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03-06-2013, 05:25 PM | #1 |
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संसार का पहला उपन्यास / गेंजी (जापान)
संसार का पहला उपन्यास / गेंजी (जापान)
(लेखिका मुरासाकी शिबिकु) विश्व में सामाजिक उपन्यासों के लेखन का इतिहास एक हजार वर्ष पुराना है। इसके पूर्व कहानियाँ एवं कविताओं के माध्यम से धार्मिक संदेशों तथा उपदेशों के प्रचार के प्रमाण तो मिलते हैं, लेकिन मानव संघर्ष की घटनाओं का कथात्मक संयोजन उपन्यास के रूप में नहीं मिलता। आधुनिक उपन्यास लेखन का ऐसा उदाहरण केवल भारतीय साहित्य में ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य में भी नहीं मिलता i सिर्फ जापानी साहित्य में मिलता है। विश्व प्रसिद्ध डान क्विकजोट (सन् 1605) राबिंसन क्रूसो (सन् 1719) जैसे उपन्यासों से भी सैकड़ों वर्ष पहले 'गेंजी' की कहानी शीर्षक से एक जापानी उपन्यास के होने का प्रमाण मिलता है, जिसकी लेखिका मुरासाकी शिबिकु हैं। इस उपन्यास में जापानी सामंतवादी समाज की समकालीनता को आत्मीयता के साथ चित्रित करने की कोशिश की गयी है। इसे कथ्य एवं शिल्प की दृष्टि से एक आधुनिक उपन्यास के रूप में देखा जाता है जिसमें यथार्थ और इतिहास का अद्भुत प्रयोग मिलता है। Last edited by rajnish manga; 03-06-2013 at 05:35 PM. |
03-06-2013, 05:36 PM | #2 |
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Re: संसार का पहला उपन्यास / गेंजी (जापान)
गेंजी का कथानक
गेंजी की कहानी का नायक गेंजी मोनोग्तारी सुंदर, कलाप्रिय, बुद्धिमान एवं लोकप्रिय नायक है जिसे पिता का बहुत प्*यार मिलता है, किन्*तु राजकुमार गेंजी रनिवासों में अपनी लोकप्रियता के कारण एक दिन अपने पिता का कोपभाजन बनता है और राजा पिता उससे राजकुमार का सम्*मान छीन लेता है। राजकुमार बड़ी सहजता के साथ पिता का दंड स्*वीकार कर लेता है। अपनी उम्र के 52वें वर्ष में जब वह पर्वत की कंदराओं में जाकर अपने जीवन के शेष समय को जीने की कोशिश कर रहा होता है, तब उसे पता चलता है कि काओरू, जिसे वह अपना बेटा मानता रहा था, असल में किसी और का बेटा है। यह उपन्*यास जापान के हीयेन काल (सन् 893-1185) की पृष्*ठभूमि में लिखा गया है, जब संभ्रांत घरों से लड़कियों को राजमहलों में इसलिए भेजा जाता था कि वे किसी भी प्रकार से राजा को प्रसन्*न करके एक उत्*तराधिकारी पैदा कर सके, जिसकी वजह से राजा का साम्राज्*य उनकी मुट्ठी में आ जाए। इस उपन्*यास में दर्जनों ऐसे चरित्र हैं जो संभ्रांत परिवार के हैं और बेहद महत्*वाकांक्षी हैं। अपनी महत्*वाकांक्षा की पूर्ति के लिए जिन मूल्*यों को जीते थे संभव है कि आज के मूल्*यों की तुलना में ज्*यादा अनैतिक प्रतीत हों। |
03-06-2013, 05:37 PM | #3 |
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Re: संसार का पहला उपन्यास / गेंजी (जापान)
आधुनिक उपन्यास का शिल्प
