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Old 03-02-2019, 12:27 PM   #1
rajnish manga
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Default पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी

पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी
(Courtsey: Sh. Arvind Yadav on Internet)

वैसे तो जानवरों और पक्षियों से इंसान का प्यार कोई नयी बात नहीं है। युगों से इंसान पशु-पक्षियों से प्यार करता रहा है। दुनिया में कई सारे लोग हैं, जो पक्षियों और जानवरों से बेहद प्यार करते हैं। कई लोगों ने कुत्ता, बिल्ली जैसे जानवरों को ऐसे अपना लिया है कि वे उन्हें अपने घर-परिवार का बेहद अहम हिस्सा मानते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को अपने बच्चे मानते हैं और वे उनका पालन-पोषण वैसे ही करते हैं, जैसे कि इंसानी बच्चों का किया जाता है।

पशु-पक्षियों से इंसान के बेइंतेहा प्यार के कई सारे दिलचस्प किस्से भी हैं, लेकिन गीता रानी का पशु-पक्षियों से प्यार बहुत अनूठा है, बेहद निराला है। वो कई पशु-पक्षियों की देखभाल उनकी “माँ” की तरह करती हैं। उनके पास एक, दो, तीन या फिर दर्जन-भर कुत्ते नहीं, बल्कि तीन सौ से ज्यादा कुत्ते हैं। 75 बिल्लियाँ हैं। चिड़िया, मोर, तोता-मैना, कव्वे उनके घर को अपना घर समझते हैं। दिन-रात, सुबह-शाम, उठते-बैठते गीता सिर्फ और सिर्फ इन्हीं जानवरों और पक्षियों के बारे में सोचती हैं और उन्हीं के लिए काम करती हैं।

वे ये कहने से ज़रा-सा भी नहीं झिझकती कि ये सारे जानवर और पक्षी उनके बच्चे हैं और वे इन सब की ‘माँ’हैं । पशु-पक्षियों के प्रति गीता की ममता, उनका प्यार-दुलार, त्याग और वात्सल्य कई लोगों के लिए कल्पना से परे है, लेकिन जीवन में गीता को दुःख और पीड़ा काफी मिली। इंसानों से प्यार नहीं, नफ़रत मिली और यही बड़ी वजह भी रही कि उन्होंने पशु-पक्षियों से प्यार किया, उन्हीं के लिए अपना जीवन भी समर्पित किया। बड़ी बात ये भी है कि पैदाइश से ही इंसानों के प्यार से वंचित रहीं गीता ने होश संभालते ही पशु-पक्षियों में प्यार ढूँढना शुरू कर दिया था।
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Last edited by rajnish manga; 03-02-2019 at 01:02 PM.
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Old 03-02-2019, 12:30 PM   #2
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Default Re: पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी

गीता की कहानी केरल के वायनाड से शुरू होती हैं। गीता के पिता विजयन केरल के वायनाड के रहने वाले थे और उनकी मातृ भाषा मलयालम थी। विजयन पिल्लई जाति के थे और उनके पिता यानी गीता के दादा के पास करोड़ों रुपयों की ज़मीन-जायदाद थी। 100 एकड़ से ज्यादा ज़मीन के मालिक थे। बड़ा कॉफ़ी एस्टेट भी था उनके पास। गीता की माँ मल्लिगा तमिलनाडु के शिवकाशी की थी और उनकी मातृ भाषा तमिल थी। मल्लिगा नाडार जाति की थीं और उनके माता-पिता भी खूब रईस और रसूक़दार थे।

