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Old 11-01-2013, 09:20 PM   #1
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Old 11-01-2013, 09:20 PM   #2
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बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी प्रशासन भले ही छात्राओं से हुई छेड़छाड़ को मारपीट का मामला बताने में लगा हो, लेकिन हकीकत यह है कि छात्रों ने घटना के तुरंत बाद इसकी शिकायत कुलपति प्रो. निशा दुबे से की थी। इधर, छात्राओं के साथ हुई छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला प्रोफेसर डॉ. आशा शुक्ला को नोटिस देने का विरोध शुरू हो गया है।


फिजिक्स डिपार्टमेंट की छात्राओं के साथ ३ जनवरी को छेड़छाड़ और मारपीट की गई थी। इस घटना के बाद बीयू प्रशासन ने कहा था कि छेड़छाड़ की घटना नहीं हुई है, न ही इस बारे में किसी ने शिकायत की है। जबकि घटना के बाद छात्र अविनाश, धर्मराज ने कुलपति कार्यालय में पहुंचकर मामले की शिकायत की थी। दैनिक भास्कर के पास मौजूद छात्रों की शिकायत की प्रति में साफ तौर पर लिखा है कि छात्राओं के साथ छेड़छाड़ हुई थी। इसके बावजूद बीयू प्रशासन ने बिना किसी आधार के डॉ. शुक्ला को ही नोटिस थमा दिया है। जबकि, डॉ. शुक्ला ने छात्राओं की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। उन्हें बुधवार तक नोटिस का जवाब देना है।





दर्ज किए बयान:
मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने मंगलवार को बीयू पहुंचकर इस घटना से जुड़े प्रोफेसरों और फिजिक्स डिपार्टमेंट के कर्मचारियों के बंद कमरे में बयान दर्ज किए। कमेटी ने जिनके बयान दर्ज किए हैं, उनमें रैक्टर डीसी गुप्ता, महिला अध्ययन केंद्र की विभागाध्यक्ष प्रो. आशा शुक्ला, सतत शिक्षा विभाग की प्रोफेसर नीरजा शर्मा, इलेक्ट्रानिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी चीफ वार्डन एसके खटीक आदि शामिल हैं। जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट विभागीय मंत्री को सौंपी जाएगी।


बीयू टीचर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एचएस यादव का कहना है कि डॉ. शुक्ला को नोटिस देना दुर्भाग्यपूर्ण है। एक तरफ पूरे देश में महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की बात की जा रही है। वहीं, बीयू में छात्राओं की सुरक्षा की बात करने वाली प्रोफेसर को नोटिस जारी किया जा रहा है। इस मामले में यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को एकजुट होकर महिला प्रोफेसर के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। ईसी सदस्य रेणु मालवीय का कहना है कि यदि किसी महिला प्रोफेसर पर इस तरह से दबाव बनाया जाएगा तो भविष्य में कोई भी महिला आगे नहीं आएगी। मामले की जांच कर रही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अभी नहीं दी है, ऐसे में अभी नोटिस जारी करना न्यायसंगत नहीं है। इसकी शिकायत के लिए राज्यपाल (कुलाधिपति) से समय मांगा गया है। एबीवीपी के प्रांतीय सहमंत्री विजय अटवाल का कहना है कि कुलपति अपनी छवि खराब होने से बचाने के लिए छेड़छाड़ को मारपीट का मामला बताकर दबाने का प्रयास कर रही हैं। वहीं, डॉ. शुक्ला को नोटिस देने के विरोध में बुधवार को युवा कांग्रेस बोर्ड ऑफिस चौराहे पर उच्च शिक्षा मंत्री का पुतला जलाएंगी।


रजिस्ट्रार से पूछेंगे, किस आधार पर दिया नोटिसः
बीयू के रजिस्ट्रार संजय तिवारी से पूछा जाएगा कि उन्होंने महिला प्रोफेसर डॉ. शुक्ला को किस आधार पर नोटिस दिया है। अब तक इस मामले की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट भी नहीं आई है, ऐसे में किसी भी प्रोफेसर को नोटिस देना गलत है।
लक्ष्मीकांत शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री
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Old 11-01-2013, 09:21 PM   #3
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Jaipur-नाबालिग को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म करने के मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो लड़की के भाई और पिता ने बदला लेने के लिए दुष्कर्म के आरोपी के दोनों हाथ काट दिए।
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Old 11-01-2013, 09:22 PM   #4
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दिल्*ली की एक अदालत ने 2010 में एक लड़की के अपहरण और उसके साथ रेप के मामले में आरोपी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने साथ ही कहा है कि कथित पीडिता के बयान 'भरोसा करने लायक नहीं' हैं और अदालतें मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर फैसला नहीं दे सकती हैं। एडिशनल सेशन जज निवेदिता अनिल शर्मा ने कहा कि अदालत को कानून के दायरे में रहते हुए गवाहों के बयान के मद्देनजर फैसला करना होता है, जज्*बातों या मीडिया की रिपोर्टिंग के आगे झुकते हुए नहीं।

