|
08-07-2018, 09:28 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
महाभारत के पात्र: श्री कृष्ण
महाभारत के पात्र: श्री कृष्ण
द्वापर युग में उस समय राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे | उसका एक पुत्र था | जिसका नाम कंस था | कंस ने अपने पिता को ही बंदी बना लिया और उन्हें गद्दीसे हटाकर स्वयं मथुरा की गद्दी पर बैठ गया | और राज करने लगा | कंस की एकबहुत ही प्यारी बहन देवकी थी|देवकी का विवाह यदुवंशी सरदार से हो गया था | एकसमय की बात है | कंस अपनी बहन देवकी को स्वयं रथ को चलाकर ले जाता हुआउसके ससुराल छोड़ने के लिए जा रहा था | तभी रास्ते में एक आकाशवाणी हुयी – हे कंस जिस बहन को तू बड़े प्यार से उसके ससुराल छोड़ने जा रहा है , उसी बहनका आठवां पुत्र तेरा काल बनेगा| ये आकाशवाणी सुनकर सब आश्चर्यचकित हो गये | और कंस अपना आपा खो बैठा और वासुदेव को मारने के लिए तत्पर हो गया | तभीदेवकी ने अपने भाई कंस को रोका और विनम्रता से कहा – भैया मेरे पति कोछोड़ दो | इन्हें मारने से कोई फायदा नहीं | मेरे गर्भ से जो भी संतान जनमलेगी | मै उसे आपको सौप दूंगी |अब कंस उन दोनों को लेकर मथुरा वापस लौट गया | कंस ने देवकी और वासुदेव को काराग्रह में बंद कर दिया |
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 08-07-2018 at 09:49 PM. |
08-07-2018, 09:32 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: महाभारत के पात्र: श्री कृष्ण
महाभारत के पात्र: श्री कृष्ण
श्री कृष्ण जन्म ( आठवां पुत्र ) अबकंस ने एक – एक करके देवकी और वासुदेव के सातों पुत्रो को मार दिया | अबआठवे पुत्र होने ही वाला था की कंस ने कड़ा पहरा लगवा दिया | भाद्रपद माह कीकृष्ण अष्टमी को मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र मे जिस समय श्री कृष्णपैदा हुए | दूसरी और ठीक उसी समय गोकुल में नन्द और यशोदा के भी एक पुत्रीपैदा हुयी थी |उस समय बहुत तेज वर्षा हो रही थी |चारों तरफ काला अन्धकारछाया हुआ था | बिजली कड़क रही थी | और यमुना भी अपने उफान पर थी | उशी समयवासुदेव के हाथों की बेड़ियाँ खुल जाती है और काराग्रह के सभी सिपाही घोरनिंद्रा में चले जाते है | और काराग्रह के दुवार भी स्वयं खुल जाते है | तभी तेज प्रकाश होता है और वासुदेव को भगवान् विष्णु दर्शन देकर कहते हैकी हे वासुदेव | मै ही तुम्हारा पुत्र बनकर देवकी की गर्भ से जनम ले रहाहू| तुम इस समय काराग्रह से बालक को ले जाओ और अपने मित्र नन्द जी के घरछोड़ दो और वहां जो कन्या पैदा हुयी है | उसे यहाँ काराग्रह में लेकर आओ | >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 08-07-2018 at 09:38 PM. |
08-07-2018, 09:34 PM | #3 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: महाभारत के पात्र: श्री कृष्ण
महाभारत के पात्र: श्री कृष्ण
भगवान् विष्णु के आदेशानुसार वासुदेव श्री कृष्ण को वहां से लेकर चलने लगते है | तभी वासुदेव देखते है की काराग्रह के द्वार स्वयं खुल जाते है और उनके पैरों की बेड़ियाँ भी खुल चुकी थी | वो काराग्रह से बहार ही निकले कीउन्होंने देखा सभी सैनिक नींद में थे | वासुदेव ये सब देखकर आश्चर्यचकित होजाते है |वासुदेव अब श्री कृष्ण को लेकर जाने लगते है| रास्ते में उन्हें यमुना जी को पार करना पढता है | यमुना जी उफान पर थी | मानो ऐसा लग रहा था की यमुना जी श्री कृष्ण के चरणों को स्पर्श करना चाहती थी | फिर भी यमुनाजी उन्हें रास्ता दे रही थी |जब वासुदेव जी के सर तक जल आ गया और यमुना जीने श्री कृष्ण के चरणों को स्पर्श कर लिया | तब धीरे – धीरे यमुना का जलस्तर कम होने लगा | और वासुदेव जी कृष्ण को लेकर वृन्दावन पहुँच जाते है | वासुदेव जी ने देखा की यशोदा जी अपनी पुत्री के साथ सोयी हुई थी | उन्होंने कृष्ण को यसोधा के पास लेटा दिया | और स्वयं यसोदा की पुत्री कोगोद में लेकर मथुरा काराग्रह में चले गये | तभीसभी दुवार बंद हो जाते है | और वासुदेव की बेड़ियाँ भी खुद बंद हो जाती है |अब सैनिक निंद्रा से जाग जाते है | और देखते है की वासुदेव और देवकी नेएक बच्चे को जनम दिया है | तभी सैनिक ये सन्देश राजा कंस को देते है |येसन्देश सुनकर | तभी कंस काराग्रह में आता है वासुदेव और देवकी से उनकाआठवां पुत्र मांगता है | वासुदेव कंस को कन्या दे देते है | कन्या देखकरकंस चौक जाता है | कंस क्रोधित हो जाता है और वासुदेव और देवकी से आठवेपुत्र के विषय में पूछता है | तभी वासुदेव बड़े विनम्रता के साथ कहते है कीहे राजन ! इस बार देवकी ने एक बालक नहीं बल्कि एक कन्या को जनम दिया है | तबकंस को उनकी बातों पर विश्वास हो गया और वो उस कन्या को उनकी आठवी संतानसमझकर धरती पर जेसे ही पटकने लगता है | वो कन्या वेसे ही कंस के हाथ सेछूटकर आकाश में जाकर उड़ जाती है | और कंस से ऊँचे स्वर में कहती है – तूमुझे क्या मरेगा , तुझे मारने वाला तो वृन्दावन में पहुँच चुका है | अबवही तुझे तेरे पापों का दंड देगा | जेसे जेसे कृष्ण बड़े होते है | कंस नेकई बार उन्हें माँरने की कोशिश की लेकिन हर बार असफल रहा | अंत में श्रीकृष्ण मथुरा आये और कृष्ण ने कंस का वध कर डाला | आज भी लोग इस दिन को बड़े धूम धाम से व्रत रखकर कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते है |
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
महाभारत के पात्र, श्री कृष्ण, krishna, shri krishna |
|
|