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25-08-2016, 12:44 AM | #1 |
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ओलंपिक पदक विजेताओं का सम्मान
ओलंपिक पदक विजेताओं का सम्मान
ओलंपिक पदक विजेता देशों की तालिका में अपने दो पदकों (एक रजत व एक कांस्य पदक) के आधार पर भारत का स्थान 67 वें नंबर पर दिखाई देता है. यदि यह पदक नहीं होते तो इस तालिका में भारत का नाम भी नहीं होता. यह उन दो महिला खिलाड़ियों का जीवट था जिसने कड़े मुकाबले के बाद ये पदक जीते. रजत पदक जीतने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिन्धु और काँस्य पदक जीतने वाली महिला रेसलर हैं साक्षी मलिक. पूरे देश को इन पर गर्व है. पूरे देश से गए 110 खिलाड़ियों के दल में से अलावा कोई भी पदक के निकट नहीं जा पाया. हाँ, जिमनास्ट दीपा करमाकर का प्रदर्शन काबिले तारीफ था लेकिन वे अपने इवेंट में चौथे नंबर पर आयीं. अभिनव बिंद्रा को भी इस बार चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा. यह स्वाभाविक था कि इन खिलाड़ियों को देश तथा राज्यों द्वारा सम्मानित किया गया और नकद पुरस्कारों की घोषणा भी की गई. इस लिस्ट में कुछ बड़ी कम्पनियां भी शामिल हैं. मैंने अनुमान लगाया है कि काँस्य पदक जीतने वाली बाला साक्षी मलिक को हरियाणा राज्य तथा अन्यों द्वारा नौकरी देने की पेशकश के अलावा अब तक लगभग 5 करोड़ रूपए के पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है. रजत पुरस्कार लाने वाली बाला पीवी सिन्धु को सभी सरकारी और गैर सरकारी स्रोतों से लगभग 20 करोड़ नगद पुरस्कार तथा जमीन तथा गाड़ियाँ लगभग 13 करोड़ यानी कुल लगभग 33 करोड़ रुपये (तैतीस करोड़ रूपए) के पुरस्कारों की घोषणा अब तक की जा चुकी है. अच्छा प्रदर्शन करने वाले कुछ अन्य खिलाड़ियों और कोचों को भी कुछ पुरस्कारों की घोषणा की गई है लेकिन उनकी राशि बहुत अधिक नहीं है. उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करना या उन्हें पुरस्कृत करना जायज़ है. ऐसा करना हर लिहाज़ से उचित है. इससे देश के सभी खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि करोड़ों रुपये के पुरस्कार देने वाली सरकारें किससे पूछ कर यह राशि लुटा रही हैं. एक होड़ सी मची हुयी है. उसने इतना दिया तो हमें भी इतना देना चाहिये. सिन्धु के केस में तो अभी यह तय नहीं हो पाया कि वे तेलंगाना की हैं या आन्ध्र प्रदेश की. इस विवाद का उन्हें भरपूर फ़ायदा हुआ क्योंकि तेलंगाना सरकार ने उन्हें 5 करोड़ तथा आंध्रप्रदेश ने 3 करोड़ (कुल 8 करोड़ नगद) इसके अलावा दिल्ली सरकार ने 2 करोड़ के नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है. इसके अतिरिक्त 2000 वर्ग गज जमीन, जिसे देने की घोषणा हो चुकी है उसकी कीमत भी मोटे तौर पर 10 करोड़ से कम नहीं होगी. कोई कितना भी प्रतिभावान खिलाड़ी क्यों न हो, एक सीमा तक ही नगद तथा अन्य पुरस्कार दिया जाना उचित है. बाकी रकम राज्यों द्वारा खेलों का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर खर्च की जानी चाहिये. आप इस बारे में क्या सोचते हैं?
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 25-08-2016 at 07:36 AM. |
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