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24-11-2010, 09:06 PM | #1 |
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हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
सूत्र का शीर्षक एक काफी कही सुनी जाने वाली कहावत है किन्तु सूत्र का उद्देश्य धर्म को चुनौती देना या देवी गीत लिखना नहीं है |
मेरे अपने अध्ययन में मैंने हिन्दू धर्म को धर्म से बढ़कर ही पाया है | अब इसे सनातन धर्म कहा जाता था आदि आदि इत्यादि सभी को पता है | उस सबसे अलग कुछ बातें हैं जो मन जानना चाहता है, दिमाग समझना चाहता है और अबूझ को पाने की लालसा तो होती ही है | हिन्दू धर्म की कुछ ऐसी बातें हैं जो बेहद अछूती हैं जैसे ;
ऐसे अनगिनत प्रश्न हैं जिन पर कुछ विचार मेरे पास हैं, बाकी सबसे सुनने की अभिलाषा है अतः यथासंभव योगदान देते चलें | नोट : देवीगीत, आरती, भजन, किसी बाबा की कथा या कही और का लेख ना छापें | यहाँ मैं विचारों का समागम, संगम देखना और करना चाहता हूँ जिनका लेखक का अपना होना अनिवार्य है अतः भावनात्मक उत्तर प्रतिउत्तर ना करें | -अमित |
24-11-2010, 10:49 PM | #2 | |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
Quote:
मित्र, मेरे अल्पज्ञान के अनुसार मैं हिन्दू धर्म के या किसी अन्य धर्म के बारे में विषेश तो नहीं जनता लेकिन जहाँ तक इतने अधिक देवी देवताओं को पूजने के विषय में है तो मित्र .. मेरा मानना यह है की पुराने ज़माने में मनुष्य सभी वस्तुओं में भगवन का रूप देखता था. सूर्य, चंद्रमा, प्रथ्वी.. यहाँ तक की जल, अग्नि , वायु, आकाश ,आकाशी बिजली और वर्षा तक जैसी प्रक्रिया में भगवान का रूप देखा जाता था. और उन्हें पूजा भी जाता था. मनुष्य उस ज़माने में कण कण में भगवान् देखते थे इसी के परिणाम स्वरुप हिन्दू धर्म में असंख्य देवी और देवताओं को पूजा जाता है. प्रत्येक दिन के अलग देवी देवता होते हैं. सभी प्राकर्तिक क्रियाओं के पीछे किसी देवी या देवता का चमत्कार माना जाता है. लेकिन यदि अंधविश्वास की हद तक यह किया जाए तो गलत है. नहीं तो किसी हद तक देखा जाए तो यह सही भी है .. और पूजन करने वाले को इसका लाभ भी मिलता है. इसके द्वारा वह बुराइयों से दूर रहता है. उसे डर रहता है की मेरे द्वारा किये गए किसी भी गलत कार्य से कोई न कोई देवी या देवता रुष्ट हो सकते हैं. कुल मिला कर ईश्वर को मानना तथा नियम के साथ पूजा करना (अन्धविश्वास नहीं) मानव जाती के लिए लाभदायक ही है. जिस प्रकार एक किसान बीज बोने से पूर्व अपने खेत की तथा हल की पूजा करता है ..क्योंकि वही उसका अन्नदाता है. इसी प्रकार देखा जाए तो 'सूर्य देवता' वास्तव में मानवजाति ,वनस्पति तथा सम्पूर्ण प्रथ्वी के सभी जीवों के पालनहार हैं. यदि हम उनकी पूजा करते हैं या प्रतिदिन सुबह उनको जल अर्पित करते हैं तो क्या गलत है? कृपया अन्य सदस्य भी अपने कीमती विचार रखें. धन्यवाद.
