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06-03-2011, 04:03 AM | #1 |
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Iconic speeches / प्रसिद्ध भाषण
Dr. Martin Luther King Jn. Speech known as "I have a dream" delivered on August 28, 1963 प्रिय मित्रों , मैंने मार्टिन लूथर किंग का ऐतिहासिक भाषण " I have a dream" , जिसने अमेरिका को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया , को हिंदी में translate किया है: उम्मीद है आपको पसंद आएगा. "मैं खुश हूँ कि मैं आज ऐसे मौके पे आपके साथ शामिल हूँ जो इस देश के इतिहास में स्वतंत्रता के लिए किये गए सबसे बड़े प्रदर्शन के रूप में जाना जायेगा......(read full speech) Regards, Gopal एडिट नोट: ऊपर दिया गया link कहीं ले कर नहीं जाता. अतः हम यहाँ पाठकों के सम्मुख डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनि. के भाषण का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत कर रहे हैं: मार्टिन लूथर किंग का ऐतिहासिक भाषण ”I have a dream“ अर्थात् “मेरा एक सपना है” “मैं खुश हूँ कि मैं आज ऐसे मौके पे आपके साथ शामिल हूँ जो इस देश के इतिहास में स्वतंत्रता के लिए किये गए सबसे बड़े प्रदर्शन के रूप में जाना जायेगा. सौ साल पहले, एक महान अमेरिकी, जिनकी प्रतीकात्मक छायामें हम सभी खड़े हैं, ने एक मुक्ति उद्घोषणा (Emancipation Proclamation) पर हस्ताक्षर किये थे. इस महत्त्वपूर्ण निर्णय ने अन्याय सह रहे लाखों गुलाम नीग्रोज़ के मन में उम्मीद की एक किरण जगा दी थी. यह ख़ुशी उनके लिए लम्बे समय तक अन्धकार कि कैद में रहने के बाद दिन के उजाले में जाने के समान था. परन्तु आज सौ वर्षों बाद भी , नीग्रोज़ स्वतंत्र नहीं हैं. सौ साल बाद भी, एक नीग्रो की ज़िन्दगी अलगाव की हथकड़ी और भेद-भाव की जंजीरों से जकड़ी हुई हैं. सौ साल बाद भी नीग्रो समृद्धि के विशाल समुन्द्रके बीच गरीबी के एक द्वीप पर रहता है. सौ साल बाद भी नीग्रो, अमेरिकी समाज के कोनों में सड़ रहा है और अपने देश में हीखुदको निर्वासित पाता है. इसीलिए आज हम सभी यहाँ इस शर्मनाक स्थिति को दर्शाने के लिए इकठ्ठा हैं. एक मायने में हम अपने देश की राजधानी में एक चेक कैश करने आये हैं.जब हमारे गणतंत्र के आर्किटेक्ट संविधान और स्वतंत्रता की घोषणा बड़े ही भव्य शब्दों में लिख रहे थे, तब दरअसल वे एक वचनपत्र पर हस्ताक्षर कर रहे थे जिसका हर एक अमेरिकी वारिस होने वाला था. यह पत्र एक वचन था की सभी व्यक्ति , हाँ सभी व्यक्ति चाहे काले हों या गोरे, सभी को जीवन, स्वाधीनता और अपनी प्रसन्नता के लिए अग्रसर रहने का अधिकार होगा. आज यह स्पष्ट है कि अमेरिका अपने अश्वेत नागरिकों से यह वचन निभाने में चूक गया है. इस पवित्र दायित्व का सम्मान करने के बजाय, अमेरिका ने नीग्रो लोगों को एक फ़र्ज़ी दिया है, एक ऐसा चेक जिसपर “अपर्याप्त कोष” लिखकर वापस कर दिया गया है.लेकिन हम यह मानने से करने इंकार करते हैं कि न्याय का बैंक बैंकरप्ट हो चुका है. हम यह मानने से इनकार करते हैं कि इस देश में अवसर की महान तिजोरी में ‘अपर्याप्त कोष’ है.इसलिए हम इस चेक को कैश कराने आये हैं- एक ऐसा चेक जो मांगे जाने पर हमें धनोपार्जन की आज़ादी और न्याय की सुरक्षा देगा. >>> Last edited by rajnish manga; 16-03-2016 at 09:02 AM. |
14-02-2014, 07:00 PM | #2 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
हम इस पवित्र स्थान पर इसलिए भी आये हैं कि हम अमेरिका को याद दिला सकें कि इसे तत्काल करने की सख्तआवश्यकता है. अब और शांत रहने या फिर खुद को दिलासा देने का वक़्त नहीं है. अब लोकतंत्र के दिए वचन को निभाने का वक़्त है. अब वक़्त है अँधेरी और निर्जन घाटी से निकलकर नस्ली न्याय (racial justice) के आलोकित पथ पर चलने का अब वक़्त है अपने देश को नस्ली अन्याय के दलदल से निकाल कर भाई-चारे की ठोस चट्टान खड़ा करने का. अब वक़्त है नस्ली न्याय को प्रभु की सभी संतानों के लिए वास्तविक बनाने का.