तत्कालीन जापान के अभिजात वर्ग (योकिबोतो) की महिलाओं के जीवन पर आधारित गेंजी की कहानी को अनेक अध्यायों में बांटकर लिखा गया है। आधुनिक उपन्यास में पाए जानेवाले बहुत से तत्व जैसे- एक प्रमुख पात्र और उसके आसपास बहुत से महत्त्वपूर्ण और कम महत्त्व के चरित्रों की रचना, महत्त्वपूर्ण पात्रों का विस्तृत चरित्र चित्रण और कम महत्त्वपूर्ण पात्रों का तदानुसार संक्षिप्त चित्रण, समय के साथ चलते घटनाक्रम और उस घटनाक्रम को आधार देते सभी चरित्र, आज के उपन्यासों की तरह ही आकार लेते हैं। उपन्यास में घटनाक्रम कथानक के चारों ओर नहीं बुना गया है बल्कि घटनाएँ समय के साथ बहती हुई आगे बढ़ती हैं। लंबी कहानी में पात्र बूढ़े होते हैं और शिशु जन्म लेते हैं। इस सबके बावजूद लगभग 400 पात्रों और 54 अध्यायों वाली पुस्तक गेंजी की कहानी में घटनाओं के क्रम, पात्रों के विकास और पाठक की रोचकता निरंतर बनाए रखने का जबरदस्त काम रचनाकार ने किया है। भले ही नैतिकता की दृष्टि से गेंजी का चरित्र विवादास्*पद हो किंतु उपन्*यास की तकनीक एवं कलात्*मक पक्ष आज 21 वीं शताब्*दी में अद्भुत माने जा सकते हैं। |
03-06-2013, 05:39 PM | #4 |
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Re: संसार का पहला उपन्यास / गेंजी (जापान)
उपन्यास की लेखिका
इस उपन्*यास की लेखिका के बारे में कहा जाता है कि शायद लेडी शिकिबु मुरासाकी किसी महिला का उपनाम हो, किन्*तु इतना प्रमाणित है कि इस महिला का अस्तित्*व सन् 975 से लेकर 1025 तक रहा था। मुरासाकी के पिता उस समय जापान के किसी प्रदेश के गवर्नर थे। मुरासाकी शादी होने से पूर्व वह किसी गांव में समुद्र के किनारे रहती थी। किन्*तु सन् 998 में शादी होने के तीन वर्षों बाद वह विधवा हो गयी। चूँकि उसके पिता गवर्नर थे। इसलिए उसे राजमहल में आने-जाने की सुविधा मिली हुई थी। उसकी प्रतिभा की पहली प्रशंसिका महारानी अकीको थी, जिसकी सेवा करने के लिए मुरासाकी को नियुक्*त किया गया था। जैसे-जैसे गेंजी की कहानी रनिवासों में लोकप्रिय होने लगी, इसकी सूचना बाहर भी पहुँच गयी, लोग पढ़ने के लिए गेंजी की कापियाँ बनाने लगे। अल्*पकाल में गेंजी इतना लोकप्रिय हो गया कि तत्*कालीन जापानी सामंत-परिवार में गेंजी का पढ़ना जरूरी हो गया था। उपन्यास की लोकप्रियता आज इस उपन्*यास की लोकप्रियता का आलम यह है कि अब तक इस पर आधारित टी.वी. धारावाहिक, फिल्*में तथा गीति नाटकों की अनगिनत प्रस्*तुतियाँ हो चुकी हैं। सन् 1998 में जापान की राजधानी टोक्*यो में इसी उपन्*यास के नाम से एक संग्रहालय की स्*थापना भी हो चुकी है। अनुवाद चीनी, जरमन, फ्रेंच, अंगरेजी तथा इतालियन भाषाओं में भी हो चुका है। अनेक कलाकारों ने गेंजी पर आधारित चित्र-मालाओं की रचना की है जिनमें १७वी शती में तोसा मित्सुकी की बनाई चित्र शृंखला सबसे अधिक लोकप्रिय हुई। इसी शृंखला से लिये गए कुछ चित्र यहाँ प्रदर्शित किये गए हैं। इसके अतिरिक्त गेंजी के चित्रों पर आधारित 2000 येन का एक नोट भी जापान द्वारा जारी किया गया था जिसके दाहिने कोने पर उपन्यास की लेखिका का चित्र अंकित है। |
03-06-2013, 06:25 PM | #5 |
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Re: संसार का पहला उपन्यास / गेंजी (जापान)
nice intersting
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