ाकर रानी बिल्ली के कान को बिल समझकर कान के भीतर जाने लगा। रानी बिल्ली ने यह समझकर कि सफे़द चूहा उसका अपमान कर रहा है, गुस्से में आ गई और उसने सफे़द चूहे को एक तमाचा मार दिया। रानी बिल्ली का तमाचा खाकर सफेद चूहा बेहोश हो गया। सफेद चूहा को मरा समझकर रानी बिल्ली ज़ोर-ज़ोर से रोने-चिल्लाने लगी- ’हाय, मेरा चूहा मर गया! हाय, मेरा चूहा मर गया!’
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