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29-11-2015, 08:57 AM | #1 |
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भोजपुरी कविता
रहे इहाँ जब छोटकी रेल
_____________________________ देखल जा खूब ठेलम ठेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल चढ़े लोग जत्था के जत्था छूटे सगरी देहि के बत्था चेन पुलिग के रहे जमाना रुके ट्रेन तब कहाँ कहाँ ना डब्बा डब्बा लोगवा धावे टिकट कहाँ केहू कटवावे कटवावे उ होई महाने बाकी सब के रामे जाने जँगला से सइकिल लटका के बइठे लोग छते पर जा के रे बाप रे देखनी लीला चढ़ल रहे ऊ ले के पीला छतवे पर कुछ लोग पटा के चलत रहे केहू अङ्हुआ के छते पर के ऊ चढ़वैइया साइत बारे के पढ़वइया दउरे डब्बा से डब्बा पर ना लागे ओके तनिको डर कि बनल रहे लइकन के खेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल भितरो तनिक रहे ना सासत केहू छींके केहू खासत केहू सब केहू के ठेलत सभे रहे तब सबके झेलत ऊपर से जूता लटका के बरचा पर बइठे लो जाके जूता के बदबू से भाई कि जात रहे सभे अगुताई ट्रेने में ऊ फेरी वाला खुलाहा मुँह रहे ना ताला पान खाइ गाड़ी में थूकल कहाँ भुलाता बीड़ी धूकल दारूबाजन के हंगामा पूर्णविराम ना रहे कामा पंखा बन्द रहे आ टूटल शौचालय के पानी रूठल असली होखे भीड़ भड़ाका इस्टेशन जब रूके चाका पीछे से धाका पर धाका इस्टेशन जब रूके चाका कि लागे जइसे परल डाका इस्टेशन जब रूके चाका ना पास रहे ना रहे फेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल बड़की के अब बात सुनाता देखअ कि केतना सुधियाता कविता- आकाश महेशपुरी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ पता- वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश मोबाईल- 9919080399 |
29-11-2015, 11:40 AM | #2 | |
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Re: भोजपुरी कविता
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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01-07-2022, 12:50 PM | #3 |
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Re: भोजपुरी कविता
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Last edited by आकाश महेशपुरी; 02-07-2022 at 09:24 AM. |
01-07-2022, 12:50 PM | #4 |
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Re: भोजपुरी कविता
(संपादन के बाद रचना पुनः प्रेषित)
रहे इहाँ जब छोटकी रेल ■■■■■■■■■■ देखल जा खूब ठेलम ठेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल चढ़े लोग जत्था के जत्था छूटे सगरी देहि के बत्था चेन पुलिग के रहे जमाना रुके ट्रेन तब कहाँ कहाँ ना डब्बा डब्बा लोगवा धावे टिकट कहाँ केहू कटवावे कटवावे उ होई महाने बाकी सब के रामे जाने जँगला से सइकिल लटका के बइठे लोग छते पर जा के अरे बाप रे देखनी लीला चढ़ऽल रहे उ ले के पीला छतवे पर कुछ लोग पटा के चलत रहे केहू अङ्हुआ के छतवे पर के उ चढ़वैइया साइत बारे के पढ़वइया दउरे डब्बा से डब्बा पर ना लागे ओके तनिको डर बनऽल रहे लइकन के खेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल भितरो तनिक रहे ना सासत केहू छींके केहू खासत भीड़-भाड़ से भाई सबके दर्द करे सीना ले दब के ऊपर से जूता लटका के बरचा पर बइठे लो जाके जूता के बदबू से भाई जात रहऽल सभे अगुताई घूमें कवनो फेरी वाला खुलाहा मुँह रहे ना ताला पान खाइ गाड़ी में थूकल कहाँ भुलाता बीड़ी धूकल दारूबाजन के हंगामा पूर्णविराम ना रहे कामा पंखा बन्द रहे आ टूटल शौचालय के पानी रूठल कोशिश कऽ लऽ यादे आई दिन बीतऽल उ कहाँ भुलाई ना पास रहे ना रहे फेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल असली होखे भीड़ भड़ाका इस्टेशन जब रूके चाका कदम कदम पर रेलम रेला लागे जइसे लागल मेला उतरे केहू जोर लगा के अउर चढ़े केहू धकिया के जोर लगा के सभे ठेले दमदारे बस आगे हेले जेकरा में ना रहे बूता सरके ऊ तऽ सूता सूता ले के मउगी पेटी बोरा लइका एगो लेके कोरा बाँहीं में लटका के झोरा उतरे खातिर करे निहोरा पीछे से पवलें जब धाका टूटल टँगरी गिरलें काका अइसन अइसन बहुत कहानी चोरवऽनों के रहे चानी संजोगे से होखे जेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल रचना- आकाश महेशपुरी ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 02-07-2022 at 09:25 AM. |
19-10-2022, 05:52 AM | #5 |
Diligent Member
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Re: भोजपुरी कविता
संपादन के बाद
रहे इहाँ जब छोटकी रेल ■■■■■■■■■■ देखल जा खूब ठेलम ठेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल चढ़े लोग जत्था के जत्था छूटे सगरी देहि के बत्था चेन पुलिग के रहे जमाना रुके ट्रेन तब कहाँ कहाँ ना डब्बा डब्बा लोगवा धावे टिकट कहाँ केहू कटवावे कटवावे उ होई महाने बाकी सब के रामे जाने जँगला से सइकिल लटका के बइठे लोग छते पर जा के अरे बाप रे देखनी लीला चढ़ऽल रहे उ ले के पीला छतवे पर कुछ लोग पटा के चलत रहे केहू अङ्हुआ के छतवे पर के उ चढ़वैइया साइत बारे के पढ़वइया दउरे डब्बा से डब्बा पर ना लागे ओके तनिको डर बनऽल रहे लइकन के खेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल भितरो तनिक रहे ना सासत केहू छींके केहू खासत भीड़-भाड़ से भाई सबके दर्द करे सीना ले दब के ऊपर से जूता लटका के बरचा पर बइठे लो जाके जूता के बदबू से भाई जात रहऽल सभे अगुताई घूमें कवनो फेरी वाला खुलाहा मुँह रहे ना ताला पान खाइ गाड़ी में थूकल कहाँ भुलाता बीड़ी धूकल दारूबाजन के हंगामा पूर्णविराम ना रहे कामा पंखा बन्द रहे आ टूटल शौचालय के पानी रूठल कोशिश कऽ लऽ यादे आई दिन बीतऽल उ कहाँ भुलाई ना पास रहे ना रहे फेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल असली होखे भीड़ भड़ाका इस्टेशन जब रूके चाका कदम कदम पर रेलम रेला लागे जइसे लागल मेला उतरे केहू जोर लगा के अउर चढ़े केहू धकिया के जोर लगा के सभे ठेले दमदारे बस आगे हेले जेकरा में ना रहे बूता सरके ऊ तऽ सूता सूता ले के मउगी पेटी बोरा लइका एगो लेके कोरा बाँहीं में लटका के झोरा उतरे खातिर करे निहोरा मउगी के दिहले सन धाका टूटल टँगरी गिरलें काका अइसन अइसन बहुत कहानी चोरवऽनों के रहे चानी संजोगे से होखे जेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल रचना- आकाश महेशपुरी ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो- 9919080399 |
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