विजयन और मल्लिगा की मुलाकात चेन्नई में हुई थी, जहाँ दोनों बीकॉम पढ़ने अपने-अपने शहर से आये थे। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान विजयन और मल्लिगा को एक दूसरे से प्यार हो गया और दोनों से शादी करने का फैसला किया, लेकिन दोनों के परिवारवाले शादी के लिए राज़ी नहीं हुए। दोनों परिवार अंतर-जातीय विवाह के खिलाफ थे। दोनों परिवारों के रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज में बहुत फर्क था। विजयन और मल्लिगा की लाख कोशिशों के बावजूद दोनों के परिवारवाले शादी के लिए राज़ी नहीं हुए, लेकिन विजयन और मल्लिगा का प्यार इतना गहरा था कि दोनों ने अपने-अपने परिवारों की मर्ज़ी के खिलाफ़ शादी कर ली।
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Old 03-02-2019, 12:31 PM   #3
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Default Re: पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी

शादी के बाद विजयन और मल्लिगा पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। उनके सारे सपनों और उम्मीदों पर पानी फिर गया। चूँकि सभी इस शादी के खिलाफ़ थे, दोनों परिवारों ने विजयन और मल्लिगा को अपने घर में जगह नहीं दी। उन्हें घर-परिवार से बेदख़ल कर दिया गया। विजयन और मल्लिगा ने अपने-अपने माता-पिता और भाई-बहनों से दूर जाकर तमिलनाडु के पोल्लाची टाउन में अपना घर बसाया। गीता विजयन और मल्लिगा की पहली संतान थीं। गीता के जन्म के बाद विजयन और मल्लिगा को लगा कि संतान की वजह से उनके माता-पिता का गुस्सा ठंडा पड़ जाएगा और वे उन्हें वापस अपना लेंगे।

गीता के जन्म के बाद विजयन और मल्लिगा का अपने-अपने माता-पिता के घर आना-जाना तो शुरू हुआ, लेकिन वे अपने परिवारवालों की नाराज़गी को दूर नहीं कर पाए। इस नाराज़गी का शिकार गीता भी हुईं। जब कभी गीता अपने दादा-दादी के यहाँ जातीं, कोई भी उससे प्यार नहीं करता। सभी उससे नफरत करते। दूसरे बच्चों को भी गीता के साथ खेलने के लिए सख़्त मनाही थी। मार के डर से कोई भी लड़का या लड़की गीता के साथ खेलने तो तैयार नहीं होते। प्यार करना तो दूर, दादा-दादी और दूसरे रिश्तेदार जैसे ही उन्हें देखते, डांटना और फटकारना शुरू कर देते। नन्ही गीता ये समझ ही नहीं पातीं कि आखिर उन्हीं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार क्यों किया जा रहा है।
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Old 03-02-2019, 12:32 PM   #4
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Default Re: पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी

दादा-दादी के फार्म-हौज़ में 12 कुत्ते थे। चूँकि साथ में खेलने-कूदने वाला कोई नहीं था और जब इनसान दोस्त नहीं नहीं रहे तो गीता ने इन्हीं कुत्तों से दोस्ती कर ली। दोस्ती दिन-ब-दिन पक्की और गहरी और मज़बूत होती गयी। दोस्ती ऐसी कि कुत्ते गीता की हर बात मानते, उनके इशारों पर उछलते-कूदते। ये कुत्ते बाकी सभी लोगों को देखकर भौंकते और उन पर झपटे मारते, लेकिन गीता के साथ उनका प्यार और दुलार देखने लायक होता। गीता ने घर के उन कुत्तों के अलावा जंगल के जानवरों और पक्षियों से भी दोस्ती कर ली। दादा के मकान से कुछ दूर पर ही एक जंगल था। गीता को अपने दादा-दादी के घर में रहना पसंद नहीं था। इसी वजह से सुबह उठते ही वे अकेले जंगल की ओर चली जातीं। गीता ने जंगल में जानवरों और पक्षियों से दोस्ती कर ली। वे दिन-भर जंगल में बंदरों, तोता-मैना, चिड़िया, कव्वों, गिलहरियों, तितलियों, खरगोशों के साथ खेलतीं। ख़ास बात तो ये है कि गीता को जंगली जानवरों से ख़तरों के बारे में मालूम नहीं था और वो जंगल में जिस किसी जानवर या पक्षी को देखतीं, उससे दोस्ती करने की सोचतीं। इसी फितरत के कारण उन्होंने सापों को भी अपना दोस्त बना लिया था। दिन-भर जंगल में अपने दोस्तों के साथ खेलने के बाद शाम को वे घर लौट आतीं।
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Default Re: पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी

छोटी-सी उम्र में ही गीता को जानवरों और पक्षियों से प्यार हो गया। वे कहती हैं, “किसी ने भी मुझे प्यार नहीं किया। सभी रिश्तेदार मुझसे नफरत करते थे। माता-पिता ने भी मुझे कभी वो प्यार नहीं दिया जो कि एक बेटी के नाते मुझे मिलना चाहिए था। इंसानों से जो प्यार मुझे नहीं मिला, वो प्यार मुझे जानवरों और पक्षियों से मिला। इसी वजह से मैंने भी उन्हीं से प्यार किया।”

माता-पिता की बेरुख़ी और नफरत की वजह ये थी कि गीता की वजह से भी परिवारवालों से दोनों से संबंध सुधर नहीं पाए थे। विजयन और मल्लिगा को अपनी बेटी से ये उम्मीद थी कि वह परिवारवालों का गुस्सा और नाराज़गी दूर करेगी, लेकिन सब कुछ उम्मीद के उलट हुआ। गीता के जन्म के बाद दोनों के परिवार वाले विजयन और मल्लिगा से और भी नफ़रत करने लगे। इतना ही नहीं, शादी के बाद विजयन और मल्लिगा का रिश्ता भी पहले जैसा नहीं रहा। दोनों में अक्सर छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े होने लगे। बुरे हालात के लिए विजयन और मल्लिगा एक दूसरे को दोष देते और आपस में लड़ते-झगड़ते। इस लड़ाई-झगड़े में गीता प्यार से वंचित रह गयीं, लेकिन गीता ने जानवरों में ही अपना प्यार ढूँढा। चूँकि जंगल पास नहीं था, गीता ने शहरों के जानवरों और पक्षियों से दोस्ती की। अब आवारा कुत्ते, बिल्लियाँ, मुर्गा-मुर्गी, चिड़िया, कव्वे ये सभी उनके दोस्त थे। गीता अपना ज्यादातर समय इन्हीं जानवरों और पक्षियों के साथ बितातीं।
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Default Re: पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी

गीता अपने घर से खाना ले जाकर बीमार और घायल कुत्तों-बिल्लियों को भी खिलातीं। माता-पिता को गीता का जानवरों और पक्षियों से ये प्यार बहुत विचित्र लगता, लेकिन वे अपनी परेशानियों में ही इतने ज्यादा उलझे रहते कि उन्हें इस प्यार का कारण जानने की फ़ुरसत ही नहीं मिली।

गीता ने घर में डाशहण्ड नस्ल का एक कुत्ता घर में भी पाल लिया था। गीता इस कुत्ते को प्यार से ‘ब्लेकी’ बुलाती थीं। एक दिन पिता को ये पता चला कि गीता घर से खाना ले जाकर कुत्तों और बिल्लियों को खिला रही हैं, तब उन्होंने गुस्से में गीता को पीटना शुरू किया। ये देखकर ब्लेकी गीता का बीच-बचाव करने चला आया। अपने पिता के हाथों बेल्ट से मार खा रहीं गीता से ब्लेकी लिपट गया। ब्लेकी को भी बेल्ट से खूब मार पड़ी। इस मार की वजह से ब्लेकी इतना ज़ख़्मी हुआ कि अगले दिन उसने दम तोड़ दिया। ब्लेकी ने जिस तरह से बचाने की कोशिश की थी, उसे देखकर गीता को लगा कि सच्चा प्यार जानवर ही करते हैं। उन्होंने ठान ली कि वे जानवरों से ही प्यार करेंगी और चाहे कुछ भी हो जाए वो जानवरों की मदद करती रहेंगी।
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