सरकार नाबालिग की उम्र सीमा घटाने पर विचार कर रही है। सभी राज्*यों के पुलिस महानिदेशकों के साथ बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा, 'महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार कड़े कानून बना रही है। कड़े कानून के लिए लोगों से सुझाव मांगे गए हैं। शिंदे ने कहा कि महिलाओं से जुड़े अपराधों की जांच तेजी से होगी। थाने में महिला कांस्*टेबलों की संख्*या बढ़ेगी। दिल्*ली में हर थाने में दो महिला एसआई और 10 कांस्*टेबल तैनात होंगी।

16 दिसंबर की रात चलती बस में जिस लड़की का गैंगरेप हुआ था, उसके साथ सबसे ज्*यादा दरिंदगी करने वाला आरोपी खुद को नाबालिग बता रहा है। इसी वजह से गुरुवार को उसके खिलाफ चार्जशीट भी दायर नहीं की जा सकी। अभी बोन डेंसिटी टेस्*ट की रिपोर्ट आएगी। इससे पता चलेगा कि क्*या वह वाकई नाबालिग है। इसके बाद उस पर अलग से चार्जशीट दायर की जाएगी। लेकिन दिल्*ली पुलिस के सूत्रों की मानें तो 'दामिनी' के साथ हुई वारदात में उस 'नाबालिग' ने ही सबसे खौफनाक हरकत की थी। बताया जाता है कि उसने दो बार बलात्*कार किया था और उसकी आंत पर वार भी किया था। उसे चलती बस से फेंकने की सलाह भी उसी ने दी थी।

दिल्ली गैंगरेप घटना के 18वें दिन पैरामेडिकल छात्रा से दुष्कर्म मामले में दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को चार्जशीट दाखिल की है। अभी राम सिंह, मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है। अगली सुनवाई साकेत के फास्ट ट्रैक कोर्ट में पांच जनवरी से होगी। (रेप से बचने के लिए चलती ट्रेन से कूदी महिला)

चार्जशीट दाखिल करते समय अदालत में कुछेक मौकों पर खासा ड्रामा भी हुआ। पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट बंद होने से महज पांच मिनट पहले मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सूर्य मलिक ग्रोवर के सामने चार्जशीट दाखिल की। सुनवाई से पहले अदालत कक्ष को भीतर से बंद देखकर वकीलों ने हंगामा मचाया। इसके बाद कक्ष खोला गया। मजिस्ट्रेट ने पूछा कि पुलिस इतनी देर से चार्जशीट क्यों फाइल कर रही है। पुलिस का जवाब था कि बड़ी संख्या में दस्तावेज और कागजात तैयार करने के कारण देरी हुई। पुलिस ने आरोपियों को भी अदालत में पेश नहीं किया। सुरक्षा पहलुओं को इसका कारण बताया गया। ड्रामा तब बढ़ गया जब एक महिला वकील ने आगे आकर आरोपियों की वकालत करने की पेशकश की। इस पर अभियोजन पक्ष ने आपत्ति की। एक अन्य युवा वकील ने आरोपियों को कानूनी सहायता मुहैया करवाने को कहा। अदालत वैसे भी आरोपियों को वकील मुहैया करेगी।