इस बात की तत्काल अनदेखी करना राष्ट्र के लिए घातक सिद्ध होगा. नेग्रोज़ के वैध असंतोष की गर्मी तब तक ख़तम नहीं होगी जब तक स्वतंत्रता और समानता की ऋतु नहीं आ जाती. उन्नीस सौ तिरसठ एक अंत नहीं बल्कि एक आरम्भ है. जो ये आशा रखते हैं कि नीग्रो अपना क्रोध दिखाने के बाद फिर शांत हो जायेंगे देश फिर पुराने ढर्रेपे चलने लगेगा मानो कुछ हुआ ही नहीं, उन्हें एक असभ्य जाग्रति का सामना करना पड़ेगा. अमेरिका में तब तक सुख-शांति नहीं होगी जब तक नीग्रोज़ को नागरिकता का अधिकार नहीं मिल जाता है. विद्रोह का बवंडर तब तक हमारे देश की नीव हिलाता रहेगा जब तकन्याय की सुबह नहीं हो जाती. लेकिन मैं अपने लोगों, जो न्याय के महल की देहलीज पे खड़े हैं, से ज़रूरकुछ कहना चाहूँगा. अपना उचित स्थान पाने की प्रक्रिया में हमें कोई गलत काम करने का दोषी नहीं बनना है. हमें अपनी आजादी की प्यासघृणाऔर कड़वाहट का प्याला पी कर नहीं बुझानी है. हमें हमेशा अपना संघर्ष अनुशासन और सम्मान के दायरे में रह कर करना होगा. हमें कभी भी अपने रचनात्मक विरोध को शारीरिक हिंसा में नहीं बदलना है. हमें बार-बार खुद को उस स्तर तक ले जाना है , जहाँ हम शारीरिक बल का सामना आत्म बल से कर सकें. आज नीग्रोसमुदाय , एक अजीबआतंकवाद से घिरा हुआ है, हमें ऐसा कुछ नहीं करना है कि सभी श्वेत लोगहम पर अविश्वास करने लग जायें, क्योंकि हमारे कई श्वेत बंधु इस बात को जान चुके हैं की उनका भाग्य हमारे भाग्य से जुड़ा हुआ है , और ऐसा आज उनकी यहाँ पर उपस्थिति से प्रमाणित होता है. वो इस बात को जान चुके हैं कि उनकी स्वतंत्रता हमारी स्वतंत्रता से जुड़ी हुई है. हम अकेले नहीं चल सकते. हम जैसे जैसे चलें, इस बात का प्रण करें कि हम हमेशा आगे बढ़ते रहेंगे. हम कभी वापस नहींमुड़ सकते. कुछ ऐसे लोग भी हैं जो हम नागरिक अधिकारों के भक्तों से पूछ रहे हैं कि, “आखिर हम कब संतुष्ट होंगे?” >>>
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 18-02-2014 at 07:31 PM. |
14-02-2014, 07:02 PM | #3 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगेजब तक एक नीग्रो, पुलिस की अनकही भयावहता और बर्बरता का शिकार होता रहेगा. हम तब तक नहीं संतुष्ट होंगे जब तकयात्रा से थके हुए हमारे शरीरराजमार्गों के ढाबों और शहरके होटलों में विश्राम नहीं कर सकते. हम तब तक नहीं संतुष्ट होंगे जब तक एक नीग्रो छोटी सी बस्ती से निकल कर एक बड़ी बस्ती मेंनहीं चला जाता. हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक हमारे बच्चों से उनकी पहचानछीनी जाती रहेगी और उनकी गरिमा को,” केवल गोरों के लिए”संकेत लगा कर लूटा जाता रहेगा. हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगेजब तक मिस्सीसिप्पी में रहने वाला नीग्रो मतदाननहीं कर सकता और जब तक न्यूयॉर्क में रहने वाला नीग्रो ये नहीं यकीन करने लगता कि अब उसके पास चुनाव करने के लिए कुछ है ही नहीं. नहीं, नहीं हम संतुष्ट नहीं हैं और हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक न्याय जल कीतरह और धर्म एक तेज धरा की तरह प्रवाहित नहीं होने लगते.
