My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > New India > Religious Forum
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 11-11-2010, 04:06 PM   #1
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Arrow

धार्मिक आरतियाँ

शनि भगवन की चालीसा

।। दोहा ।।

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ।।

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ।।


जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ।।

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै ।।

परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ।।

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमके ।।

कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं आरिहिं संहारा ।।

पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुख भंजन ।।

सौरी, मन्द, शनि, दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ।।

जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं । रंकहुं राव करैंक्षण माहीं ।।

पर्वतहू तृण होई निहारत । तृण हू को पर्वत करि डारत ।।

राज मिलत बन रामहिं दीन्हो । कैकेइहुं की मति हरि लीन्हों ।।

बनहूं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चतुराई ।।

लखनहिं शक्ति विकल करि डारा । मचिगा दल में हाहाकारा ।।

रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ।।

दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ।।

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ।।

हार नौलाखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ।।

भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ।।

विनय राग दीपक महं कीन्हों । तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों ।।

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ।।

तैसे नल परदशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ।।

श्री शंकरहि गहयो जब जाई । पार्वती को सती कराई ।।

तनिक विलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ।।

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी ।।

कौरव के भी गति मति मारयो । युद्घ महाभारत करि डारयो ।।

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ।।

शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ई ।।

वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना ।।

जम्बुक सिंह आदि नखधारी । सो फल जज्योतिष कहत पुकारी ।।

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं ।।

गर्दभ हानि करै बहु काजा । गर्दभ सिद्घ कर राज समाजा ।।

जम्बुक बुद्घि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्रण संहारै ।।

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ।।

तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चांजी अरु तामा ।।

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै ।।

समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्व सुख मंगल कारी ।।

जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ।।

अदभुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ।।

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ।।

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ।।

कहत रामसुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ।।

।। दोहा ।।

पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार ।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ।।


Last edited by munneraja; 11-11-2010 at 05:48 PM.
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:13 PM   #2
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

"हनुमान चालीसा"

श्री हनुमान चालीसा
दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि !
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि !!
बुध्दिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार !
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार !!

चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपिस तिहुँ लोक उजागर !!
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवन सुत नामा !!

महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी !!
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंडल कुंचित केसा !!

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै कांधे मूँज जनेऊ साजै !!
संकर सुवन केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग बंदन !!

बिद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर !!
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लषन सीता मन बसिया !!

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा !!
भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचंद्र के काज सँवारे !!

लाय सजीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये !!
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई !!

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं !!
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा !!

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते !!
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा !!

तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना !!
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू !!

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं !!
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते !!

राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे !!
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रच्छक काहू को डर ना !!

आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक तें काँपै !!
भूत पिसाच निकट नहिँ आवै । महाबीर जब नाम सुनावै !!

नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा !!
संकट तें हनुमान छुडावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै !!

सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा !!
और मनोरथ जो कोइ लावै । सोइ अमित जीवन फल पावै !!

चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा !!
साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे !!

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता !!
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा !!

तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै !!
अंत काल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई !!

और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेंइ सर्ब सुख करई !!
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा !!

जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरु देव की नाईं !!
जो सत बर पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई !!

जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा !!
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महँ डेरा !!


दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लषन सीता सहित,हृदय बसहु सुर भूप ॥

Last edited by Hamsafar+; 11-11-2010 at 04:19 PM.
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:23 PM   #3
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

जय गणेश जय गणेश

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .

माता जाकी पारवती पिता महादेवा ..

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी

माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी .

पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा

लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ..

अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया

बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया .

' सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

Last edited by Hamsafar+; 11-11-2010 at 04:41 PM.
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:41 PM   #4
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे .
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ..

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का .
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ..

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी .
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ..

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतयार्मी .
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ..

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता .
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता ..

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति .
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ..

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे .
करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पडा तेरे ..

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा .
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ..
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:45 PM   #5
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत
हर विष्णु विधाता .
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
ओ मैया तुम ही जग माता .
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता
ओ मैया सुख सम्पति दाता .
जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
ओ मैया तुम ही शुभ दाता .
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता
ओ मैया सब सद्गुण आता .
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता .
खान पान का वैभव, सब तुम से आता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
ओ मैया क्षीरोदधि जाता .
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..

महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
ओ मैया जो कोई जन गाता .
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ..
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:46 PM   #6
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

ॐ जय शिव ॐकारा
ॐ जय शिव ॐकारा, स्वामी हर शिव ॐकारा .
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ..
जय शिव ॐकारा ..

एकानन चतुरानन पंचानन राजे
स्वामी पंचानन राजे .
हंसासन गरुड़ासन वृष वाहन साजे ..
जय शिव ॐकारा ..

दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज से सोहे
स्वामी दस भुज से सोहे .
तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ..
जय शिव ॐकारा ..

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामि मुण्डमाला धारी .
चंदन मृग मद सोहे भाले शशि धारी ..
जय शिव ॐकारा ..

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे
स्वामी बाघाम्बर अंगे .
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ..
जय शिव ॐकारा ..

