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14-01-2011, 06:38 PM | #1 |
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!!मेरा कानपुर!!
कानपुर नगर जिला
कानपुर भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लख्ननऊ से ८० किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए चर्चित ब्रह्मावर्त (बिठूर) के उत्तर मध्य में स्थित ध्रुवटीला त्याग और तपस्या का संदेश दे रहा है। कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे विशाल नगर है।
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14-01-2011, 06:43 PM | #2 |
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Re: !!मेरा कानपुर!!
अनुक्रम
१ इतिहास २ दंतकथा ३ कानपुर के दर्शनीय स्थल ३.१ जाजमऊ ३.२ श्री राधाकृष्ण मंदिर ३.३ जैन ग्लास मंदिर ३.४ कमला रिट्रीट ३.५ फूल बाग ३.६ एलेन फोरस्ट जू ३.७ कानपुर मैमोरियल चर्च ३.८ नाना राव पार्क ४ आवागमन ५ शिक्षण संस्थान ६ कुछ तथ्य ७ यह भी देखें
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14-01-2011, 06:44 PM | #3 |
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Re: !!मेरा कानपुर!!
इतिहास
माना जाता है कि इस शहर की स्थापना सचेन्दी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने की थी। कानपुर का मूल नाम कान्हपुर था। अठारहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध तक इस शहर का विशेष महत्व नहीं था। १७६५ में जब अवध के नवाब शुजाउद्दौला को अंग्रेजों ने जाजमऊ के निकट परास्त किया तो इस शहर का महत्व काफी बढ़ गया। २६० वर्ग किमी. में फैला है।
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14-01-2011, 06:46 PM | #4 |
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Re: !!मेरा कानपुर!!
दंतकथामान्यता है इसी स्थान पर ध्रुव ने जन्म लेकर परमात्मा की प्राप्ति के लिए बाल्यकाल में कठोर तप किया और ध्रुवतारा बनकर अमरत्व की प्राप्ति की। रखरखाव के अभाव में टीले का काफी हिस्सा गंगा में समाहित हो चुका है लेकिन टीले पर बने दत्त मंदिर में रखी तपस्या में लीन ध्रुव की प्रतिमा अस्तित्व खो चुके प्राचीन मंदिर की याद दिलाती रहती है। बताते हैं गंगा तट पर स्थित ध्रुवटीला किसी समय लगभग १९ बीघा क्षेत्रफल में फैलाव लिये था। इसी टीले से गंगा टकरा कर गंगा का प्रवाह थोड़ा रुख बदलता है। पानी लगातार टकराने से टीले का लगभग १२ बीघा हिस्सा कट कर गंगा में समाहित हो गया। टीले के बीच में बना ध्रुव मंदिर भी कटान के साथ गंगा की भेंट चढ़ गया। बुजुर्ग बताते हैं मंदिर की प्रतिमा को टीले के किनारे बने दत्त मंदिर में स्थापित कर दिया गया। पेशवा काल में इसकी देखरेख की जिम्मेदारी राजाराम पंत मोघे को सौंपी गई। तब से यही परिवार दत्त मंदिर में पूजा अर्चना का काम कर रहा है। मान्यता है ध्रुव के दर्शन पूजन करने से त्याग की भावना बलवती होती है और जीवन में लाख कठिनाइयों के बावजूद काम को अंजाम देने की प्रेरणा प्राप्त होती है।
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14-01-2011, 06:49 PM | #5 |
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Re: !!मेरा कानपुर!!
कानपुर के दर्शनीय स्थल
मुख्य लेख : कानपुर के दर्शनीय स्थल नानाराव पार्क (कम्पनी बाग), चिड़ियाघर, राधा-कृष्ण मन्दिर, सनाधर्म मन्दिर, काँच का मन्दिर, श्री हनुमान मन्दिर पनकी, सिद्धनाथ मन्दिर, जाजमऊ आनन्देश्वर मन्दिर परमट, जागेश्वर मन्दिर चिड़ियाघर के पास, सिद्धेश्वर मन्दिर चौबेपुर के पास, बिठूर साँई मन्दिर, मन्धना तकनीकी एवं शैक्षिक संस्थान, श्री छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय (पूर्व में कानपुर विश्वविद्यालय), भारतीय तकनीकी संस्थान (आई.आई.टी.), हरकोर्ट बटलर तकनीकी संस्थान(एच.बी.टी.आई. ), चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर, गंगा बैराज इत्यादि।
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14-01-2011, 06:51 PM | #6 |
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Re: !!मेरा कानपुर!!
जाजमऊ
जाजमऊ को प्राचीन काल में सिद्धपुरी नाम से जाना जाता था। यह स्थान पौराणिक काल के राजा ययाति के अधीन था। वर्तमान में यहां सिद्धनाथ और सिद्ध देवी का मंदिर है। साथ ही जाजमऊ लोकप्रिय सूफी संत मखदूम शाह अलाउल हक के मकबरे के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मकबरे को 1358 ई. में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। 1679 में कुलीच खान की द्वारा बनवाई गई मस्जिद भी यहां का मुख्य आकर्षण है। 1957 से 58 के बीच यहां खुदाई की गई थी जिसमें अनेक प्राचीन वस्तुएं प्राप्त हुई थी।
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14-01-2011, 06:44 PM | #7 |
Exclusive Member
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Re: !!मेरा कानपुर!!
और बताइए कानपुर के बारे मै
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
23-04-2011, 09:45 PM | #8 |
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Re: !!मेरा कानपुर!!
मित्र कानपूर की इतनी विस्तृत जानकारी के लिए धन्यवाद, किर्पया इसमे कानपूर के प्रमुख होटल की भी जानकारी दे.
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किसी की आलोचना मत करो. बस उसके विचारों से कुछ फायदा उठायो.हर बेकार चीज़ मैं भी एक कार छुपी है. |
25-04-2011, 12:34 PM | #9 |
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Re: !!मेरा कानपुर!!
कानपुर तो अच्छा शहर है हि
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
26-04-2011, 10:03 PM | #10 |
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Re: !!मेरा कानपुर!!
कानपुर मे ज्यादातर मे माल रोड ,गोविन्द चौराहा और गंगा माता के कुछ प्रमुख तट पर समय बिताया है लेकिन मैच होते हुये भी ग्रीन पार्क मे मैच नही देख पाया क्यो उस समय भान्जी की शादी मे व्यस्त था
कानपुर से कुछ यादेँ मिली जो मरते दम तक नही भूलूँगा
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Gaurav kumar Gaurav |
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