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25-11-2010, 09:08 AM | #3 | |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
जलवा भाई, कोई इश्वर को मानता है या नहीं इस विषय को मैं नहीं उठाना चाहता, मेरा मंतव्य है धर्म को पुरातात्विक आधार पर समझना |
उदाहरण के लिए सामान्य रूप से धर्म = मज़हब = religion समझा जाता है | सही ना ? क्या ऐसा वास्तव में है ? मज़हब मुस्लिम है जिसमें एक पैगम्बर हैं, एक अल्लाह है, एक कुरान है पांच वक्त की नमाज़ है | religion क्रिस्चियन है, एक god है, एक क्राइस्ट है, एक बाइबल है, सन्डे मास है | किन्तु क्या धर्म जो हिन्दू है उसमे कोई एक इश्वर है? शैव कहते हैं शिव है, वैष्णव कहते हैं विष्णु है | क्या कोई एक पुस्तक है? निर्धारित एक तो कोई भी नहीं, सम्माननीय काफी हैं, पूजित काफी हैं किन्तु निर्धारित एक भी नहीं | पूजा करने का तरीका? अघोरी दारु चढ़ा के, सखी नाच गा के, वैष्णव नवधा भक्ति करते हैं और शैव धतूरा चढ़ा के | तो अब क्या विचार है ? क्या जो धर्म है वो मज़हब है या वो religion हो सकता है ? शायद इसका उत्तर ऋग्वेद का तीसरा खंड सबसे अच्छा देता है | 'जो धारण करो वही धर्म है' शायद इसे संस्कृत में 'यद् धारयति, सः इति धर्मः' कहते हैं | जलवा भाई देखा अभी आपकी ये लाइन Quote:
यही है हिन्दू धर्म का अद्भुत वैज्ञानिक आधार, ६००० साल पहले के ऋषि बांस की कुटियाओं में लिख के गए तो आज भी हमारी सोच का आधार है | कितनी सुन्दर संकल्पना है | इतनी बात सब समझ जाएँ तो जातिगत झगडे ही ख़त्म हो जाएँ | ऋग्वेद के सातवें अध्याय में एक श्लोक है जिसमें श्लोक लिखने वाला गा रहा है ' मैं कवि हूँ, मेरी मा आटा पीसती है, मेरा भाई सैनिक है और मेरे पिता दवा बेचते हैं |' एक ही परिवार में ब्रम्हां, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र !!! कर्माधारित जाती व्यवस्था का इससे सुन्दर, प्राचीन और प्रकट उदाहरण और कहाँ ? चलिए इस विषद विषय को टुकड़ों में आगे बढ़ाते हैं | सबसे पहले विचार करते हैं देवताओं की उत्पत्ति या फिर देवता संकल्पना की उत्पत्ति के बारे में | सबसे पहले आप लोग विचार रखें कल तक मैं लिखूंगा | सनद रहे की हम ६००० वर्ष पहले की बात कर रहे हैं | तब ना रामायण है और ना महाभारत, ऋग्वेद के भी पहले और दसवे अध्याय का तब अस्तित्व नहीं है | |
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25-11-2010, 10:10 AM | #4 |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
भाई अगर पृथ्बी की सुरुबात ली जाये तो उस वक्त सिर्फ दो ही लोग धरती पे थे उनका नाम भुल रहा हू , उस बक्त सिर्फ दो थे उन्ही से ये पूरा संसार बना अयसा सब लोगो का मानना है , अगर सही में देखा जाये तो कोई धर्म नहीं है इंसानियत को छोर कर ! और धर्म का बिकास किस तरह हुआ जो लोग जिस काम में निपुण थे उसी काम से वे जाने जाते थे कोई बाल काटने में कोई कुछ में कोई कुछ में धीरे -२ उनका यही काम उनकी पहचान बन गई और वो धर्म जाती का रूप ले लिया ! इस प्रकार भागवान का भी बिकास हुआ गाँधी जी को ही लेले बहुत से जगह उन्हें पूजा जाता है बिलकुल उसी तरह भागवान भी पूजे जाते थे भागवान ने भाई लोगो को बुराई और गुलामी से बचाया था यहाँ पे गाँधी जी ने भी देस को आजाद कराया ये इतहास भी है और इसपे किताब भी लिखी गई है , और भागवान भी की किताब कोई ऋसी ने लिखी वोही आगे चल के पूजनीय हो गए उसी तरह एक दिन गाँधी जी भी पूजे जायंगे !