मैं इस बात से अनभिज्ञ नहीं हूँ कि आप में से कुछ लोग बहुत सारे कष्ट सह कर यहाँ आये हैं. आपमें से कुछ तो अभी-अभी जेल से निकल कर आये हैं. कुछ लोग ऐसी जगहों से आये हैं जहां स्वतंत्रता की खोज में उन्हेंअत्याचार के थपेड़ों और पुलिस की बर्बरता से पस्त होना पड़ा है.आपको सही ढंग से कष्ट सहने का अनुभव है. इस विश्वास के साथ कि आपकी पीड़ाका फल अवश्य मिलेगा आप अपना काम जारी रखिये. मिसिसिप्पी वापस जाइये , अलबामा वापस जाइये, साउथ कैरोलिना वापस जाइये , जोर्जियावापस जाइये, लूजीआनावापस जाइये, उत्तरीय शहरों की झोपड़ियों और बस्तियों में वापस जाइये, ये जानते हुए कि किसी न किसी तरह यहस्थिति बदल सकती है और बदलेगी आप अपने स्थानों पर वापस जाइये. अब हमें निराशा की घाटी में वापस नहीं जाना है. मित्रों, आज आपसे मैं ये कहता हूँ, भले ही हम आजकल कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, पर फिर भीमेरा एक सपना है (I have a dream),एक ऐसा सपना जिसकी जडें अमेरिकी सपने में निहित है. मेरा एक सपना हैकि एक दिन यह देश ऊपर उठेगा और सही मायने में अपने सिद्धांतों को जी पायेगा.” हम इस सत्य को मानते हैं कि: सभी इंसान बराबर पैदा हुए हैं” मेरा एक सपना है कि एक दिनजार्जिया के लाल पहाड़ों पे पूर्व गुलामो के पुत्रऔर पूर्व गुलाम मालिकों के पुत्र भाईचारे की मेज पे एक साथ बैठ सकेंगे. मेरा एक सपना है कि एक दिन मिस्सिस्सिप्पी राज्य भी , जहाँ अन्याय और अत्याचार की तपिश है , एक आजादी और न्याय के नखलिस्तान में बदल जायेगा. मेरा एक सपना है कि एक दिन मेरे चारों छोटे बच्चे एक ऐसे देश में रहेंगे जहाँ उनका मूल्यांकन उनकी चमड़ी के रंग से नहीं बल्कि उनके चरित्रकी ताकत से किया जायेगा. >>>
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 18-02-2014 at 07:33 PM. |
14-02-2014, 07:03 PM | #4 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
आज मेरा एक सपना है.
