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05-04-2011, 10:25 PM | #1 |
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निठल्ले का प्यार
आओ सुनाये प्यार की एक कहानी, एक था लड़का एक थी नोटपैड…, ये कब हुआ, कैसे हुआ हमको तो होने के बाद ही पता चला। शुरूआत में तो हम नोटपैड को तुच्छ ही समझते आये थे, कभी कभार एक नजर मार ली तो मार ली लेकिन अब तो ये आलम है कि इसके बिना जीना दूभर हो गया है। एक भी दिन ना देखें तो लगता है जैसे कुछ मीसिंग सा है।
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05-04-2011, 10:25 PM | #2 |
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Re: निठल्ले का प्यार
शायद प्यार होता ही कुछ ऐसे है चोरी चोरी चुपके चुपके। हमें अब भी याद है जब पहली बार नोटपैड को देखा था, देखते ही लगा ये भी कोई देखने की चीज है ना रंग ना रूप। फिर धीरे धीरे ये परिवर्तन कैसे हुआ हमको खुद ही नही पता। कब सादगी अच्छी लगने लगी पता ही नही चला बस गुनगुनाने लगे, “सभी अंदाजे हुस्न प्यारे हैं, हम मगर सादगी के मारे हैं“। हमें सादगी भरे गीत ज्यादा अच्छे लगने लगे, “कहीं एक मासूम नाजुक सी लड़की, बहुत खुबसूरत मगर सांवली सी” टाईप के गीत अच्छे लगने लगे।
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05-04-2011, 10:26 PM | #3 |
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Re: निठल्ले का प्यार
सादगी ही नही बदन भी इतना कोमल और नाजुक था कि कैसे भी ढाल लो गोया कोई कह उठे, “नाजुक नाजुक बदन कोमल कोमल नयन तेरे मुखड़े पे चंदा गगन का गढ़ा, बड़े मन से विधाता ने तूझको गढ़ा“। निठल्ले! जरा एक मिनट रूक जा लिखने दे, हमने निठल्ले को लगभग डांट ही दिया जो हमें हिलाय जा रहा था। अच्छे खासे मूड का कबाड़ा ना कर दे इस बात का डर था। तो जनाब हम कह रहे थे अब आलम ये है कि अपनी सुबह नोटपैड को देखकर शुरू होती है शाम उसी को देखकर खत्म।
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05-04-2011, 10:26 PM | #4 |
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Re: निठल्ले का प्यार
लगता है ये निठल्ला अपनी सुनाई बिना नही मानेगा, जरा एक मिनट रूकिये पहले इसकी सुन लें फिर अपनी कहेंगे। <इसे थोड़ी देर का सन्नाटा समझ लीजिये> अरे बाप रे! इस निठल्ले ने तो झटका सा दे दिया सारे चिट्ठेकार खासकर महिला चिट्ठाकर तो हमें अब तक कहीं मनचला ना घोषित कर चुकी हों। इस निठल्ले ने बात ही ऐसी बतायी है इसलिये अब ये जरूरी हो जाता है कि आगे कुछ कहने से पहले हम थोडा पिक्चर को क्लियर कर लें। निठल्ले ने बताया कि इस चिट्ठाजगत में नोटपैड नामकी चिट्ठाकारा हैं इसलिये हमें या तो अपनी जुबान को संयत करना चाहिये या सब कुछ साफ शब्दों में बता देना चाहिये कि हम बात क्या कर रहे हैं।
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05-04-2011, 10:27 PM | #5 |
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Re: निठल्ले का प्यार
इसलिये हम आपको पहले ये बता देते हैं कि हम माइक्रोसोफ्ट के विंडोज नामके ओपरेटिंग सिस्टम में पाये जाने वाले नोटपैड की बात कर रहे हैं, जिसका पूरा नाम नोटपैड डॉट ईएक्सई है। अगर आपने इसे देखा होगा तो पाया होगा कि ये बहुत ही सादगी भरा सोफ्टवेयर प्रोग्राम है ना कोई टूलबार ना कोई चमकती ईमेज कुछ भी नही। और हम इसी सादगी की बात कर रहे थे, कोमल लचक भरे बदन से हमारा मतलब था कि आप इसे किसी भी आकार में ओपन कर सकते हैं मतलब है कैसे भी रि-साईज कर सकते हैं।
