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04-10-2012, 11:21 PM | #1 |
Diligent Member
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मुझसे पीछा छुड़ा पाना इतना भी आसान ना होगा
बेकरार सा छोड़ के आज मुझे तुम यूँ निकल ना पावोगे !
जहाँ पर जाओगे मुझ को खड़ा तुम सामने पाओगे!! मुझसे पीछा छुड़ा पाना इतना भी आसान ना होगा कितना समाया हूँ मैं तुझमे ये तुझ को अनुमान न होगा ! दिलों जान से लेकर तेरी सांसो में मैं हूँ, तेरे ख्वाबों में , रात में ,दिन ऐ जहाँ में हूँ ! इतना भी ना कर गुमान इस चढ़ती जवानी का, पानी कैसे बुलबुले जैसा अनुमान इस चढ़ती जवानी का ! दीवानगी के इस आलम में मुझसे गर तुम जुदा हो गए , समझ लेंगे लोग तुम के तुम खुदा हो गये ! दुनिया में कहाँ किसी को जो चाहा वो मिला है , ख़ुशी मिली है बिन मांगे किसी को और किसी को मांगने पर भी गम मिला है! ऐ '''नामदेव '''कर सब्र ज़रा ,इन्तेजार में कुछ बात तो होगी , नए सूरज का फिर होगा उदय बीतने ही वाली ये रात तो होगी ! लेखक ---सोमबीर नामदेव गाँव ---- डाया जिला हिस्सार हरियाणा |
07-10-2012, 06:19 AM | #2 |
Administrator
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Re: मुझसे पीछा छुड़ा पाना इतना भी आसान ना होगा
बहुत अच्छे सोमवीर जी।
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
07-10-2012, 11:41 AM | #3 | |
Special Member
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Re: मुझसे पीछा छुड़ा पाना इतना भी आसान ना होगा
Quote:
वाह वाह सोमवीर भाई क्या बात कही
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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09-10-2012, 12:20 AM | #4 |
Super Moderator
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Re: मुझसे पीछा छुड़ा पाना इतना भी आसान ना होगा
बस, दिल से एक आह निकली ! धन्यवाद सोमवीरजी !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
09-10-2012, 10:54 PM | #5 |
Diligent Member
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Re: मुझसे पीछा छुड़ा पाना इतना भी आसान ना होगा
अभी जी , सेंट जी डॉ साहब और हेबर जी कविता पढ़ने पसंद करने के लिए धन्य वाद /
जो कुछ भी लिख रहा हूँ सब आप जैसे सज्जन पुरुषो के प्रोत्साहन की वजह से ही लिख पा रहा हूँ |
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