मेरा एक सपना है कि एक दिनअलबामा में, जहाँ भ्रष्ट जातिवाद है, जहाँ राज्यपाल के मुख से बस बीच-बचाव और संघीय कानून को न मानने के शब्द निकलते हैं, एक दिन उसी अलबामा में, छोटे-छोटे अश्वेत लड़के और लड़कियां छोटे-छोटे श्वेत लड़के और लड़कियों का हाँथ भाई-बहिन के समान थाम सकेंगे. मेरा एक सपना है. मेरा एक सपना है कि एक दिन हर एक घाटी ऊँची हो जाएगी , हर एक पहाड़ नीचे हो जायेगा, बेढंगे स्थान सपाट हो जायेंगे, और टेढ़े-मेढ़े रास्ते सीधे हो जायेंगे, और तब इश्वर की महिमा दिखाई देगी और सभी मनुष्य उसे एक साथ देखेंगे. यही हमारी आशा है, इसी विश्वासके साथ मैं दक्षिण वापस जाऊंगा.इसीविश्वास सेहम निराशा के पर्वत को आशा के पत्थर से काट पाएंगे. इसी विश्वास से हम कलह के कोलाहल को भाई-चारे के मधुर स्वर में बदल पाएंगे.इसीविश्वास से हम एक साथ काम कर पाएंगे,पूजा कर पाएंगे,संघर्ष कर पाएंगे,साथ जेल जा पाएंगे , और ये जानते हुए कि हम एक दिन मुक्तहो जायंगे , हम स्वतंत्रता के लिए साथ- साथखड़े हो पायंगे. ये एक ऐसा दिन होगा जब प्रभु की सभी संताने एक नए अर्थ के साथ गा सकेंगी, “My country’tis of thee, sweet land of liberty, of thee I sing. Land where my fathers died, land of the pilgrim’s pride, from every mountainside, let freedom ring.” ..... ..... .... .... हर एक पर्वत से से आजादी की गूँज होने दीजिये. और जब ऐसा होगा , जब हम आजादी की गूँज होने देंगे , जब हर एक गाँव और कसबे से, हर एक राज्य और शहर से आजादी की गूँज होने लगेगी तब हम उस दिन को और जल्द ला सकेंगे जब इश्वर की सभी संताने , श्वेत या अश्वेत, यहूदी या किसी अन्य जाती की , प्रोटेस्टंट या कैथोलिक, सभी हाथ में हाथ डालकर नीग्रोज का आध्यात्मिक गाना गा सकेंगे,”"Free at last! free at last! thank God Almighty, we are free at last!”“ मार्टिन लूथर किंग (Martin Luther King)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 18-02-2014 at 07:35 PM. |
14-02-2014, 07:05 PM | #5 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
John F. Kennedy's Inaugural Speech यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल वॉशिंगटन, डी.सी. 20 जनवरी, 1961 उप राष्ट्रपति जॉन्सन, अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति आइज़नहॉवर, उप राष्ट्रपति निक्सन, राष्ट्रपति ट्रूमैन, आदरणीय सीनेटरगण, साथी देशवासियों: आज हम दल का विजयोत्सव नहीं मना रहे हैं, बल्कि आज़ादी का जश्न मना रहे हैं — जो समापन के साथ-साथ एक शुरुआत का प्रतीक है — जो नवीनीकरण के साथ-साथ परिवर्तन को दर्शाता है। मैंने आपके और सर्वशक्तिमान ईश्वर के समक्ष वही पवित्र शपथ ली है, जिसे हमारे पूर्वजों ने एक सौ पचहत्तर वर्ष पहले निर्धारित किया था। दुनिया बहुत बदल चुकी है। मनुष्य के घातक हाथों में हर प्रकार की मानवीय ग़रीबी और हर प्रकार के मानवीय जीवन को नष्ट करने की शक्ति है। और फिर भी वही क्रांतिकारी मान्यताएँ जिनके लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया आज भी दुनिया भर में समस्या का कारण बनी हुई हैं - यह मान्यता कि मनुष्य के अधिकार राजकीय उदारता न होकर भगवान की देन हैं। हमें आज यह भूलने की बिल्कुल भी गलती नहीं करनी चाहिए कि हम उस पहली क्रांति के उत्तराधिकारी हैं। आज, इस समय और इसी जगह से, हमारे मित्र और शत्रु, दोनों तक यह संदेश पहुँचने दें कि अमरीका की नई पीढ़ी के हाथों मशाल को सौंप दिया गया है — जो इस सदी में जन्मी, युद्ध