दस्तावेज आम नहीं करने की अर्जी

दिल्ली पुलिस ने फिलहाल 33 पेज की ऑपरेटिव चार्जशीट दाखिल की है। इसमें नाबालिग आरोपी की भी करतूत गिनाई गई है। कहा गया है कि वही पूरी घटना का सूत्रधार है। आरोप पत्र बंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा गया है। साथ ही पुलिस ने दस्तावेज आम नहीं करने और सुनवाई बंद कमरे में करने की अर्जी लगाई है।
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बलात्कार तो ब्रह्मण ठाकुर और बनिये (वैश्य) की बेचारी बहू बेटियोँ का भी होता है, जो एक शर्मनाक कृत्य है
.
.
लेकिन
मीडिया की खबरो मेँ कभी ये नहीँ पढा/देखा कि
ब्रह्मण की लड़की का बलात्कार
ठाकुर की लड़की का बलात्कार
या
बनिये की लड़की का बलात्कार
लेकिन अक्सर ये देखने मेँ आता है कि
"दलित की लड़की का बलात्कार"
और
"आदिवासी की लड़की का बलात्कार"
.
.
.
.
ऐसा क्योँ ?
.
.
.
ऐसा इसलिये कि मीडिया साफ तौर पर अन्य लोगो को ये संदेशदेती है कि
किसी को राष्ट्रपति/ *प्रधानमंत्री/ *मुख्यमंत्रीके आबास या संसद भवन के सामनेधरना प्रदर्शन करने की जरूरतनहीँ है
क्योँकि ये दलित आदिवासी वहीहै जिनका अक्सर बलात्कार होता रहता है
.
.
.
लेकिन जब उनके घर कि इज्जत काजनाजा उठता है तो ये दलित आदिवासियोँ की तरह अपनी पहचान नहीँ दिखाता
और
मीडिया द्वारा फैलाये गये सहानूभूति कि भावनाओ के ज्वार मेँ फँस कर दलित आदिवासी पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समाज इनके साथ साथ नारा लगाता है
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jai_bhardwaj
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मर्यादा का ले नाम मत अपना पल्ला झाडें पुरुष !


स्त्री के विरुद्ध किये जाने वाले अपराधों के लिए स्त्री को उत्तरदायी ठहराने का चलन युगों युगों से रहा है .दिल्ली गैग रेप [१६ दिसंबर २०१२ ] की दुर्घटना के बाद से जहाँ आम भारतीय जनता की सोच इस ओर भी मुड़ी है कि-’ हमें अपने पुत्रों को भी चरित्रवान बनाने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है न कि केवल पुत्रियों पर मर्यादा के नाम पर प्रतिबन्ध लगाने की’ वही संस्कृति के रक्षक बनने वाले कई पुरुष पुन: जनता को उसी लिंग-भेदी मानसिकता की ओर लौटा ले जाना चाहते हैं .जिसने मानव के सम मानवी को दोयम दर्जे का प्राणी मात्र बनाकर छोड़ दिया है .वास्तविकता तो ये है कि बलात्कार व् स्त्री हरण जैसी दुर्घटनाओं के लिए सृष्टि के आरम्भ से ही स्त्री द्वारा मर्यादा उल्लंघन उत्तरदायी नहीं है बल्कि पुरुष द्वारा स्त्री के साथ किया जाने वाला छल व् बल प्रयोग उत्तरदायी है .एक अन्य तथ्य भी यहाँ उल्लेखनीय है कि इतिहास से लेकर वर्तमान तक बलात्कार व् इसके प्रयास की दुर्घटनाएं मर्यादित नारी के साथ ही घटित हुई हैं .


दम्भी व् अल्पज्ञानी पुरुष जब माता सीता द्वारा मर्यादा -उल्लंघन करने का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं तब वे विस्मृत कर देते हैं कि माता सीता ने ” ‘अतिथि देवो भव:’ के आर्य संस्कार का पालन करते हुए ही ब्राह्मण वेश धारी रावण का अतिथि-सत्कार किया था .देखें -
” द्विजतिवेशेन……………..तथागतं ”[श्लोक३५ ,अरण्य कांड ,सप्तचत्वारिंश :-श्रीमद वाल्मीकीय रामायण '']
अर्थात-वह[रावण]ब्राहमण वेश में आया था ,कमण्डलु और गेरुआ वस्त्र धारण किये हुए था .ब्राह्मण-वेश में आये हुए अतिथि की उपेक्षा असंभव थी}

इस प्रसंग में यह भी विचारणीय है कि रावण आर्य-संस्कृति से भली-भांति परिचित था और जानता था कि आर्य-नारी द्वार पर आये ब्राह्मण अतिथि की उपेक्षा कदापि नहीं कर सकती इसी कारण रावण ने छद्म ब्राह्मण-रूप धरकर छल से माता सीता का हरण किया यहाँ लक्ष्मण -रेखा को पार करने अथवा मर्यादा उल्लंघन का कोई उल्लेख ”श्रीमद वाल्मीकिरामायण ” ” श्री रामचरितमानस ” ”श्री अध्यात्मरामायण ” -में नहीं आता .[सीता-हरण प्रसंग पढ़ें ]