Last edited by ABHAY; 25-11-2010 at 10:16 AM. Reason: बदलावों |
25-11-2010, 11:46 AM | #5 |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
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25-11-2010, 12:10 PM | #6 |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
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25-11-2010, 09:51 PM | #7 |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
मित्र अटल जी, इस गंभीर विषय को मजाक में न लें .. आपका सूत्र बेहद अहम् विषय वस्तु पर आधारित है. तनिक सा भी मजाक या ग़लतफ़हमी सूत्र की दिशा बदल सकती है.
बाइबल के और कुरान के अनुसार प्रथम स्त्री और पुरुष का नाम 'आदम और हव्वा' (एडम&इव). किन्तु इस बात का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है की यह कहानी सत्य है. इसी प्रकार एक धर्म ग्रन्थ में कहीं कहा गया है की 'प्रथ्वी थाली की तरह चपटी है.' यदि मनुष्य गलत कर्म करेंगे तो यह पलट जाएगी. . जिस समय आइजक न्यूटन नें गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया तथा यह बताया की 'धरती गेंद की तरह गोल है' तो लोगों नें उन्हें धर्म का विरोधी बता कर मौत की सजा सुना दी. लेकिन उनकी मृत्यु के पश्चात् जब सभी को यह पता चला की वास्तव में उन्होंने जो कहा था वह सत्य था.. तब भी किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुई की कोई कह सके की उस धर्म ग्रन्थ में जो लिखा है वो गलत है. लेकिन दोस्तों.. हिन्दू धर्म के ग्रंथों में हजारों वर्ष पहले ही प्रथ्वी को गोल ही बताया गया है (गेंद की तरह)
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25-11-2010, 11:05 PM | #8 |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
मित्रो में वैसे तो इस मामले में अपने आपको बिलकुल ही निम्न कोटि का और निरा अज्ञानी ही मान कर चलता हूँ फिर भी में एक बात को रेखांकित करना चाहूंगा कि क्या ऐसे हो सकता है कि सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए उनके इश्वर अलग अलग हों. ऐसा नहीं हो सकता क्योकि अगर ऐसा होता तो शायद इस धरती पर आज कुछ भी शेष नहीं होता और वो इनकी आपस की लड़ाई की भेंट चढ़ गया होता.
यानि कि एक बात तो माननी ही पड़ेगी कि कोई एक ही शक्ति है जो पूरे ब्रह्माण्ड को चला रही है और उसी शक्ति को हम अलग अलग नामों से जानते और पुकारते हैं. उदाहरण के लिए सूर्य सभी धर्मो के मानने वालों के लिए एक ही है. ( ऐसा नहीं है कि हिन्दुओं का सूर्य अलग है और मुसलमानों का सूरज अलग). अपनी अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते सभी धर्मों में कुछ महान नाम जुड़ते चले गए और वो कालांतर में पूज्य होते चले गए. और हिन्दू धर्म में ऐसा कुछ ज्यादा ही हुआ. जैसे कि सूत्रधार ने बताया है कि ईसाई धर्म में सिर्फ एक गोड, एक बाइबल, एक क्राइस्ट होता है पर विभाजन तो वहां पर भी है और जितना भी मैंने पढ़ा है कि उनके चर्च भी अलग होते हैं और रोम के बिशप को सभी चर्च अपना लीडर नहीं मानते. कुछ मुख्य ग्रुप बनने के बाद ईसाईयों में भी बहुत से सब ग्रुप हैं जो मुख्यतः पूजा विधि और विश्वास में भिन्नता की वजह से बने हैं. इसलिए उनके अन्दर भी बहुत से सिद्धांतों और संतो को माना जाता है और उनको सम्मान और आदर की दृष्टि से देखा जाता है. और अगर देखा जाए तो ये सभी देवता ही हुए. आज अगर मदर टेरेसा को संत की पदवी मिली तो कालांतर में वो देवी के जैसे ही पूजी और सम्मानित होंगी. हिन्दू धर्म में ऋषि, मुनि, संतों की एक