से प्रभावित, कठोर और कटु शांति द्वारा अनुशासित, हमारी प्राचीन संस्कृति के गौरव को महसूस करने वाली — और उन मानवाधिकारों का धीरे-धीरे सर्वनाश होते हुए देखने या अनुमति देने के लिए अनिच्छुक है जिनके प्रति यह देश हमेशा से प्रतिबद्ध रहा है, और जिनके प्रति आज हम और पूरी दुनिया प्रतिबद्ध है। प्रत्येक राष्ट्र यह जान ले, भले ही वह हमारा भला चाहता हो या बुरा, कि हम स्वाधीनता बनाए रखने और उसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए कोई भी क़ीमत चुकाने, कोई भी बोझ उठाने, कोई भी कठिनाई झेलने, किसी भी मित्र की मदद करने, किसी भी शत्रु का सामना करने के लिए तैयार हैं। हम इतना ही नहीं - इससे अधिक का वचन देते हैं। हम उन पुराने मित्र राष्ट्रों के प्रति विश्वसनीय मित्रों की वफ़ादारी का वचन देते हैं, जिनके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल हमारे जैसे हैं। साथ मिलकर शायद ही ऐसे कोई सहयोगी साहसिक कार्य होंगे, जिन्हें हम न कर पाएँ। विभक्त होकर हम शायद ही कुछ कर पाएँगे - क्योंकि ऐसे में विषम और अलग टुकड़ों में बँटकर हम किसी शक्तिशाली चुनौती का सामना नहीं कर सकते। उन नए राष्ट्रों को, जिनका हम स्वाधीन वर्ग में स्वागत करते हैं, हम यह वचन देकर कहते हैं कि एक प्रकार के औपनिवेशिक नियंत्रण को केवल इसलिए नहीं हटाया गया है ताकि उससे भी अधिक क्रूर निरंकुश शासन उसकी जगह ले सके। हमें हमेशा इस बात की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि वे हमारे दृष्टिकोण का समर्थन करेंगे। बल्कि हमें सदैव यह आशा करनी चाहिए कि वे दृढ़ता से अपनी स्वाधीनता का समर्थन करेंगे - और यह याद रखें कि अतीत में, जिन लोगों ने शेर पर सवार होकर अधिकार पाने की मूर्खता की है, वे उसी के आहार बन गए। >>>
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 18-02-2014 at 09:21 PM. |
14-02-2014, 07:06 PM | #6 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
सामूहिक गरीबी के बंधनों से मुक्त होने के लिए संघर्ष कर रहे दुनिया के आधे हिस्से में बसे झुग्गी-झोपड़ियों और गाँवों में रहने वाले लोगों के लिए, चाहे जितना भी समय लगे, हम उन्हें उनकी स्वयं की मदद करने में सहायता करने का वचन देते हैं - इसलिए नहीं कि साम्यवादी यह काम कर रहे हैं, या हम उनका मत चाहते हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि यह सही है। यदि मुक्त समाज उन लाखों ग़रीबों की मदद नहीं कर सकता, तो वह उन चंद धनवानों को भी नहीं बचा सकता।
हमारी सीमा के दक्षिण में स्थित सहयोगी गणराज्यों को - अपने उत्तम उद्देश्यों को उत्तम कार्यों में परिवर्तित करने – प्रगति के लिए एक नए सहयोग की दिशा में – मुक्त जनता और मुक्त सरकार को ग़रीबी की ज़ंजीरों को तोड़ने में सहायता करने का हम एक विशेष वचन देते हैं। लेकिन आशा की यह शांतिपूर्ण क्रांति, विरोधी शक्तियों का शिकार नहीं बन सकती। हमारे सभी पड़ोसी जान लें, कि हम अमेरिकास में कहीं भी आक्रमण या विध्वंस का मुक़ाबला करने में उनका साथ देंगे। और हर दूसरी शक्ति यह जान ले कि यह गोलार्ध अपने घर का ख़ुद ही मालिक बना रहना चाहता है। स्वायत्त राज्यों के वैश्विक संघ, संयुक्त राष्ट्र, जो ऐसे युग में हमारी अंतिम श्रेष्ठ आशा है जहाँ युद्ध के साधनों ने शांति के उपकरणों को बहुत ही पीछे छोड़ दिया है - उसे केवल भर्त्सना का मंच बनने से बचाने - नए और कमज़ोर के लिए उसकी ढाल को मज़बूत करने - और उस क्षेत्र को विस्तृत करने जहाँ उसका शासन चले, के