”श्रीरामचरितमानस”के ‘लंका कांड ”में ”लक्ष्मण-रेखा” का उल्लेख आता है जहाँ मंदोदरी रावण को श्री राम से युद्ध न करने की सलाह देते हुए कहती हैं कि -
”रामानुज लघु रेख खिचाई ,सोउ नहि नाघेउ असि मनुसाई ”
[अर्थात आपकी (रावण)ऐसी तो बहादुरी है कि लक्षमण जी ने धनुष की रेखा खींच दी थी ;वह आपसे लांघी न गयी ]


यहाँ भी यह स्पष्ट नहीं है कि वह रेखा लक्ष्मण जी ने सीता-हरण प्रसंग से पूर्व माता सीता को पार न करने की सलाह देते हुए खीची थी अथवा अन्य किसी प्रयोजन से , सीता हरण से पूर्व अथवा पश्चात .किस उद्देश्य से ,कब व् कहाँ ये रेखा खींची गयी -यह एक अलग शोध का विषय है पर माता सीता ने किसी लक्ष्मण रेखा को पार किया इसका कोई प्रमाण नहीं है . इसके अतिरिक्त पुरुष-वर्ग का ये दावा भी निराधार है कि माता सीता को मर्यादा-उल्लंघन का दंड भुगतना पड़ा .वास्तव में माता सीता को उसी पितृ सत्तात्मक समाज की भेदभाव पूर्ण मानसिकता का दंड भोगना पड़ा जो अग्नि-परीक्षा द्वारा अपनी शुचिता प्रमाणित करने वाली स्त्री को भी पवित्र नहीं मानता और इसी के परिणामस्वरूप अहिल्या -उद्धार करने वाले उदार पुरुष श्रीराम को भी आर्य-कुल श्रेष्ठ माता सीता के त्याग के लिए विवश होना .
पुरुष के छल-बल के उदाहरण यत्र-तत्र-सर्वत्र साक्ष्य-रूप में बिखरे पड़ें हैं .इंद्र द्वारा महर्षि गौतम का छद्म रूप धरकर देवी अहिल्या से बलात्कार छली पुरुष के छल का उदाहरण है अथवा स्त्री के मर्यादा -उल्लंघन का ? प्रह्लाद -माता साध्वी कयाधू का इंद्र द्वारा हरण को किस श्रेणी में रखगें आप ? आकाश -मार्ग से ब्रह्मा जी के पास जाती अप्सरा पुञ्जक्स्थला [वाल्मीकि रामायण ,युद्धकाण्ड सर्ग-१३ ] व् अपने प्रिय नलकूबर से मिलन को लालायित हो उसके समीप जाती रम्भा से रावण का बलपूर्वक बलात्कार[वाल्मीकि रामायण ,उत्तर कांड सर्ग-२६ ] इन दोनों अप्सराओं की कौन सी मर्यादा उल्लंघन को प्रमाणित करता है ?कदापि नहीं ! ये सब मर्यादाहीन पुरुष के दुराचरण के परिणाम हैं .दिल्ली गैग रेप की शिकार युवती को भी छह दरिंदों में से एक तथाकथित नाबालिग राजू ने ”बहन जी ” कहकर छल से बस में चढ़ाया था .पुरुष का छल-बल पुरातन काल से वर्तमान तक स्त्री विरुद्ध अपराधों का कारण रहा है जो आज समाज में उभरकर सामने आ रहा है .”शादी का झांसा देकर ” ”नौकरी का लालच देकर ” युवतियों को फँसाना अथवा प्रेम-जाल में फँसाकर यौन-शोषण कर नरकतुल्य जीवन भोगने के लिए छोड़ देना- जैसा दुराचरण आज के छली पुरुष की पहचान बन चुका है . छली पुरुष के लिए मर्यादित आचरण की मांग क्यों जोर नहीं पकड़ पाती ?क्यों मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बाद कोई पुरुष इस उपाधि को प्राप्त करने हेतु लालायित नहीं दिखाई पड़ता ? इन सवालों में है जड़ स्त्री विरुद्ध अपराध की .हर बलात्कार के बाद पुत्रियों पर मर्यादित आचरण का फंदा और भी ज्यादा कस दिया जाता है और दुराचारी पुरुष और भी उद्दंडता के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है .यदि स्त्री विरुद्ध अपराधों में कमी लानी है तो अब पुत्रियों से ज्यादा पुत्रों को मर्यादित करने की आवश्यकता है तभी श्रीराम जैसे पुत्र भारतीय समाज को मिल पायेंगें जो रावण ,बालि जैसे दुराचारियों का अंत करने में सक्षम होंगे और भारतीय समाज में नारी को प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त हो पायेगा .