कर में श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता
स्वामी चक्र त्रिशूल धरता .
जगकर्ता जगहर्ता जग पालन कर्ता ..
जय शिव ॐकारा ..

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
स्वामि जानत अविवेका .
प्रणवाक्षर में शोभित यह तीनों एका .
जय शिव ॐकारा ..

निर्गुण शिव की आरती जो कोई नर गावे
स्वामि जो कोई नर गावे .
कहत शिवानंद स्वामि मन वाँछित फल पावे .
जय शिव ॐकारा ..
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:50 PM   #7
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

आरती कुँज बिहारीकी
आरती कुँज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

गले में वैजन्ती माला, माला
बजावे मुरली मधुर बाला, बाला
श्रवण में कुण्डल झल्काला, झलकाला
नन्द के नन्द, श्री आनन्द कन्द, मोहन बॄज चन्द
राधिका रमण बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

गगन सम अंग कान्ति काली, काली
राधिका चमक रही आली, आली
लसन में टाड़े वनमाली, वनमाली
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

जहाँ से प्रगट भयी गंगा, गंगा
कलुष कलि हारिणि श्री गंगा, गंगा
स्मरण से होत मोह भंगा, भंगा
बसी शिव शीश, जटा के बीच, हरे अघ कीच
चरण छवि श्री बनवारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, बिलसै
देवता दरसन को तरसै, तरसै
गगन सों सुमन राशि बरसै, बरसै
अजेमुरचन मधुर मृदंग मालिनि संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

चमकती उज्ज्वल तट रेणु, रेणु
बह रही बृन्दावन वेणु, वेणु
चहुँ दिसि गोपि काल धेनु, धेनु
कसक मृद मंग, चाँदनि चन्द, खटक भव भन्ज
टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:53 PM   #8
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी .
बोलो जय अम्बे गौरी ..

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
मैया टिकोओ मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको
बोलो जय अम्बे गौरी ..

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
बोलो जय अम्बे गौरी ..

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी
मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
बोलो जय अम्बे गौरी ..

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति
बोलो जय अम्बे गौरी ..

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती
मैया महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
बोलो जय अम्बे गौरी ..

चण्ड मुण्डा शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे
बोलो जय अम्बे गौरी ..

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
बोलो जय अम्बे गौरी ..

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों
मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू
बोलो जय अम्बे गौरी ..

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता
मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
बोलो जय अम्बे गौरी ..

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी
बोलो जय अम्बे गौरी ..

कन्चन थाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
बोलो जय अम्बे गौरी ..

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामि सुख सम्पति पावे
बोलो जय अम्बे गौरी ..
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:54 PM   #9
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

जय सन्तोषी माता
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता .
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता .
मैया जय सन्तोषी माता .

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो
मैया माँ धारण कींहो
हीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्हो
मैया जय सन्तोषी माता .

गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे
मैया बदन कमल सोहे
मंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे
मैया जय सन्तोषी माता .

स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर दुले प्यारे
मैया चँवर दुले प्यारे
धूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे
मैया जय सन्तोषी माता .

गुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो
मैया तामें सन्तोष कियो
संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो
मैया जय सन्तोषी माता .

शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो ही,
मैया आज दिवस सो ही
भक्त मंडली चाई कथा सुनत मो ही
मैया जय सन्तोषी माता .

मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई
मैया मंगल ध्वनि छाई
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई
मैया जय सन्तोषी माता .

भक्ति भाव्मय पूजा अंगीकृत कीजै
मैया अंगीकृत कीजै
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै
मैया जय सन्तोषी माता .

दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये
मैया संकट मुक्त किये
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये
मैया जय सन्तोषी माता .

ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो
मनवाँछित फल पायो
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो
मैया जय सन्तोषी माता .

चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे
मैया रखियो जगदम्बे
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे
मैया जय सन्तोषी माता .

सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे
मैया जो कोई जन गावे
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे
मैया जय सन्तोषी माता .
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Old 11-11-2010, 04:56 PM   #10
Hamsafar+
VIP Member
 
Hamsafar+'s Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49
Hamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond reputeHamsafar+ has a reputation beyond repute
Default

आरति कीजै हनुमान
आरति कीजै हनुमान लला की .
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..

जाके बल से गिरिवर काँपे
रोग दोष जाके निकट न झाँके
अंजनि पुत्र महा बलदायी
संतन के प्रभु सदा सहायी ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये
लंका जाय सिया सुधि लाये
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई
जात पवनसुत बार न लाई ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

लंका जारि असुर संघारे
सिया रामजी के काज संवारे
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे
आन संजीवन प्राण उबारे ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

पैठि पाताल तोड़ि यम कारे
अहिरावन की भुजा उखारे
बाँये भुजा असुरदल मारे
दाहिने भुजा संत जन तारे ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

सु नर मुनि जन आरति उतारे
जय जय जय हनुमान उचारे
कंचन थार कपूर लौ छाई
आरती करत अंजना माई ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

जो हनुमान जी की आरति गावे
बसि वैकुण्ठ परम पद पावे .
आरति कीजै हनुमान लला की .
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..
Hamsafar+ is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 05:02 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.