बहुत ही अटूट परंपरा रही है और इन लोगों ने जो भी अध्ययन किया उसके आधार पर धर्म को परिभाषित करते रहे और नए नए देवी देवता और इश्वर का जन्म होता गया और नए नए वाद चले और उनके अनुयायी पैदा हुए और उनके बीच में भी कुछ मतभेद हुए तो और मतों और परम्पराओं ने जन्म लिया और ये आज तक चल रहा है. हम आज भी देखते हैं कि किसी छोटी सी जगह पर अचानक ही कोई नया मंदिर किसी नए देवता या देवी के नाम से बन जाता है तो ये क्रम आज तक चल रहा है. हम सभी को अपनी अपनी आस्था का एक निजी प्रतीक शायद ज्यादा मायने रखता है और इसी क्रम में नए नए देवी देवताओं का जन्म आज तक जारी है. हम लोग सूर्य, चन्द्र, वायु, जल, अग्नि को तो देवता के तौर पर मानते ही रहे क्योंकि इनके बिना मनुष्य का जीवन असंभव था, कालांतर मैं इनमें और भी धर्म गुरुओं और विद्वानों के नाम जुड़ते गए जो आज भगवन के तरह ही पूजे जा रहे हैं. हिन्दू धर्म में सहिष्णुता की इतनी प्रचुर मात्र मौजूद रही कि कालांतर में कूड़ा डालने के स्थान को भी पूजा जाने लगा. ( हिन्दू धर्म में शादी आदि के मौके पर घूरा पूजन होता है. घूरा = कूड़ा करकट डालने का स्थान). यानि कि जो स्थान आपके घर को साफ़ सुथरा रके और आपकी गन्दगी को अपने में समाहित कर ले वो भी पूज्यनीय हो गया. ( भावना की महानता को देखें ). तो मेरे विचार से सभी देवी देवता इसी प्रकार पैदा हुए होंगे और शायद ये सच है कि एक शक्ति जो पूरे संसार को चला रही है वो हिन्दू धर्म की विविधता के चलते यहाँ पर कुछ ज्यादा ही विभाजित हो कर बहुत सारे देवी देवताओं में तब्दील हो गयी.
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25-11-2010, 05:04 PM | #9 |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
आस्तिक होने के लिए एक बहुत छोटा कारण भी हो सकता है जो लोग कहते है मानव विकास के कारण मानव बना है हो सकता है, | इस संसार में अनेक तरह के जानवर है जिनमे जीवन गुजारने के लिए इतनी विशेषताए है की विज्ञान भी चकरा जाता है. जिराफ की गर्दन लम्बी हो गयी क्योंकि खाने के लिए उसको अपनी गर्दन लम्बी करनी पड़ती थी. ये विकास करना जिराफ के हाथ में है लेकिन खरगोश ( और भी कई प्राणी है ऐसे ) के जब बच्चा पैदा होता है तो बड़े से बड़ा शिकारी भी उसकी गंध तब तक नहीं सूंघ सकता जब तक वो अपने प्राण बचाने के योग्य न हो जाए. क्या ये विकास उन प्राणियों के वश में है ??? कोई तो शक्ति है जो इस ब्रह्माण्ड का नियमन करती है असंख्य पिंड इतने अनुशासन से घुमते है. पृथ्वी के चक्कर लगाने की गति में और उसके अपनी धुरी पर घूमने की गति में लेश मात्र भी परिवर्तन नहीं होता. मात्र चंद सेकण्ड का हेर फेर पूरी मानव सभ्यता को नष्ट कर सकता है लेकिन कितने दिन से ये व्यवस्था चल रही है. विज्ञान जो है उसका नामकरण कर सकता है लेकिन क्यों है उसका जवाब नहीं मिलता. पानी दो तत्वों का मिश्रण है ये विज्ञान ने बता दिया लेकिन वो तत्व क्यों है ये नहीं बता पाया.
अब बात करूँगा देवी देवताओं की तो ये आस्था और अतिश्योक्ति के कारण बने होगे. पहले एक इश्वर बना फिर उसके तीन टुकड़े हुए. फिर भी अनुभव किया की तीन लोग काफी नहीं है और संख्या बढती गयी. अगर आज भी हम चार मिनट सिर्फ आग के बारे में सोचेंगे की ये क्या है और क्यों है तो अंत में आस्था अपना काम करेगी और आग अग्नि देव बन जाएगा. |
25-11-2010, 05:19 PM | #10 | |
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Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???
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