---(साभार: अंतरजाल के ब्लॉग)---
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
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Old 17-04-2013, 03:35 PM   #10
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Originally Posted by jai_bhardwaj View Post
मर्यादा का ले नाम मत अपना पल्ला झाडें पुरुष !


स्त्री के विरुद्ध किये जाने वाले अपराधों के लिए स्त्री को उत्तरदायी ठहराने का चलन युगों युगों से रहा है .दिल्ली गैग रेप [१६ दिसंबर २०१२ ] की दुर्घटना के बाद से जहाँ आम भारतीय जनता की सोच इस ओर भी मुड़ी है कि-’ हमें अपने पुत्रों को भी चरित्रवान बनाने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है न कि केवल पुत्रियों पर मर्यादा के नाम पर प्रतिबन्ध लगाने की’ वही संस्कृति के रक्षक बनने वाले कई पुरुष पुन: जनता को उसी लिंग-भेदी मानसिकता की ओर लौटा ले जाना चाहते हैं .जिसने मानव के सम मानवी को दोयम दर्जे का प्राणी मात्र बनाकर छोड़ दिया है .वास्तविकता तो ये है कि बलात्कार व् स्त्री हरण जैसी दुर्घटनाओं के लिए सृष्टि के आरम्भ से ही स्त्री द्वारा मर्यादा उल्लंघन उत्तरदायी नहीं है बल्कि पुरुष द्वारा स्त्री के साथ किया जाने वाला छल व् बल प्रयोग उत्तरदायी है .एक अन्य तथ्य भी यहाँ उल्लेखनीय है कि इतिहास से लेकर वर्तमान तक बलात्कार व् इसके प्रयास की दुर्घटनाएं मर्यादित नारी के साथ ही घटित हुई हैं .


दम्भी व् अल्पज्ञानी पुरुष जब माता सीता द्वारा मर्यादा -उल्लंघन करने का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं तब वे विस्मृत कर देते हैं कि माता सीता ने ” ‘अतिथि देवो भव:’ के आर्य संस्कार का पालन करते हुए ही ब्राह्मण वेश धारी रावण का अतिथि-सत्कार किया था .देखें -
” द्विजतिवेशेन……………..तथागतं ”[श्लोक३५ ,अरण्य कांड ,सप्तचत्वारिंश :-श्रीमद वाल्मीकीय रामायण '']
अर्थात-वह[रावण]ब्राहमण वेश में आया था ,कमण्डलु और गेरुआ वस्त्र धारण किये हुए था .ब्राह्मण-वेश में आये हुए अतिथि की उपेक्षा असंभव थी}

इस प्रसंग में यह भी विचारणीय है कि रावण आर्य-संस्कृति से भली-भांति परिचित था और जानता था कि आर्य-नारी द्वार पर आये ब्राह्मण अतिथि की उपेक्षा कदापि नहीं कर सकती इसी कारण रावण ने छद्म ब्राह्मण-रूप धरकर छल से माता सीता का हरण किया यहाँ लक्ष्मण -रेखा को पार करने अथवा मर्यादा उल्लंघन का कोई उल्लेख ”श्रीमद वाल्मीकिरामायण ” ” श्री रामचरितमानस ” ”श्री अध्यात्मरामायण ” -में नहीं आता .[सीता-हरण प्रसंग पढ़ें ]


”श्रीरामचरितमानस”के ‘लंका कांड ”में ”लक्ष्मण-रेखा” का उल्लेख आता है जहाँ मंदोदरी रावण को श्री राम से युद्ध न करने की सलाह देते हुए कहती हैं कि -
”रामानुज लघु रेख खिचाई ,सोउ नहि नाघेउ असि मनुसाई ”
[अर्थात आपकी (रावण)ऐसी तो बहादुरी है कि लक्षमण जी ने धनुष की रेखा खींच दी थी ;वह आपसे लांघी न गयी ]