प्रति हम समर्थन के अपने वचन को दोहराते हैं। अंत में, उन राष्ट्रों से, जो स्वयं को हमारा विरोधी बनाएंगे, हम वचन नहीं बल्कि अनुरोध करते हैं कि दोनों पक्ष शांति के लिए नई खोज प्रारंभ करें, इससे पहले कि विज्ञान द्वारा छोड़े गए विनाश के काले बादल नियोजित या आकस्मिक आत्म-संहार में पूरी मानवता को घेर लें। हम कमज़ोर होकर उन्हें परख नहीं सकते। क्योंकि जब तक हमारे शस्त्रों की पर्याप्तता संदेह से परे न हो, हम इस बात से निश्चिंत नहीं हो सकते कि उनका कभी भी प्रयोग नहीं किया जाएगा। लेकिन राष्ट्रों के दो महान और शक्तिशाली समूह हमारी वर्तमान प्रगति से सुख-चैन नहीं ले सकते - दोनों ही पक्ष आधुनिक शस्त्रों की अधिक लागत के बोझ तले दबे हैं, दोनों उचित रूप से ही घातक परमाणु के सतत प्रसार से भयभीत हैं, फिर भी दोनों मानव-जाति के अंतिम युद्ध को रोकने वाले आतंक के अनिश्चित संतुलन को बदलने के लिए दौड़ रहे हैं। >>>
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 18-02-2014 at 08:43 PM. |
18-02-2014, 08:36 PM | #7 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
अब बिगुल हमें फिर से बुला रहा है - यह शस्त्र धारण करने का बुलावा नहीं, हालाँकि हमें हथियारों की आवश्यकता है - युद्ध करने के आह्वान के रूप में नहीं, हालाँकि हम युद्ध करने के लिए तैयार हैं - बल्कि एक लंबे ढलते हुए संघर्ष का बोझ उठाने के लिए, हर वर्ष "आशा में प्रसन्न होते हुए, संकट में धीरज रखते हुए" – मानव के आम शत्रुओं के प्रति संघर्ष: अत्याचार, गरीबी, रोग और स्वयं युद्ध के प्रति बुलावा है।
क्या हम इन शत्रुओं के विरुद्ध एक विशाल और वैश्विक सहयोग बना सकते हैं, उत्तर और दक्षिण, पूरब और पश्चिम, जो समस्त मानवता के लिए अधिक लाभकारी जीवन का आश्वासन दे? क्या आप इस ऐतिहासिक प्रयास में शामिल होंगे? विश्व के लंबे इतिहास में, केवल चंद पीढ़ियों को घोर संकट की घड़ी में स्वतंत्रता की रक्षा करने की भूमिका निभाने का अवसर मिला है। मैं इस ज़िम्मेदारी से नहीं झिझकता - मैं उसका स्वागत करता हूँ। मैं यह नहीं मानता कि हममें से शायद ही कोई, किसी अन्य व्यक्ति या किसी अन्य पीढ़ी के साथ जगह बदलना चाहेगा। इस प्रयास में लगने वाली हमारी शक्ति, विश्वास, समर्पण हमारे देश और उसकी सेवा करने वाले लोगों को प्रकाशित करेंगी - और इस ज्वाला से निकलने वाली ज्योति सही मायनों में पूरी दुनिया को आलोकित करेगी। तो, मेरे साथी देशवासियो: यह मत पूछें कि आपका देश आपके लिए क्या कर सकता है - पूछें कि आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं। दुनिया के मेरे साथी नागरिकों: यह मत पूछें कि अमरीका आपके लिए क्या करेगा, बल्कि यह पूछें कि हम मिलकर मानव-जाति की स्वतंत्रता के लिए क्या कर सकते हैं। अंत में, चाहे आप अमरीका के नागरिक हैं या विश्व के नागरिक, हमसे यहाँ उन्हीं शक्ति और त्याग के उच्च मानकों की माँग करें, जो हम आपसे चाहते हैं। इतिहास हमारे कार्यों का अंतिम न्यायकर्ता है, सद्विवेक हमारा केवल निश्चित पुरस्कार है, ईश्वर से आशीष और मदद चाहते हुए, चलिए हम उस भूमि का नेतृत्व करने के लिए आगे बढ़ें, जिससे हम प्यार करते हैं, लेकिन यह जानते हुए कि धरती पर ईश्वर का कार्य वास्तव में हमारा कार्य हो। (John F. Kennedy) **
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19-03-2014, 07:34 PM | #8 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
The specific MP whose vote defeated BJP govt was from Manipur.
