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30-01-2024, 11:59 AM | #1 |
Diligent Member
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छलने लगे हैं लोग
छलने लगे हैं लोग
■■■■■■■ देकर यकीन साथ का छलने लगे हैं लोग लालच की गोद में यहाँ पलने लगे हैं लोग कहने को आदमी हैं मगर स्वार्थ के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे हैं लोग मुक्तक- आकाश महेशपुरी दिनांक- 29/01/2024 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 |
30-01-2024, 02:35 PM | #2 |
Super Moderator
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Re: छलने लगे हैं लोग
बहुत सुन्दर. आज क हालात पर सटीक बैठता है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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