यहाँ भी यह स्पष्ट नहीं है कि वह रेखा लक्ष्मण जी ने सीता-हरण प्रसंग से पूर्व माता सीता को पार न करने की सलाह देते हुए खीची थी अथवा अन्य किसी प्रयोजन से , सीता हरण से पूर्व अथवा पश्चात .किस उद्देश्य से ,कब व् कहाँ ये रेखा खींची गयी -यह एक अलग शोध का विषय है पर माता सीता ने किसी लक्ष्मण रेखा को पार किया इसका कोई प्रमाण नहीं है . इसके अतिरिक्त पुरुष-वर्ग का ये दावा भी निराधार है कि माता सीता को मर्यादा-उल्लंघन का दंड भुगतना पड़ा .वास्तव में माता सीता को उसी पितृ सत्तात्मक समाज की भेदभाव पूर्ण मानसिकता का दंड भोगना पड़ा जो अग्नि-परीक्षा द्वारा अपनी शुचिता प्रमाणित करने वाली स्त्री को भी पवित्र नहीं मानता और इसी के परिणामस्वरूप अहिल्या -उद्धार करने वाले उदार पुरुष श्रीराम को भी आर्य-कुल श्रेष्ठ माता सीता के त्याग के लिए विवश होना .
पुरुष के छल-बल के उदाहरण यत्र-तत्र-सर्वत्र साक्ष्य-रूप में बिखरे पड़ें हैं .इंद्र द्वारा महर्षि गौतम का छद्म रूप धरकर देवी अहिल्या से बलात्कार छली पुरुष के छल का उदाहरण है अथवा स्त्री के मर्यादा -उल्लंघन का ? प्रह्लाद -माता साध्वी कयाधू का इंद्र द्वारा हरण को किस श्रेणी में रखगें आप ? आकाश -मार्ग से ब्रह्मा जी के पास जाती अप्सरा पुञ्जक्स्थला [वाल्मीकि रामायण ,युद्धकाण्ड सर्ग-१३ ] व् अपने प्रिय नलकूबर से मिलन को लालायित हो उसके समीप जाती रम्भा से रावण का बलपूर्वक बलात्कार[वाल्मीकि रामायण ,उत्तर कांड सर्ग-२६ ] इन दोनों अप्सराओं की कौन सी मर्यादा उल्लंघन को प्रमाणित करता है ?कदापि नहीं ! ये सब मर्यादाहीन पुरुष के दुराचरण के परिणाम हैं .दिल्ली गैग रेप की शिकार युवती को भी छह दरिंदों में से एक तथाकथित नाबालिग राजू ने ”बहन जी ” कहकर छल से बस में चढ़ाया था .पुरुष का छल-बल पुरातन काल से वर्तमान तक स्त्री विरुद्ध अपराधों का कारण रहा है जो आज समाज में उभरकर सामने आ रहा है .”शादी का झांसा देकर ” ”नौकरी का लालच देकर ” युवतियों को फँसाना अथवा प्रेम-जाल में फँसाकर यौन-शोषण कर नरकतुल्य जीवन भोगने के लिए छोड़ देना- जैसा दुराचरण आज के छली पुरुष की पहचान बन चुका है . छली पुरुष के लिए मर्यादित आचरण की मांग क्यों जोर नहीं पकड़ पाती ?क्यों मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बाद कोई पुरुष इस उपाधि को प्राप्त करने हेतु लालायित नहीं दिखाई पड़ता ? इन सवालों में है जड़ स्त्री विरुद्ध अपराध की .हर बलात्कार के बाद पुत्रियों पर मर्यादित आचरण का फंदा और भी ज्यादा कस दिया जाता है और दुराचारी पुरुष और भी उद्दंडता के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है .यदि स्त्री विरुद्ध अपराधों में कमी लानी है तो अब पुत्रियों से ज्यादा पुत्रों को मर्यादित करने की आवश्यकता है तभी श्रीराम जैसे पुत्र भारतीय समाज को मिल पायेंगें जो रावण ,बालि जैसे दुराचारियों का अंत करने में सक्षम होंगे और भारतीय समाज में नारी को प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त हो पायेगा .



---(साभार: अंतरजाल के ब्लॉग)---
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