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21-03-2014, 09:52 PM | #9 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
सिंगापूर मे आजाद हिंद फ़ौज के सामने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का दिया गया एतिहासिक भाषण [सन् 1941 में कोलकाता सेनेताजी सुभाष चन्द्र बोसअपनी नजरबंदी से भागकर ठोस स्थल मार्ग से जर्मनी पहुंचे, जहां उन्होंने भारत सेना का गठन किया। जर्मनी में कुछ कठिनाइयां सामने आने पर जुलाई 1943 में वे पनडुब्बी के जरिए सिंगापुर पहुंचे। सिंगापुर में उन्होंने आजाद हिंद सरकार (जिसे नौ धुरी राष्ट्रों ने मान्यता प्रदान की) और इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया। मार्च एवं जून 1944 के बीच इस सेना ने जापानी सेना के साथ भारत-भूमि पर ब्रिटिश सेनाओं का मुकाबला किया। यह अभियान अंत में विफल रहा, परंतु बोस ने आशा का दामन नहीं छोड़ा। जैसा कि यह भाषण उद्घाटित करता है, उनका विश्वास था कि ब्रिटिश युद्ध में पीछे हट रहे थे और भारतीयों के लिए आजादी हासिल करने का यही एक सुनहरा अवसर था। यह शायद बोस का सबसे प्रसिद्ध भाषण है। इंडियन नेशनल आर्मी के सैनिकों को प्रेरित करने के लिए आयोजित सभा में यह भाषण दिया गया, जो अपने अंतिम शक्तिशाली कथन के लिए प्रसिद्ध है]
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21-03-2014, 09:58 PM | #10 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
दोस्तों! बारह महीने पहले पूर्वी एशिया में भारतीयों के सामने 'संपूर्ण सैन्य संगठन' या 'अधिकतम बलिदान' का कार्यक्रम पेश किया गया था। आज मैं आपको पिछले साल की हमारी उपलब्धियों का ब्योरा दूंगा तथा आने वाले साल की हमारी मांगें आपके सामने रखूंगा। परंतु ऐसा करने से पहले मैं आपको एक बार फिर यह एहसास कराना चाहता हूं कि हमारे पास आजादी हासिल करने का कितना सुनहरा अवसर है। अंग्रेज एक विश्वव्यापी संघर्ष में उलझे हुए हैं और इस संघर्ष के दौरान उन्होंने कई मोर्चो पर मात खाई है। इस तरह शत्रु के काफी कमजोर हो जाने से आजादी के लिए हमारी लड़ाई उससे बहुत आसान हो गई है, जितनी वह पांच वर्ष पहले थी। इस तरह का अनूठा और ईश्वर-प्रदत्त अवसर सौ वर्षो में एक बार आता है। इसीलिए अपनी मातृभूमि को ब्रिटिश दासता से छुड़ाने के लिए हमने इस अवसर का पूरा लाभ उठाने की कसम खाई है।
हमारे संघर्ष की सफलता के लिए मैं इतना अधिक आशावान हूं, क्योंकि मैं केवल पूर्व एशिया के30लाख भारतीयों के प्रयासों पर निर्भर नहीं हूं। भारत के अंदर एक विराट आंदोलन चल रहा है तथा हमारे लाखों देशवासी आजादी हासिल करने के लिए अधिकतम दु:ख सहने और बलिदान देने के लिए तैयार हैं। दुर्भाग्यवश, सन्1857के महान् संघर्ष के बाद से हमारे देशवासी निहत्थे हैं, जबकि दुश्मन हथियारों से लदा हुआ है। आज के इस आधुनिक युग में निहत्थे लोगों के लिए हथियारों और एक आधुनिक सेना के बिना आजादी हासिल करना नामुमकिन है। ईश्वर की कृपा और उदार नियम की सहायता से पूर्वी एशिया के भारतीयों के लिए यह संभव हो गया है कि एक आधुनिक सेना के निर्माण के लिए हथियार हासिल कर सकें। >>>
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