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05-04-2011, 10:27 PM | #6 |
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Re: निठल्ले का प्यार
उसी की बात कर रहे थे, जब विंडोज से रूबरू हुए थे तब बाकि इतने सारे चमक धमक वाले सोफ्टवेयर थे कि इसे बिल्कुल ही बकवास समझ किनारे कर दिया। फिर धीरे धीरे इसकी उपयोगिता पता चलने लगी, जब एएसपी (एक्टिव सर्वर पेजेस) पर काम करने का पहला पहला मौका मिला तो जानकारों ने बताया कि कोड लिखने के लिये नोटपैड यूज करो ए एस पी के लिये सबसे बेस्ट है। फिर जब इधर का माल उधर करने की नौबत आयी, तब भी कहा गया कि नोटपैड यूज करो, इधर का माल उधर नही समझे अरे डेटा ट्रांसफर। डेटाबेस से डेटा भेजना था ई-मेल की थ्रू तो जिसे माल रिसिव करना था उसने ही बोला टेक्सट फोर्मेट में भेजना यानि कि बार बार नोटपैड यूज में लाना था डेटा देखने के लिये।
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05-04-2011, 10:28 PM | #7 |
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Re: निठल्ले का प्यार
इतने पर भी बात नही थमी, कभी भी किसी फोर्मेटेड टेक्सट को बगैर फोर्मेट के चाहिये होता था नोटपैड ही काम आता था, कोई रीडमी फाईल पढ़नी हो तो नोटपैड, किसी कनफिग (सोफ्टवेयर की सेटिंग वाली फाईल) फाईल में सेटिंग देखनी या लिखनी हो तो नोटपैड। और तो और ए एस पी छोड जब एएसपी डॉट नेट पर काम करने का वक्त आया था तब भी जल्दी से कभी किसी वेब डॉट कनफिग में बदलाव लाना होता था तो झट से नोटपैड में ओपन कर लेते थे, आसानी और तुरंत सारा काम हो जाता था। अब जब फोरमबाज़ी करने लगे हैं तो इसकी पी.एच.पी की फाईल में कोई भी संसोधन करना हो तो फिर से नोटपैड या कोई नयी एच.टी.एम.एल की फाईल लिखनी हो तो नोटपैड।
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05-04-2011, 10:29 PM | #8 |
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Re: निठल्ले का प्यार
मुझे पता है आप में से कई लोगों के बहुत कुछ समझ नही आया होगा तो उनके लिये संक्षेप में बता दूँ नोटपैड यानि बिहारी के दोहे जैसी “देखन में छोटी लगे घाव काम करे गंभीर“। हम आज भी नोटपैड को बहुत यूज करते हैं डेटा दिखाने का तरीका बदल गया फिर भी नोटपैड काम आ ही जाता है यानि कि एक्स.एम.एल. वाले फोर्मेट के डेटा को देखने के लिये भी नोटपैड यूज कर सकते हैं। वैसे अब काफी लोगों ने नोट किया होगा कि नोटपैड का भी मेकओवर हो गया है और अलग अलग तरह के नोटपैड आ गये हैं। लेकिन कितना भी मेकओवर क्यों ना हो जाये रहेंगे तो सब नोटपैड ही ना, बस जब तक नोटपैड हमारा तारनहार बना हुआ है हम नोटपैड की यूँ ही महिमा गाते रहेंगे। अगर आप अभी तक इससे रूबरू नही हुए हैं तो जल्दी से हो जाईये क्या पता कभी आपके भी काम आ जा जाये।
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07-04-2011, 12:30 AM | #9 |
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Re: निठल्ले का प्यार
बताओ तो एक भी जवाब नहीं आया
हे दुनिया वाले उठा ले
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07-04-2011, 01:00 PM | #10 |
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Re: निठल्ले का प्यार
नहीँ भगवान के लिये इसे मत उठाओ , मैँने जबाब दे दिया है ।
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दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो । |
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